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    इतिहास और धर्म का अनोखा आकर्षण है चंदौली का ये किला, लोगों की जुबान पर हैं इसके रहस्य की तिलिस्मी कहानियां

    चंदौली जिले का हेतमपुर किला अपने आप में कई ऐतिहासिक और धार्मिक धरोहर को समेटे हुए है। जिले के उत्तरी छोर पर बसा सकलडीहा ऐतिहासिक व पर्यटन की दृष्टि से महत्वपूर्ण है। ऐसे में यहां टूरिज्म को बढ़ावा देने पर जोर दिया जा रहा है।

    By Jagran NewsEdited By: Ritu ShawUpdated: Fri, 23 Dec 2022 04:31 PM (IST)
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    इतिहास और धर्म का अनोखा आकर्षण है चंदौली का ये किला, लोगों की जुबान पर हैं रहस्य की तिलिस्मी कहानियां

    आशीष विद्यार्थी, चंदौली: जिले के उत्तरी छोर पर बसा सकलडीहा ऐतिहासिक व पर्यटन की दृष्टि से महत्वपूर्ण है। यहां औघड़ पंथ के बाबा कीनाराम का आश्रम व श्रीकाशी विश्वनाथ मंदिर ट्रस्ट से संबद्ध कालेश्वर महादेव मंदिर लोगों की आध्यात्मिक यात्रा को पूर्णता प्रदान करता है। दूसरी ओर हेतमपुर किले के अवशेष इतिहास में रुचि रखने वाले पर्यटकों को आकर्षित करते हैं। किले से जुड़ी रहस्य-रोमांच की तिलिस्मी कहानियां भी लोगों की जुबान पर हैं।

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    यहीं बरठी के औघड़ संत डंगरिया सरकार का आश्रम, दोदौली में दक्षिणमुखी हनुमान मंदिर, कांवर स्थित महड़ौरा देवी मंदिर व महाराई का आनंदेश्वर मंदिर भी अनेक विशिष्टताएं समेटे हुए है। पर्यटन विभाग द्वारा हेतमपुर किले को पर्यटकों को आकर्षित करने के लिए इसे संवारा जा रहा है।

    सात वर्ष पहले पुरातत्व विभाग ने शुरू की किले के संरक्षण की पहल

    सकलडीहा के प्रमुख स्थल

    1- बाबा कालेश्वर नाथ मंदिर

    2- बाबा कीनाराम स्थल

    3- आनंदेश्वर मंदिर

    सकलडीहा से तीन किमी दूर श्रीकाशी विश्वनाथ मंदिर ट्रस्ट से संबद्ध कालेश्वर नाथ मंदिर लोगों की आस्था का केंद्र है। चहनियां ब्लाक के रामगढ़ स्थित औघड़ संत बाबा कीनाराम स्थल पर भी श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ती है। महड़ौरा मंदिर, आनंदेश्वर मंदिर, दक्षिणमुखी हनुमान मंदिर व औघड़ डंगरिया सरकार आश्रम जैसे दर्शनीय स्थल भी काफई महत्वपूर्ण हैं।

    हेतमपुर किले का इतिहास

    सकलडीहा तहसील के महाइच परगना के हेतमपुर गांव में शेरशाह सूरी के सिपहसालार हेतम खां का किला स्थित है। डिस्ट्रिक्ट गजेटियर 1965 के अनुसार 2.18 एकड़ में फैले किले का शिल्प देखकर प्रतीत होता है कि शेरशाह सूरी के किला निरीक्षक टोडरमल ने ही इस किले का भी नक्शा तैयार किया होगा। पाकिस्तान के पंजाब प्रांत में झेलम तट पर बने रोहतास किले का वास्तु-शिल्प और निर्माण शैली इस किले से मिलती-जुलती है। हेतम खां व उनके किले के बारे में कई रिवायतें प्रचलित हैं।

    ठहरने की सुविधा: हेतमपुर किले के आसपास ठहरने की कोई व्यवस्था नहीं है। ग्रामीण इलाका होने के कारण यहां होटल या गेस्टहाउस भी नही हैं। यहां घूमने आए पर्यटकों का उसी दिन वापस लौटना उचित होगा।

    हेतमपुर किले तक ऐसे पहुंचें

    हेतमपुर किला चंदौली जिला मुख्यालय से मात्र 25 किमी दूर स्थित है। यहां बस से कमालपुर व शहीदगांव उतरकर आटो से तीन किमी चलकर पहुंचा जा सकता है। अगर आपके पास अपना वाहन है तो ज्यादा आसानी होगी किले तक पहुंचने में।