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    सिचाई के लिए किसान रो रहे खून के आंसू

    By JagranEdited By:
    Updated: Sun, 10 Jan 2021 12:04 AM (IST)

    कमालपुर (चंदौली) धान का कटोरा नलकूप विभाग की उपेक्षा का शिकार है।

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    सिचाई के लिए किसान रो रहे खून के आंसू

    जागरण संवाददाता, कमालपुर (चंदौली) : धान का कटोरा नलकूप विभाग की उपेक्षा का शिकार है। कागजों में जो नलकूप शोभा बढ़ा रहे हैं वे सिचाई मामले में किसानों को खून के आंसू रुला रहे हैं। वहीं, जिम्मेदारों का रवैया इतना गैरजिम्मेदाराना है कि मामूली गड़बड़ी ठीक करने को भी इनके पास पैसा नहीं है। विभाग किस तरह से चला रहे हैं यह मालिक ही बता सकता है। दैनिक जागरण ने धानापुर विकास क्षेत्र के नलकूपों की पड़ताल के साथ किसानों से बात की तो वे विभाग को कोसते रहे। यह पहली कड़ी है, जागरण सभी नलकूपों की पड़ताल कर किसानों के बीच पहुंचेगा। बसगावां नकूलप बना शोपीस

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    2015 में लगा राजकीय नलकूप तीन साल से शोपीस बना है। 100 बीघा खेतों को सिचित करने के लिए लगे इस ट्यूबवैल की पाइप एक साल में क्षतिग्रस्त हो गई। इसके बंद होते ही सवाल खड़े होने लगे। उस समय मात्र चार हजार रुपये खर्च होने पर पाइप बन जाती लेकिन अब दस हजार खर्च बैठ रहा है। विभाग बजट का रोना रो रहा। किसान संजय, अखिलेश सिंह, दशरथ व अन्य विभाग को कोस रहे हैं। कहा कि विभाग और जिला प्रशासन को किसानों की समस्या से कोई लेना देना नहीं है। बभनियांव का बैठ गया पंप

    पचास बीघा सिचाई को बभनियांव गांव में लगा नलकूप किसानों के लिए मुसीबत बन गया है। किसान की जमीन पर चार साल पहले लगे इस नलकूप का डेढ़ साल बाद पंप ही बैठ गया। इसमें ढाई लाख खर्च आएगा। आश्चर्य यह कि दस हजार में जो नलकूप ठीक नहीं हो पा रहा उसके लिए ढाई लाख कहां से आएगा। माधोपुर नलकूप का ध्वस्त हुआ बोर

    100 बीघा खेतों की सिचाई को पांच साल पहले माधोपुर गांव में नलकूप लगा। दो साल में ही इसका बोर बैठ गया। गांव के एक पूर्व जनप्रतिनिधि ने भी अधिकारियों को समस्या से अवगत कराया। छह लाख रुपये खर्च कौन करे, यह सवाल खड़ा हो गया। इस पंप की नाली भी टूट गई है। नलकूप ठीक हो जाए तो मनरेगा से नाली का निर्माण हो जाए लेकिन इसके लिए बजट आड़े आ रहा। अंडरग्राउंड नाली बन जाए तो मिले लाभ

    पिपरदहां में नलकूप की अंडरग्राउंड नाली ध्वस्त हो गई है। विभाग इसे दुरुस्त कराने को मनरेगा की सहायता ले सकता है लेकिन इसके लिए भी उसके पास समय नहीं है। मात्र पचास से साठ हजार में यह बन जाए। मनरेगा के तहत यह कार्य आसानी से हो सकता है लेकिन विभाग की इच्छाशक्ति ही मानो खत्म हो गई है। ----------------------- सभी नलकूपों की कार्ययोजना बनाकर शासन को भेजी गई है। बजट का इंतजार किया जा रहा है। मार्च में बजट आने की उम्मीद है। नलकूप ठीक होने के बाद क्षतिग्रस्त नाली निर्माण में मनरेगा की मदद ली जाएगी।

    - अखिलेश सिंह, अधिशासी अभियंता, नलकूप

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