जैविक विधि से काला धान की खेती, किसान होंगे प्रशिक्षित
कृषि प्रधान जनपद में काला धान की खेती के जरिए किसानों की आय बढ़ाने की कोशिश की जा रही है। खरीफ के चालू सीजन में करीब 500 हेक्टेयर भूमि में जैविक विधि ...और पढ़ें

जागरण संवाददाता, चंदौली : कृषि प्रधान जनपद में काला धान की खेती के जरिए किसानों की आय बढ़ाने की कोशिश की जा रही है। खरीफ के चालू सीजन में करीब 500 हेक्टेयर भूमि में जैविक विधि से काला धान की खेती कराने का लक्ष्य रखा गया है। इसके लिए कृषि विभाग बाकायदा किसानों को प्रशिक्षित करेगा। वहीं काला चावल कृषक समिति को भी समृद्ध बनाने की योजना बनाई गई है। समिति उपज की ब्रांडिग व मार्केटिग करेगी।
तत्कालीन केंद्रीय मंत्री मेनका गांधी के सुझाव पर जिले में नागालैंड की काला धान की प्रजाति 'चाकहाओ' की खेती कराई जा रही है। काला धान औषधीय गुणों से भरपूर है। इसमें मौजूद तत्व हृदय, रक्तचाप व मधुमेह की बीमारी से निजात दिलाने में कारगर माने गए हैं। जिला प्रशासन की पहल पर जिले के किसान दो वर्षों से खेती कर रहे हैं। लेकिन पिछले साल उत्पाद के लिए कोई खरीदार ही नहीं मिला। इससे किसानों को मायूसी हाथ लगी थी। ऐसे में उत्पाद की मार्केटिग व ब्रांडिग के लिए काला चावल कृषक समिति का गठन किया गया। समिति और जिला प्रशासन के प्रयास से इस बार गाजीपुर की कंपनी 69 लाख में जिले में उत्पादित 80 मिट्रिक टन धान खरीदकर ले गई। इससे किसानों में प्रजाति की खेती को लेकर रूझान बढ़ गया है। कृषि विभाग ने इस बार 500 हेक्टेयर में जैविक विधि से खेती कराने की योजना बनाई है। कृषि विशेषज्ञ किसानों को जैविक खेती के गुर सिखाएंगे। खेतों की मेढ़बंदी, गोबर व कंपोस्ट की खाद आदि के इस्तेमाल की विधियां बताई जाएंगी। जैविक विधि से उपजाई जा रही फसल की सिचाई निजी संसाधनों के जरिए ही कराई जाएगी। विशेषज्ञों का मानना है कि नहर के पानी में तमाम तरह के रासायनिक तत्व मौजूद रहते हैं। ऐसे में गुणवत्ता का विशेष ध्यान रखा जाएगा।
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पंजीकृत किसानों का बिकेगा धान
काला चावल कृषक समिति के अध्यक्ष शशिकांत राय ने बताया कि समिति पंजीकृत किसानों की उपज के लिए ही खरीदार ढूंढेगी। इसलिए काला धान की खेती करने वाले समस्त किसान समिति में अपना पंजीकरण करा लें। पंजीकरण शुल्क के रूप में एक हजार रुपये जमा करना होगा।
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वर्जन
खरीफ के चालू सीजन में 500 हेक्टेयर भूमि में काला धान की खेती कराने का लक्ष्य रखा गया है। इस बार जैविक विधि से खेती कराई जाएगी ताकि किसानों को उपज का बेहतर मूल्य मिल सके।
अमित जायसवाल, कृषि उपनिदेशक

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