चंदौली में 48 लाख की लागत से लगेंगे तीन यूनिट, प्लास्टिक कचरे का होगा निस्तारण
चंदौली में प्लास्टिक कचरे की समस्या से निपटने के लिए तीन प्लास्टिक अपशिष्ट प्रबंधन इकाई (यूनिट) स्थापित की जाएंगी। इन यूनिटों की स्थापना पर 48 लाख रुप ...और पढ़ें

जागरण संवाददाता, चंदौली। गांवों के गली-मोहल्लों अथवा घर से निकलने वाले प्लास्टिक के कचरे अब जलाए नहीं जाएंगे। इस पर राष्ट्रीय हरित अभिकरण (एनजीटी) ने सख्ती से रोक लगा दी है। इसी को ध्यान में रखते हुए शासन की ओर से इसके निस्तारण के लिए नई व्यवस्था की जा रही, जिसके तहत प्लास्टिक अपशिष्ट प्रबंधन इकाई (यूनिट) की स्थापना की जाएगी।
जिले में तीन यूनिट की स्थापना की स्वीकृति मिली है। इन यूनिटों के निर्माण पर 48 लाख रुपये की लागत आएगी। इन यूनिटों में स्वच्छता समितियों और बेरोजगार युवाओं को काम भी मिलेगा।
जनपद की 734 ग्राम पंचायतों से हर दिन लगभग 175 क्विंटल प्लास्टिक कचरा सफाई के दौरान एकत्र किया जाता है। फिलहाल इसे गड्ढे में दबाकर लिक्विड का प्रयोग करके निस्तारित कराया जाता है। इन यूनिटों की स्थापना से प्लास्टिक के कचरे का निस्तारण आसानी से हो सकेगा।
अधिकारियों का मानना है कि सूखा व गीला के अलावा लगभग 53 प्रतिशत इन ग्राम पंचायतों से प्लास्टिक का ही कचरा निकलता है। अब तक इसके निस्तारण की स्थायी व्यवस्था ग्रामीण क्षेत्रों में नहीं है। प्लास्टिक कचरे से नालियों के जाम होने, जलभराव व पर्यावरण प्रदूषण की समस्या से मुक्ति के लिए स्वच्छ भारत मिशन (ग्रामीण) के तहत यह पहल की गई है।
प्रत्येक यूनिट पर 16 लाख रुपये खर्च होंगे। 1,500 वर्ग फीट में निर्माण होगा। इनमें ट्विन शाफ्ट श्रेडर, हाइड्रोलिक प्लास्टिक बेलिंग मशीन और एयर ब्लोअर लगाया जाएगा।
पीडीडीयू नगर व चकिया में भूमि की तलाश शुरू
सकलडीहा तहसील के धानापुर में जमीन की तलाश कर पंचायतीराज विभाग ने चार लाख रुपये से कार्य आरंभ करा दिया है। यहां चल रहा कार्य अब अंतिम दौर में है। शेष 12 लाख रुपये आवंटित होने के बाद तीन मशीनें, विद्युत कनेक्शन व अन्य काम कराए जाएंगे।
यहां चहनियां, धानापुर व बरहनी विकास खंड के गांवों से निकलने वाले प्लास्टिक कचरे को आधुनिक मशीन से री-साइकिल कर उसे उपयोगी बनाया जाएगा। वहीं, पीडीडीयू नगर व चकिया तहसील में यूनिट को स्थापित करने के लिए राजस्व विभाग के सहयोग से भूमि की तलाश शुरू कर दी गई है।
इन यूनिटों की स्थापना का उद्देश्य गांवों को प्लास्टिक मुक्त बनाना है। प्लास्टिक अपशिष्ट प्रबंधन को आर्थिक माडल से जोड़ा गया है। समितियों व युवाओं को रोजगार मिलेगा। 48 लाख से तीन यूनिट लगाई जानी है।
एक का भवन लगभग तैयार हो चुका है। दो के लिए भूमि चयन की प्रक्रिया आरंभ है।
- नीरज सिन्हा, जिला पंचायत राज अधिकारी

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