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    चंदौली का कंपोजिट विद्यालय हड़रिका का भवन जर्जर, उखड़ता प्लास्टर बढ़ा रहा हादसे की आशंका

    Updated: Fri, 01 Aug 2025 05:35 PM (IST)

    चंदौली ज‍िले का कंपोजिट विद्यालय हड़रिका का भवन जर्जर इतना हो चुका है क‍ि वहां पर लगातार प्‍लास्‍टर गिर रहा है। उखड़ता प्लास्टर बच्‍चों के ल‍िए लगातार हादसे की आशंका को बढ़ा रहा है। ऐसा नहीं क‍ि अध‍िकार‍ियों का यहां दौरा न होता हो लेकि‍न नजरें क‍िसी भी अध‍िकारी की नहीं पड़तीं।

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    कंपोजिट विद्यालय हड़रिका का भवन जर्जर, उखड़ा प्लास्टर।

    जागरण संवाददाता, चंदौली। नौनिहालों को सुरक्षित माहौल में शिक्षा देने के शासन-प्रशासन के प्रयास धरातल पर नहीं उतर पा रहें हैं। इसके चलते बेसिक शिक्षा विभाग के विद्यालयों में छात्र-छात्राएं संकट के बीच पढ़ाई करने को विवश हैं। कुछ इसी तरह के खतरे के बीच संवारे जा रहे उनके भविष्य के दौरान राजस्थान में हुए हादसे में सात विद्यार्थियों की मौत हो गई।

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    दैनिक जागरण के दस दिनी राष्ट्रव्यापी समाचारीय अभियान के दूसरे दिन गुरुवार को बुनियादी शिक्षा के तीन संस्थानों की पड़ताल की गई। हड़रिका की हालत इसमें काफी दयनीय नजर आई। भवन की छतें जर्जर होने से बारिश में पानी टपकने लगता है। इससे क्लासरूम में पानी भर जाता है। प्लास्टर उखड़ गए हैं। खिड़की टूटी हुई है। चारदीवारी नहीं होने से पशु परिसर में घुस जाते हैं। खेलकूद की सामग्री होने के बावजूद मैदान नहीं होने से उपयोग नहीं हो पा रहा है। खेल मैदान की सफाई नहीं होने से बड़ी-बड़ी झाड़ियां उग आई हैं। इससे जहरीले जीव-जंतुओं का खतरा बना है। दो अन्य का हाल भी खस्ताहाल दिखा। प्रस्तुत है अभियान की दूसरी कड़ी...।

    स्थान : कंपोजिट विद्यालय, हड़रिका

    समय: सुबह 10 बजे

    पगडंडी से होकर विद्या के मंदिर में पहुंच रहा देश का भविष्य

    यहां कक्षा एक से आठवीं 107 विद्यार्थी पंजीकृत हैं। पगडंडी से होकर देश का भविष्य इसमें पहुंचता है। इसके चारों ओर खेत हैैं। अभिभावकों ने बताया कि खेल मैदान नहीं है। खेल सामग्री स्टोर रूम में रखी गईं हैं। भवन के खाली पड़ी भूमि पर बच्चे पारंपरिक खेलों का अभ्यास करते हैं। चारदीवारी नहीं है। इससे स्कूल असुरक्षित है। कभी- कभी तो जानवर शिक्षण कक्ष में घुस कर जाते हैं। परिसर में बांस, झाड़-झंखाड़ हैं। सफाई का अभाव दिखा। बच्चों ने बताया कि झाड़ी से निकलकर आए दिन सर्प और अन्य जहरीले जंतु कक्ष में पहुंच जाते हैं। 2009 में बने इस विद्यालय के भवन की दशा की नहीं दिखी। भवन में दरारों, टपकती छतें और जगह-जगह उखड़े प्लास्टर हालात बयां कर रहें हैं। खिड़कियां भी जर्जर हैं। स्थापना के समय का बना शौचालय क्षतिग्रस्त हाल में है। दरवाजे गायब हो गए हैं। नया बालक-बालिका शौचालय उपयोग में है। शुद्ध पेयजल व विद्युत का प्रबंध है। सभी शिक्षण कक्ष टाइलीकरण युक्त हैं।

    स्थान : प्राथमिक विद्यालय, रघुनाथपुर

    समय : सुबह 11:15 बजे

    एक सप्ताह पूर्व गिर गया था खिड़की का छज्जा

    स्थापना के साथ इस स्कूल का मुख्य भवन वर्ष 1949 में बना है। भवन जर्जर स्थित में है। पास स्थित हैंडपंप से छात्र-छात्राएं व शिक्षक पेयजल ग्रहण करते हैं। एक सप्ताह पूर्व खिड़की का छज्जा अचानक गिर गया था। संयोग अच्छा रहा कि उसके नीचे कोई नहीं था अन्यथा अनहोनी से इन्कार नहीं किया जा सकता था। इसमें 209 छात्र-छात्राएं शिक्षारत हैं। पेयजल, फर्नीचर व बिजली की व्यवस्था है। अधिकांश खिड़की-दरवाजे भी अच्छी स्थिति में हैं। बालक-बालिका के लिए अलग-अलग शौचालय भी बने हैं। खेल मैदान नहीं है। इनडोर गेम की सामग्री है। परिसर में इंटरलाकिंग है। रसोईघर, प्रधानाध्यापक कक्ष समेत सभी कमरों का टाइलीकरण किया गया है।

    स्थान : पूर्व माध्यमिक विद्यालय, बबुरी

    समय: सुबह 12:20 बजे

    छतें तोड़ दीं, फिर भी खड़ी हैं दीवारें

    यहां संसाधनों की कमी है। बच्चों की संख्या 217 है। जर्जर भवन को ध्वस्त करने का कार्य पूरा नहीं किया जा सका है। छतें तोड़ दी गईं हैं। लेकिन, दीवारें अब भी खड़ी हैं। विद्यालय प्रबंधन संबंधित ठेकेदार से संपर्क कर इसे निस्तारित कराने की बात कही है। बैठने के लिए फर्नीचर की पर्याप्त व्यवस्था है। खिड़की और दरवाजे ठीक स्थिति में हैं। भवन के पिलर व दीवार में दरारें हैं। इस मौसम में छतें टपक रही हैं। इससे शिक्षा के साथ-साथ बच्चों की सुरक्षा भी खतरे में है। बिजली, पेयजल, बालक-बालिका शौचालय , चारदीवारी इत्यादि व्यवस्थाएं दुरुस्त दिखीं।

    बोले विद्यार्थी

    मेड़ से होकर स्कूल पहुंचना पड़ता है। चारदीवारी का निर्माण नहीं हो सका है। मध्याह्न भोजन व खेलने के समय अक्सर जानवर आ जाते हैं। उनके डर से खुलकर खेल नहीं पाते हैं। - अनुज कुमार, छात्र।

    विद्यालय के कमरों की छत जर्जर है। परिसर में झाड़-झंखाड़ है। गुरुजी किसी को बुलाकर सफाई कराते हैं, तो कुछ दिन तो ठीक रहता है, लेकिन फिर वही हाल हो जाता है। - सानू कुमार, छात्र

    बोले अभिभावक

    बच्चों की सुरक्षा को लेकर चिंता रहती है। बारिश के समय छतें टपकने लगतीं हैं। घंटे-दो घंटे लगातार बारिश हो जाए तो बच्चे घर चले आते हैं। इस पर ध्यान देने की जरूरत है। - भूषण, अभिभावक

    चारदीवारी नहीं है और भवन का हाल खस्ताहाल है। कई जगह प्लास्टर उखड़ गया है। पढ़ाई अच्छी होने से बच्चों को भेजते हैं। इन समस्याओं का हल होना चाहिए। - महंगी, अभिभावक

    बोले शिक्षक

    जर्जर भवन का ध्वस्तीकरण कार्य अधूरा है। इसे शीघ्र पूर्ण कराने के लिए प्रयासरत हूं। विद्यालय को सुरक्षित बनाए रखने के लिए आवश्यक कदम उठाए गए हैं। - हरिचरण, प्रधानाध्यापक, पूर्व माध्यमिक विद्यालय बबुरी

    भवन की जर्जर स्थिति के बारे में विभाग कोसूचित किया है। कुछ ही हिस्सों को आंशिक रूप से ध्वस्त किया गया है। बच्चों की सुरक्षा हमारी प्राथमिकता है। - जय बहादुर सिंह, प्रधानाध्यापक, प्राथमिक विद्यालय रघुनाथपुर

    भवन जर्जर स्थिति में है। इसकी जानकारी विभाग को दी गई है। स्कूल के लिए मार्ग नहीं होने से इस मौसम में पगडंडी से होकर स्कूल पहुंचना पड़ रहा है। - सुधा सिंह, प्रधानाध्यापिका, कंपोजिट विद्यालय हड़रिका

    बोले प्रधान

    रास्ता व चारदीवारी नहीं है। इसके लिए कई बार संबंधित अधिकारियों को अवगत कराया है और प्रस्ताव भेजा गया है। मैं प्रयासरत हूं कि जल्द ही इन समस्याओं का समाधान करा सकूं। - सतीश मौर्या, ग्राम प्रधान, हडरि़का।

    जर्जर भवन के ध्वस्तीकरण की प्रक्रिया प्रचलित है। ठेकेदार से मिलकर जर्जर भवन को जल्द ध्वस्त कराने का कार्य कराया जाएगा। ग्राम पंचायत विद्यालय को माडल बनाने के लिए प्रयासरत है। - सलीम, ग्राम प्रधान प्रतिनिधि, रघुनाथपुर

    बोले अध‍िकारी

    बेसिक स्कूलों में अध्ययनरत बच्चों की सुरक्षा को विभाग संजीदा है। 216 जर्जर भवनों का ध्वस्तीकरण करा दिया गया है। शेष 61 की कार्यवाही प्रचलित है। शीघ्र इसे भी ध्वस्त करा दिया जाएगा। सभी बीईओ से भवनों की स्थिति, संसाधनों आदि की सूचना मांगी गई है। रिपोर्ट आने के बाद जरूरत के अनुसार मरम्मत या निष्प्रयोज्य घोषित करने की कार्रवाई की जाएगी। तीन पैरामीटर्स पर अभी कार्य चल रहें हैं। इसमें चारदीवारी, दिव्यांग शौचालय व बिजली कनेक्शन आदि हैं। विभागों से समन्वय बनाकर इसे भी तेजी से पूर्ण किया जा रहा है। कंपोजिट ग्रांट से कई विकास कार्य एक-दो माह में होने वाले हैं। दुर्व्यवस्था को भी इस ग्रांट की धनराशि से दूर कराया जाएगा। हड़रिका में रास्ता की समस्या से डीएम को अवगत कराया जाएगा। - सचिन कुमार, जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी।