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    चंदौली में मां मुंडेश्वरी धाम से दर्शन-पूजन कर लौट रही शिक्षिका की सड़क दुर्घटना में मौत

    Updated: Mon, 29 Sep 2025 12:46 PM (IST)

    बलुआ थाना क्षेत्र के रामगढ़ गांव में शिक्षिका ममता पांडेय की बिहार में सड़क दुर्घटना में मौत हो गई। वे अपने पति के साथ बाइक पर मां मुंडेश्वरी धाम से ल ...और पढ़ें

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    शिक्षिका ममता पांडेय के निधन से परिवार और पूरे गांव में शोक की लहर है।

    जागरण संवाददाता, टांडाकला (चंदौली)। बलुआ थाना क्षेत्र के रामगढ़ गांव निवासी 43 वर्षीय शिक्षिका ममता पांडेय की रविवार को बिहार के चांद डाक बंगला के पास बाइक की आमने-सामने टक्कर में मौत हो गई। इस दुर्घटना में उनके 45 वर्षीय पति राकेश पांडेय बाल-बाल बच गए।

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    ममता पांडेय की मौत की सूचना मिलते ही घर में कोहराम मच गया। शिक्षिका का अंतिम संस्कार बलुआ घाट पर रविवार की देर रात किया गया।

    रामगढ़ गांव निवासी सदानंद पांडेय, जो एक अवकाश प्राप्त अध्यापक हैं, की बहू ममता पांडेय बिहार के इटही, जिला कैमूर में उच्च माध्यमिक विद्यालय में शिक्षिका के पद पर कार्यरत थीं। उनके पति भी एक प्राइवेट स्कूल में अध्यापक हैं। रविवार को छुट्टी के कारण ममता अपने घर आई थीं।

    इसी दिन ममता देवी अपने पति राकेश पांडेय के साथ बाइक से बिहार के अति प्राचीन मां मुंडेश्वरी धाम से दर्शन पूजन कर लौट रही थीं। चांद डाक बंगला रोड पुल के पास उनकी बाइक की आमने-सामने टक्कर हो गई, जिसमें शिक्षिका की तत्काल मौत हो गई। राकेश पांडेय ने हेलमेट पहन रखा था, जिसके कारण वे बाल-बाल बच गए।

    पुलिस ने शव को पोस्टमार्टम के लिए भेजा और बाद में परिजनों को सौंप दिया। शाम को शव को रामगढ़ लाकर उनका अंतिम संस्कार बलुआ घाट पर किया गया। शिक्षिका की मौत से उनके ससुर सदानंद पांडेय, पति राकेश पांडेय, बड़े पुत्र सत्यम और छोटे पुत्र सुंदरम का बुरा हाल हो गया है।

    गांव में शोक संवेदना के कारण रामलीला का आयोजन नहीं किया गया। शिक्षिका की मौत से पूरे गांव में मातम छाया हुआ है। ममता पांडेय का स्वभाव बहुत मृदुल था, और उनकी आकस्मिक मृत्यु से गांव में शोक की लहर दौड़ गई है। रामगढ़ में चल रहे सुप्रसिद्ध रामलीला का आयोजन रविवार की रात को शोक में नहीं किया गया, जिससे गांववासियों की भावनाएं और भी गहरी हो गईं।

    इस दुखद घटना ने न केवल परिवार को बल्कि पूरे गांव को प्रभावित किया है। ममता पांडेय की शिक्षिका के रूप में सेवाएं और उनके प्रति लोगों का स्नेह हमेशा याद रखा जाएगा। उनकी याद में गांव में शोक का माहौल बना रहेगा।