Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    चन्द्रगुप्त साम्राज्य के दरबारी कवि थे कालीदास

    By Edited By:
    Updated: Sun, 06 Nov 2011 10:58 PM (IST)

    मुगलसराय(चंदौली) : साहित्यिक संस्था साहित्यायन की ओर से रविवार को कैलाशपुरी स्थित शारदा सदन में महाकवि कालिदास की जयंती धूमधाम से मनाई गई। इस दौरान कालिदास की काव्य कला विषयक संगोष्ठी भी आयोजित की गई।

    गोष्ठी में केके श्रीवास्तव ने कहा कि शैव मतावलम्बी महाकवि कालिदास गुप्त साम्राज्य में चन्द्र गुप्त द्वितीय के दरबारी कवि थे। अपनी विदुषी पत्नी विद्योत्तमा के कारण काशी में अनेक विधाओं का अध्ययन किया और वापस आने के बाद जब काली दास ने विद्योत्तमा के भवन का द्वार खटखटाया तो अन्दर से उसने प्रश्न किया जिसका उत्तर उन्होंने बड़े ही विद्वत ढंग से दिया। उनकी नाटय कृति अभिज्ञान शाकुंतलम विश्व विख्यात है और इन्हे भारत का शेक्सपीयर कहा जाता है। रेल राजभाषा अधिकारी दिनेश चन्द्रा ने कहा कि साहित्य के सुकुमार मार्ग का आलम्बन लेकर रसमयी पद्धति में कालीदास ने अपने सम्पूर्ण काव्यों में प्रणयन किया है। पूर्व प्रधानाचार्य पीएल गुप्त ने कहा कि उनकी काव्य कला देव वाणी का श्रृंगार है। डा.रमाशंकर त्रिपाठी ने कहा कि इनकी काव्य कमनियता से प्रेरित होकर पाश्चात्य के ही नहीं, बल्कि भारत के कवियों ने भी अपनी रचनाओं में उपमा-उपमेय आदि को अनुप्राणित किया है। अध्यक्षता करते हुए कवि भैरव लाल ने कहा कि मेघ दूत में विरही यक्ष व प्रतीक्षारत यक्षिणीं के बीच संवाद सम्प्रेषण का ऐसा मनोरम प्राकृतिक दृश्य कहीं देखने को नहीं मिलता। इस दौरान डा. अनिल यादव, सुभाष क्षेत्रपाल, ललिता जायसवाल, अली मोहम्मद बख्शी, प्रमोद समीर, अशोक मित्तल पुष्कर व ज्ञान प्रकाश आदि ने उपस्थित थे।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    मोबाइल पर ताजा खबरें, फोटो, वीडियो व लाइव स्कोर देखने के लिए जाएं m.jagran.com पर