साहिब, सिंध व सुल्तान इंजनों से चली थी पहली ट्रेन
बिड़ला शंकर सिंह 'बिल्लू'
मुगलसराय (चंदौली) : भारतीय रेल अपना 161वीं स्थापना दिवस मना रहा है। इस दौरान एक बार फिर से लोगों को इतिहास की जानकारी दी जा रही है। रेल सप्ताह के तहत विभिन्न साधनों से लोगों तक इतिहास पहुंचाया जा रहा है। इसके लिए जहां जंक्शन पर लाउडस्पीकर से जानकारी दीे जा रही है वहीं विभिन्न विद्यालयों में गोष्ठी आयोजित की जा रही है। यह सब 10 अप्रैल से शुरू रेल सप्ताह के तहत चल रहा है जिसका 16 अप्रैल को समापन होगा।
रेलवे द्वारा जो इतिहास बताया जा रहा है उसके तहत 16 अप्रैल 1853 को पहली ट्रेन मुंबई के बोरीबंदर से थाणे के बीच चलाई गई जिसने 34 किलोमीटर की दूरी तय की। इस ट्रेन में कुल 14 डिब्बे थे जिन्हें तीन इंजनों से चलाया गया था। उनके नाम साहिब, सिंध व सुल्तान थे। 51 मिनट में यह ट्रेन बोरीबंदर से थाणे पहुंची थी। इनके बीच कुल चार स्टेशन थे जिनमें बोरीबंदर, बाईकुला, सीओ एंड व थाणे थे।
रेलवे के इतिहास को माने तो पहला आरक्षण टिकट सेवा 17 अप्रैल व टाइम टैबुल 18 अप्रैल 1853 को शुरू हो गया। 1856 में डबल डेकर ट्रेन व 1862 में आरएमएस सेवा की शुरुआत हुई। ट्रेन में लग्जरी सैलून की शुरुआत 1863 में शुरू हुआ। पहले ट्रेनों में बाथरूम नहीं होता था लेकिन 1891 में यह सुविधा भी शुरू कर दी गई। इसके पहले कोचों में बिजली भी नहीं होती थी लेकिन 1902 में बिजली, 1903 में पंखा व 1904 में खाना बनाने की व्यवस्था शुरू हो गई।
रेलवे के अनुसार पहला आटोमैटिक सिग्नल बांबे वीटी (विक्टोरिया टर्मिनल) व कुर्ला के बीच 1928 में शुरू हुआ। ट्रेन में प्रथम फस्ट एसी कोच 1936 में, पीआरएस सिस्टम 1986 में शुरू हुआ। रेलवे के इतिहास के अनुसार भारतीय रेल की पहली महिला चालक सुरेखा घोसले ने 1990 में ईएमयू ट्रेन को चलाया। वहीं डीजल इंजन को 1992 में मुमताज कत्था वाला ने संचालित किया।
वर्तमान में भारतीय रेलवे 64 हजार 600 रूट किलो मीटर रेलवे लाइन पर ट्रेनों का संचालन कर रही है। रोजाना लगभग दो करोड़ 30 लाख यात्रियों को एक जगह से दूसरे जगह यात्रा करा रही है। एक मीलियन टन सालाना लोहा, कोयला, यूरिया, सीमेंट, स्टील व अन्य वस्तुओं की ढुलाई करती है। रेलवे के अनुसार भारतीय रेल राष्ट्र की अर्थव्यवस्था की रीढ़ बन चुकी है।
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