Worms in Stomach: इतने खतरनाक होते हैं पेट के कीड़े, असलियत उड़ा देगी होश
बुलंदशहर में पेट के कीड़ों से होने वाले खतरे को रोकने के लिए कृमि मुक्ति अभियान चलाया जा रहा है। स्वास्थ्य विभाग 16 लाख बच्चों को एल्बेंडाजोल दवा खिलाने का लक्ष्य लेकर चल रहा है। यह अभियान बच्चों को साफ-सफाई के प्रति जागरूक करने पर भी केंद्रित है क्योंकि पेट के कीड़े बच्चों के मानसिक और शारीरिक विकास को बाधित कर सकते हैं।

जागरण संवाददाता, बुलंदशहर। पेट में पाए जाने वाले कीड़े केवल पाचन तंत्र को नुकसान नहीं पहुंचाते, बल्कि बच्चों को गंभीर मानसिक बीमारियों का भी शिकार बना सकते हैं। स्वास्थ्य विशेषज्ञों के मुताबिक पेट में कीड़ों के कारण बच्चों में मानसिक विकास रुक सकता है और एपिलिप्सी जैसी बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है। इसी खतरे को रोकने के लिए हर साल राष्ट्रीय कृमि मुक्ति दिवस मनाया जाता है।
सीएमओ डा. सुनील कुमार दोहरे का कहना है कि 11 अगस्त से जिले में कृमि मुक्ति अभियान शुरू किया गया, जोकि 14 अगस्त तक पूरे प्रदेश में चलेगा। एक वर्ष से 19 वर्ष तक के बच्चों को एल्बेंडाजोल दवा खिलाकर पेट के कीड़ों से बचाने का लक्ष्य है। स्वास्थ्य विभाग ने जिले में इस बार 16 लाख बच्चों को दवा खिलाने का लक्ष्य निर्धारित किया है।
एक से दो वर्ष के बच्चों को 200 मिलीग्राम एल्बेंडाजोल, दो से तीन वर्ष से ऊपर के बच्चों को 400 मिलीग्राम और तीन से 19 वर्ष तक के सभी बच्चों को एक-एक गोली दी जाएगी। इस दवा को केवल चबाकर खाने से ही इसका असर होता है। इसलिए बच्चों को पानी के साथ निगलने के बजाय चबाने के लिए प्रेरित किया जाएगा।
राष्ट्रीय कृमि मुक्ति दिवस पर होने वाला यह अभियान सिर्फ दवा खिलाने तक सीमित नहीं है, बल्कि बच्चों और अभिभावकों को साफ-सफाई के महत्व बताना भी इसका हिस्सा है। स्कूलों, आंगनबाड़ी केंद्रों और स्वास्थ्य उपकेंद्रों पर बच्चों को दवा दी जा रही। स्वास्थ्य विभाग ने अपील की है कि वे बच्चों को दवा जरूर दिलवाएं।
अब छूटे बच्चों को दवा खलाई जा रही है। जिला सर्विलांस अधिकारी डा. रमित कुमार सिंह ने बताया कि खराब सफाई, दूषित पानी, खुले में शौच और गंदे हाथों से खाना खाने से पेट में कीड़े हो जाते हैं। ये कीड़े बच्चों के खून से पोषण चूस लेते हैं। इससे बच्चों में खून की कमी, वजन घटना, थकान, चिड़चिड़ापन, पढ़ाई में मन न लगना और याददाश्त की कमी जैसी समस्याएं पैदा हो जाती हैं।

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