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    15 साल के बाद बेटे से गले मिलकर नम हुई मां की आंखें, पुलिस-प्रशासनिक अधिकारियों के भी निकले आंसू

    Updated: Thu, 10 Apr 2025 10:05 AM (IST)

    यूपी के बुलंदशहर में 15 वर्षों से अपने बेटे से अलग रह रही मां उर्मिला देवी को एसडीएम और सीओ के प्रयास से अपने बेटे हरिओम से मिल गई। उर्मिला के पति की मौत के बाद वह बेटे के साथ रहती थी लेकिन बेटा बिना बताए घर छोड़कर चला गया था। अधिकारियों ने दोनों को मिलाकर बेटे को मां के सुपुर्द कर दिया।

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    स्याना सीओ कार्यालय में सीओ प्रखर पांडे की मौजूदगी में बेटे हरिओम के साथ खड़ी मां उर्मिला। जागरण

    जागरण संवाददाता, बुलंदशहर। बीते 15 वर्षों से अपने बेटे से दूर रह रही एक मां जब बेटे से गले मिली, तो उसकी आंखें खुशी से नम हो गई। वहीं, मां-बेटे के इस प्यार भरे मिलन के दृश्य को देख पुलिस-प्रशासनिक अधिकारी भी अपने आंसू नहीं रोक पाए।

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    उर्मिला देवी बिहार के जिला गोपालगंज के गांव भुपतीपुर की निवासी हैं। उर्मिला देवी की 2002 में तहसील क्षेत्र के ग्राम नरसैना निवासी सुशील कुमार के साथ शादी हुई थी। 

    शादी के चार साल बाद उर्मिला ने एक बेटे को जन्म दिया। वहीं, बेटे के जन्म के कुछ ही वर्ष बाद उर्मिला के पति की मौत हो गई, जिसके बाद उर्मिला अपने बेटे हरिओम के साथ क्षेत्र के ग्राम किसौला में रहने लगी, जहां पर उर्मिला मेहनत मजदूरी कर अपना व बेटे का पालन पोषण करती थी। 

    लगभग 15 वर्ष पूर्व उर्मिला का बेटा बिना बताए नरसेना चला गया। उसी दौरान से बेटा नरसेना में एक मुंह बोले ताऊ के घर में रह रहा था। उर्मिला ने बताया कि उसने बेटे को लाने के लिए काफी प्रयास किया, लेकिन उसका बेटा उसके पास नहीं आ रहा था, जिस कारण उर्मिला ने अपनी सुध-बुध खो दी, लेकिन उसके बाद भी लगातार अधिकारियों से बेटे को वापस दिलाने की गुहार लगाती रही।

    एसडीएम-सीओ के प्रयास ने मां-बेटे को एक दूसरे से मिलाया

    एसडीएम गजेंद्र सिंह व सीओ प्रखर पांडे द्वारा मामले को गंभीरता से लिया गया। वहीं दोनों अधिकारियों के प्रयास ने बुधवार को सीओ कार्यालय में बेटे को उसकी मां से मिलाकर उसके सुपुर्द कर दिया। 

    दोनों अधिकारियों की मौजूदगी में बेटे ने मिठाई खिलाने के साथ-साथ पैर छूकर मां का आशीर्वाद लिया। मां भी अपने बेटे को गले लगा कर उसे काफी समय तक दुलारती रही। वहीं, उर्मिला ने पुलिस प्रशासनिक अधिकारियों का भी धन्यवाद किया।

    उर्मिला के पास नहीं कोई अपना आसरा

    उर्मिला बीते काफी वर्षों से नगर में रहकर मेहनत-मजदूरी कर अपना जीवन यापन कर रही है। वहीं उर्मिला के पास रहने के लिए मकान तक नहीं है। जिस कारण उर्मिला को मजबूरन इधर-उधर भटकना पड़ रहा है। 

    एसडीएम गजेंद्र सिंह ने कहा कि पट्टे की भूमि तलाश कर उर्मिला व उसके बेटे के रहने के लिए प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत जल्द ही मकान का निर्माण कराया जाएगा। जब तक उर्मिला को नगर में किसी किराए के मकान में रहने के लिए व्यवस्था कराई जाएगी। दोनों पुलिस-प्रशासनिक अधिकारियों ने उर्मिला के बेटे की नौकरी लगवाने का आश्वासन भी दिया है। 

    एसडीएम ने बताया कि निजी कंपनी में वार्ता कर योग्यता के अनुसार युवक की नौकरी लगवाने के साथ-साथ नियमानुसार अन्य सरकारी सुविधा दिलवाने की भी बात कही है। एसडीएम व सीओ ने बताया कि बीते 15 वर्षों से मां-बेटे एक दूसरे से अलग रह रहे थे। वहीं बेटे से मिलने के लिए लगातार उर्मिला प्रार्थना पत्र दे रही थी। बेटे से वार्ता कर समझा बुझाकर दोनों को एक-दूसरे से मिला दिया गया है।