Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    घरेलू नुस्खों एवं विधियों से रसोई में ही कर सकते हैं मिलावट की पहचान

    By Jagran NewsEdited By: Taruna Tayal
    Updated: Thu, 20 Oct 2022 05:41 PM (IST)

    दीवापली पर्व नजदीक आते ही बाजार में मिठाई खाद्य पदार्थों की ब‍िक्री काफी बढ़ जाती है। मुनाफाखोरी के लिए घोला जाता है मिलावट का जहर ऐसे में विशेषज्ञ दे रहे पहचान के टिप्स। इस तरह घर पर ही करें पहचान।

    Hero Image
    विशेषज्ञ दे रहे खाद्य पदार्थों में मिलावट के पहचान के टिप्स।

    बुलंदशहर, जागरण संवाददाता। चटकीले हानिकारक रंगों की मिलावट खाद्य पदार्थों को खरीदने के लिए ग्राहकों को आकर्षित जरूरत करती है, लेकिन मिलावट का जहर लोगों की सेहत पर भारी पड़ता है। जबकि खाद्य सुरक्षा विभाग की छापेमारी के बाद भरे नमूनों की रिपोर्ट आने में काफी देर होती है, तब तक इनकी दुकानों पर ब्रिकी धड़ल्ले से होती रहती है। ऐसे में कुछ घरेलू नुस्खों एवं विधियों का इस्तेमाल करके रसोई में ही मिलावट की पहचान की जा सकती है। दीवापली पर्व नजदीक आते ही बाजार में मिठाई, खाद्य पदार्थों की ब्रिकी बढ़ जाती है। लोग इस पर्व की खुशियां साझा करने के लिए एक दूसरे के घर पहुंचते हैं। मिष्ठान, उपहार आदि देकर शुभकामनाएं देते हैं। इसी का फायदा उठाकर मिलावटखोर सक्रिय होते हैं। मुनाफाखोरी के लिए खाद्य पदार्थों में मिलावट का जहर घोलने से नहीं चूकते। एक दूसरे को बड़े प्रेम एवं चाव के साथ दी मिलावटी मिठाई एवं अन्य खाद्य सामग्री सेहत बिगाड़ देती है। मेरठ विज्ञान केंद्र के जिला समन्वयक दीपक शर्मा का कहना है कि ऐसे में लोगों को सावधान होने की जरूरत हैं। कुछ साधारण विधियों से ही मिलावट की घर पर ही पहचान कर सकते हैं।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    इस तरह खाद्य सामग्रियों में करें मिलावट की पहचान

    दूध : पानी मिलाया जाता है। मक्खन निकाल लिया जाता है। इससे संग्रहणी की शिकायत होती है। कांच के गिलास में दूध लेकर आयोडीन की दो चार बूंद डाले। दूध में नीला काला रंग आ जाएगा।

    घी : वनस्पति और उबले आलू की मिलावट की जाती है। इससे पाचन रोग की संभावना बढ़ जाती है। आधा चम्मच घी, आधा चम्मच एचसीएल और आधा चम्मच चीनी मिलाकर कुछ देर हिलाकर गर्म करें। दस मिनट में लाल रंग आने पर वनस्पति के मिलावट की पुष्टि हो जाएगी। आयोडीन की दो-चार बूंद डालने पर नीला काला रंग आएगा। इससे आलू की मिलावट का पता लग जाएगा।

    सूजी : लोहे एवं कोयले के कण मिलाए जाते हैं। इससे अल्सर होता है। चुंबक फिराने पर लोहे के कण चुंबक में चिपक जाएंगे। कांच के गिलास में भरे पानी में सूजी डालने पर कोयले के कण तैरने लगेंगे। मक्खन, मिठाई, खोया में मैदा, गेहूं का बारीख आटा मिलाया जाता है। इससे पाचन रोग होता है। मिलावटी मक्खन, मिठाई, खोया में अायोडीन डालने पर नीला या काला रंग आएगा। केसर में मकाई की रंगीन मूंछ मिलाई जाती है। इससे भी पाचन रोग होता है। मिलावटी केसर को पानी में डालने पर मकाई की मूंछ पर लगा रंग पानी में आ आ जाएगा।

    लाल मिर्च : लकड़ी का बुरादा और ईंट का चूरा मिलाया जाता है। इससे आंत रोग होता है। कांच के पानी भरे गिलास में मिलावटी लाल मिर्च डालने पर लकड़ी का बुरादा पानी में तैरने लगेगा। मिर्च धीर-धीरे पानी में नीचे बैठ जाएगी। जबकि ईंट का चूरा तुरंत नीचे बैठ जाएगा और मिर्च धीरे-धीरे पानी में नीचे बैठेगी।

    सबुत हल्दी, मिठाई जलेबी, अरहर की दाल, मूंग की दाल : मेटानियल यलो रंग केसारी मटर की मिलावट की जाती है। इससे केंसर, गठिया, जोड़ों का दर्द होता है। कांच के पानी भरे गिलास में दो-चार बूंद एचसीएल मिलाने पर लाल रंग आएगा और मिलावट की पुष्टि होगी। पिसी हल्दी में ज्यादातर गेरू की मिलावट की जाती है। जांच करने के लिए हल्दी को एक गिलास पानी में घोल लें। घोल में एक मिली आयोडीन डाल दें। घोल का रंग नीला पड़ने पर मिलावट की पुष्टि हो जाएगी।

    साबुत काली मिर्च : एक गिलास पानी में सबुत काली मिर्च के दाने डालिए। अगर वे डूब जाएं तो समझें शुद्ध काली मिर्च है। तैरती रहे तो हो सकता है गुलमोहर या पपीते के बीज उसमें मिलाए गए हैं।

    जीरा : मिलावट का पता लगाने के लिए जीरे को हथेलियों के बीच रगड़िए, यदि आपके हाथ में कुछ रंग लग जाए तो समझिए कि जीरा मिलावटी/नकली है।

    चीनी : जब भी आप चीनी खरीदें उसे हथेली पर रखकर रगड़े। यदि वह चूरा हो जाती है तो समझिए कि सल्फर है। इसमें मिठास कम व कुछ गंध सी आती है। शुद्ध चीनी होने पर उसका चूरा नहीं होगा।