फार्मेसी काउंसिल से सत्यापन के लिए सीएमओ आफिस आया प्रमाण-पत्र...जांच-पड़ताल हुई तो पता चला वह फर्जी था
कल्याण सिंह राजकीय मेडिकल कालेज से संबद्ध जिला महिला अस्पताल से फार्मेसी के एक छात्र को बिना प्रशिक्षण किए प्रमाण-पत्र जारी कर दिया गया। मामले का पता तब चला जब फार्मेसी ने सत्यापन के लिए प्रमाण-पत्र को स्वास्थ्य विभाग भेजा और इसका कोई रिकार्ड नहीं मिला।

जिला अस्पताल से जारी प्रमाण-पत्र जांच-पड़ताल में मिला फर्जी। (प्रतीकात्मक फोटो)
जागरण संवाददाता, बुलंदशहर। कल्याण सिंह राजकीय मेडिकल कालेज से संबद्ध जिला महिला अस्पताल से फार्मेसी के एक छात्र को बिना प्रशिक्षण किए प्रमाण-पत्र जारी कर दिया गया। मामले का पता तब चला जब फार्मेसी ने सत्यापन के लिए प्रमाण-पत्र को स्वास्थ्य विभाग भेजा और इसका कोई रिकार्ड नहीं मिला। प्रमाण-पत्र पर जिला अस्पताल के एक सर्जन के हस्ताक्षर हैं।
दरअसल, बी-फार्मा और डी-फार्मा करने वाले छात्र सरकारी अस्पतालों से इंटर्नशिप करते हैं। इसमें डी-फार्मा वाले छात्र छह माह और बी-फार्मा वाले डेढ़-डेढ़ माह की ट्रेनिंग करते हैं। इसके बाद संबंधित सीएचसी या जिला अस्पताल के अधीक्षक प्रमाण-पत्र जारी करते हैं। बाद में फार्मासिस्ट फार्मेसी काउंसिल में रजिस्ट्रेशन के लिए आवेदन किया जाता है। फार्मेसी काउंसिल रजिस्ट्रेशन के पहले सत्यापन कराती है।
वर्ष-2024 में जिला अस्पताल से सिविल लाइंस निवासी रवि शर्मा को इंटर्नशिप प्रमाण-पत्र दिया गया। रवि शर्मा ने रजिस्ट्रेशन के लिए दिल्ली फार्मेसी काउंसिल में आवेदन किया। दिल्ली फार्मेसी काउंसिल ने प्रमाण-पत्र को सत्यापन के लिए भेजा। सीएमओ आफिस से अधिकारियों ने जिला अस्पताल से इसका रिकार्ड मांगा तो सत्यापन में रवि शर्मा का कोई रिकार्ड नहीं मिला। प्रमाण-पत्र पर जिला अस्पताल के एक सर्जन के हस्ताक्षर हैं।
अधिकारियों का कहना है कि रिकार्ड न मिलने से साफ हो गया है, कि सर्जन ने फर्जी प्रमाण-पत्र जारी कर दिया। इससे पहले भी जिला अस्पताल में इंटर्नशिप कराने के नाम पर रुपये मांगने के आरोप लगते रहे हैं। सीएमएस डा.प्रदीप राणा ने बताया कि प्रमाण-पत्र पर लगी मुहर भी जिला अस्पताल की नहीं है। सीएमओ डा. सुनील कुमार दोहरे ने बताया कि दिल्ली फार्मेसी काउंसिल को प्रमाण-पत्र के फर्जी होने की सूचना भेजी जा रही है। साथ ही सीएमओ को जांच करने को कहा है।
इसलिए होती है इंटर्नशिप
फार्मेसी इंटर्नशिप छात्रों को व्यावहारिक अनुभव प्रदान करती है, जिसमें सरकारी अस्पताल और फार्मास्युटिकल कंपनियों में काम करना शामिल है। यह एक अनिवार्य आवश्यकता है। खासकर डिग्री के लिए और यह छात्रों को दवाओं की वास्तविक दुनिया के वातावरण में अपने कौशल का अभ्यास करने की अनुमति देता है। इंटर्नशिप की अवधि तीन महीने से एक साल तक हो सकती है, और यह अक्सर वेतन-आधारित प्रशिक्षण होती है।

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