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    परिवार ने टीका लगवाने से किया था इनकार, 10 साल के बच्चे को हो गया डिप्थीरिया; खाना निगलते तक में दिक्कत

    Updated: Fri, 28 Nov 2025 05:08 PM (IST)

    बुलंदशहर में एक परिवार द्वारा टीकाकरण का विरोध करने पर उनके दस वर्षीय बच्चे को डिप्थीरिया हो गया। हालत बिगड़ने पर उसे अस्पताल में एंटी डिप्थीरम सीरम (एडीएस) लगाया गया और होम क्वारंटाइन किया गया। स्वास्थ्य विभाग के अनुसार, परिवार ने टीकाकरण का विरोध किया था, जिसके कारण बच्चे को यह बीमारी हुई। डिप्थीरिया से बचाव के लिए टीकाकरण आवश्यक है।

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    जागरण संवाददाता, बुलंदशहर। टीकाकरण का विरोध करना एक परिवार को भारी पड़ गया। परिवार के दस वर्षीय बच्चे को डिप्थीरिया हो गया। बीमार होने पर हालत बिगड़ी तो गुरुवार को स्वजन बच्चे को लेकर जिला अस्पताल पहुंचे। यहां बच्चे को एडीएस (एंटी डिप्थीरम सीरम) लगाया गया। बच्चे को होम क्वारंटाइन कर दिया गया है।

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    तमाम जागरूकता और टीकाकरण के बाद भी डिप्थीरिया के मामले सामने आ रहे हैं। अब बुलंदशहर निवासी दस वर्षीय की तबीयत बिगड़ी। कई दिनों तक बुखार और गले में दर्द की शिकायत होने के साथ सांस लेने और खाना निगलने में कठिनाई होने पर स्वजन उसको लेकर जिला अस्पताल पहुंचे। यहां चिकित्सकों ने डिप्थीरिया की बीमारी के लक्षण बताए गए।

    इसके बाद चिकित्सकों ने स्वास्थ्य विभाग को सूचित किया, क्योंकि एडीएस (एंटी डिप्थीरम सीरम) लगाने के लिए बाल रोग विशेषज्ञ चाहिए था। बाल रोग विशेषज्ञ एडीएस नहीं आ रहे थे। सीएमओ के निर्देश पर बच्चे को सीरम लगाया गया। इसके बाद सीएमओ डा. सुनील कुमार दोहरे ने डिप्थीरिया होने का कारण जानने के निर्देश दिए।

    स्वास्थ्य अधिकारियों ने पता कि तो पता चला जब डिप्थीरिया का टीका लगाने के लिए स्वास्थ्य विभाग की टीम पहुंची तो इस परिवार ने टीकाकरण का विरोध किया। परिवार टीकाकरण का विरोध नहीं करता तो टीका लग जाता और बच्चे को डिप्थीरिया नहीं होता। सीएमओ ने बताया कि डिप्थीरिया कोरिनेबैक्टीरियम डिप्थीरिया नामक बैक्टीरिया के कारण होता है।

    इस बीमारी का संक्रमण आमतौर पर संक्रमित व्यक्ति के खांसने, छींकने या सीधे संपर्क से फैलता है। डिप्थीरिया से बचाव का सबसे प्रभावी तरीका टीकाकरण ही है। राष्ट्रीय टीकाकरण कार्यक्रमों के तहत बच्चों को डीपीटी (डिप्थीरिया, काली खांसी, टिटनेस) वैक्सीन दी जाती है। टीकाकरण जरूर कराना चाहिए।

    लक्षण
    गले में दर्द और बुखार
    गले के अंदर भूरे रंग के ऊतक की परत बनना
    सांस लेने और निगलने में कठिनाई
    सूजी हुई लसीका ग्रंथियां (लिम्फ नोड्स)
    सामान्य कमजोरी
    त्वचा पर घाव या संक्रमण भी हो सकता है।