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    कहां है सप्लीमेंट्री मेडिकल रिपोर्ट?

    By Edited By:
    Updated: Sat, 04 Aug 2012 10:27 PM (IST)

    बुलंदशहर : मदनपुर में दलित छात्रा के साथ सामूहिक दुष्कर्म कांड के मामले में खेल अभी थमा नहीं है। मेडिकल के पांचवें दिन भी शुक्रवार को सप्लीमेंट्री रिपोर्ट न आने से एक बार फिर गड़बड़ी की आशंका नजर आ रही है, जबकि अमूमन ऐसी रिपोर्ट दो से तीन दिन में आ जाती हैं।

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    सामूहिक दुष्कर्म की छात्रा का मेडिकल परीक्षण खुर्जा पुलिस ने 31 जुलाई को जिला अस्पताल में करवाया था। प्रारंभिक रिपोर्ट में दुष्कर्म की पुष्टि नहीं हुई थी। मगर 'दैनिक जागरण' के खुलासे के बाद मामला हाईप्रोफाइल हो चुका है। अब सबकी निगाह सप्लीमेंटी मेडिकल रिपोर्ट पर लगी हैं। आमतौर पर सप्लीमेंट्री रिपोर्ट मेडिकल के दूसरे या तीसरे दिन तैयार हो जाती है। मगर, इस मामले में मेडिकल के पांचवे दिन भी शुक्रवार को रिपोर्ट तैयार नहीं हुई।

    नियमानुसार दुराचार के मामलों में मेडिकल के बाद सीएमओ स्तर से उम्र का सार्टिफिकेट निर्गत होता है। इसी बीच जिला अस्पताल की पैथोलॉजी स्लाइड रिपोर्ट देती है। दोनों रिपोर्ट मिल जाने के बाद महिला जिला अस्पताल की ओर से सप्लीमेंट्री रिपोर्ट तैयार की जाती है। फाइनल रिपोर्ट आने में देरी क्यों हो रही है? ऐसे में एक बार फिर संशय का सवाल खड़ा हो रहा है।

    डीएम से की री मेडिकल की मांग

    मेडिकल रिपोर्ट को लेकर उठे विवाद में पीड़ित छात्रा के परिजनों ने री मेडिकल की मांग की है। छात्रा के परिजनों ने डीएम कार्यालय पहुंचकर एक प्रार्थनापत्र दिया है, जिसमें छात्रा का दुबारा मेडिकल कराने की मांग की गई है। परिजनों का आरोप है कि उन्हें पहली रिपोर्ट पर शक है। दूसरी बार मेडिकल कराया जाए तो अभी भी सामने आ सकता है कि किस तरह ले देकर प्रारंभिक रिपोर्ट तैयार करवाई गई थी।

    परिजनों ने कहा धन्यवाद जागरण

    दलित छात्रा के साथ दुष्कर्म कांड को लेकर दैनिक जागरण की इन्वेस्टिगेटिव रिपोर्टिग को लेकर पीड़ित छात्रा के परिजनों ने धन्यवाद जताया है। परिजनों ने बताया कि पहले पुलिस ने वारदात को दबाने की कोशिश की। उन पर रुपये लेकर समझौते का दबाव बनाया गया। जब खबर मीडिया में सुर्खियां बनी तो पुलिस को मजबूरन मेडिकल कराना पड़ा। मगर, प्रारंभिक मेडिकल रिपोर्ट ऐसी थी, जिसने पीड़िता को ही कटघरे में खड़ा कर दिया। वह जानते थे कि उनके साथ गलत हुआ, मगर पुलिस द्वारा तैयार किए जा रहे कूटरचित सबूतों के सामने वह झूठे सिद्ध हो रहे थे। ऐसे में दैनिक जागरण उन लोगों की आवाज बना।

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