80 रुपये में कहां से आ रहा है पनीर?
संजीव मिश्र, बुलंदशहर
कौन कहता है महंगाई बढ़ गई है! भले दुधारू पशुओं की गर्दन पर छुरियां चल रही हैं और दूध, दही, घी के भाव आसमान पर हैं, मगर पनीर के मामले आप ऐसा कतई नहीं कह सकते। शहर में 80 से 100 रुपये किलो में पनीर उपलब्ध है। रिफाइंड और कास्टिक के तड़के के साथ। ऐसा संभव हो रहा है बदायूं, मुरादाबाद, पंचशीलनगर आदि जनपदों की मेहरबानी से। वहां से रोजाना कुंतलों पनीर की सप्लाई हो रही है। और सस्ते के चक्कर में कारोबारी मोटा सौदा कर रहे हैं।
तेल-मसाले के जोर से कढ़ाई पनीर, शाही पनीर और मटर पनीर का स्वाद लेकर भले आप संतुष्ट हो रहे हों, लेकिन अगर हड्डियों की मजबूती और पोषक तत्वों के लिए यह पनीर खा रहे हैं तो शायद भ्रम में हैं। कारण, अच्छा दूध इस वक्त 32 से 36 रुपये किलो में बिक रहा है। यहां तक कि दही का भाव भी 60 से 80 रुपये किलो है, मगर शहर में बिकने वाली खास तरह की पनीर का भाव इन सारी कीमतों को झुठला रहा है। शहर में 80 से सौ रुपये किलो तक में पनीर की दुकानें सजी हैं। हालांकि यह रेट भी आदमी देखकर तय होता है। पहले 160 रुपये से बोली लगनी शुरू होती है, और 140 से 120 रुपये में आसानी से बात पट जाती है। अगर कोई बहुत पारखी निकला तो उसकी कीमत क्रमश: घटती जाती है।
यह भाव भी प्रति किलो का है। होटल-ढाबा चलाने वाले थोक खरीदारों का रेट अलग है। सवाल यह उठता है कि जब उपभोक्ताओं को इतनी सस्ती मिल रही है तो खरीद किस भाव में पड़ती होगी? सवाल यह भी है कि जो दो सौ रुपये प्रति किलो में बिक रही है, वह क्या है?
क्या है सस्ते का राज
जब 10 के बदले 50 कमाने का जमाना हो और महंगाई ने कमर तोड़ रखी हो, ऐसे में दुकानदारों की यह 'दरियादिली' यूं ही नहीं है। इसके पीछे सेहत के सौदागारों का दिमाग काम कर रहा है। दरअसल, यह पनीर मुख्य रूप से बदायूं के अलावा मुरादाबाद और हापुड़ से यहां आ रही है। इन शहरों में दूध के कई ऐसे मिनी प्लांट हैं, जहां क्रीम निकालकर पाउडर तैयार किया जाता है। यह पनीर उसी से तैयार होता है, जिसे सप्रेटा दूध का पनीर कहते हैं। मिलावट से इसे क्रीमयुक्त पनीर का रूप दिया जाता है। चूंकि फैट निकालने के बाद पनीर रबड़-सी खिंचने लगती है, लिहाजा उसे मुलायम बनाए रखने के लिए उसमें रिफाइंड मिलाया जाता है। फिर कास्टिक मिलाकर ऐसी प्रक्रिया अपनाई जाती है, जिससे यह न लगे कि रिफाइंड मिला हुआ है। इस 'खास' पनीर की गंध भी अलग तरह की होती है।
ये हैं ठिकाने
बुलंदशहर : दूसरे जिलों से आने वाली पनीर दो हिस्सों में शहर तक पहुंचती है। कुछ माल तो भूड़ व आसपास हाईवे पर उतर जाता है, फिर वहां से रिक्शे आदि से लाया जाता है। कुछ गाड़ियां सीधे अलसुबह लाल तालाब स्थित सब्जी मंडी पर भी पहुंचती हैं। यहां से सराय छत्ता, सुनारों वाली गली व अन्य इलाकों में सप्लाई होती है।
यह है नियम
यदि सप्रेटा दूध की पनीर बेची जा रही है तो कायदे से दुकान पर इसका डिस्प्ले होना चाहिए, लेकिन इसका पालन कहीं नहीं हो रहा है। उपभोक्ता सस्ते के भ्रम में शिकार हो रहे हैं।
नहीं हो रही रूटीन चेकिंग
शहर में मानकों को दरकिनार कर पनीर के कारोबार के फलने-फूलने की सूचना 'दैनिक जागरण' ने प्रशासन को दी, लेकिन दुकानदारों को पहले ही भनक लग गई। लाल तालाब पर खाद्य विभाग की टीम पहुंची तो अधिकांश कारोबारी भाग चुके थे। दो नमूने भरकर अधिकारी लौट आए। उन पर शिकंजे के लिए बाद में भी कोई प्रयास नहीं किया गया। चूंकि उच्चाधिकारी निकाय चुनाव में व्यस्त हैं, लिहाजा पूरी मौज-बहार है।
इनका कहना है..
शिकायत पर कार्रवाई की गई। कुछ लोग भाग गए थे। नमूना भरकर जांच के लिए भेजा गया है, रिपोर्ट के आधार पर कार्रवाई होगी। सप्रेटा का डिस्प्ले न होना गलत है। 80 रुपये किलो की कहीं से सूचना नहीं है।
राजीव कुमार सिंह, एफएसओ सदर
जांच के लिए टीम भेजी गई थी, फिलहाल कोई गंभीर रिपोर्ट नहीं मिली है। विभागीय अधिकारियों की जवाबदेही तय की जाएगी। यदि अधोमानक कारोबार हो रहा है और इसमें किसी अधिकारी-कर्मचारी की संलिप्तता है तो इसकी जांच कर अपेक्षित कार्रवाई की जाएगी। किसी को लोगों की सेहत से खिलवाड़ नहीं करने दिया जाएगा, चाहे कोई भी हो।
एके सिंह, नगर मजिस्ट्रेट/प्रभारी अधिकारी।
मोबाइल पर ताजा खबरें, फोटो, वीडियो व लाइव स्कोर देखने के लिए जाएं m.jagran.com पर
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।