नैतिकता ही भारत की पहचान
गुलावठी: भारत सांस्कृतिक, सामाजिक, पुरातन संस्कृति का देश है। भारत भूमि देवताओं की पुण्य भूमि है। हम
गुलावठी: भारत सांस्कृतिक, सामाजिक, पुरातन संस्कृति का देश है। भारत भूमि देवताओं की पुण्य भूमि है। हमारे देश की विरासत में हमें नैतिकता एवं सामाजिक मूल्यों का इतिहास मिला है। संपूर्ण विश्व में भारत की पहचान का प्रतीक नैतिकता है लेकिन यह कहते हुए बेहद अफसोस होता है कि आज की हमारी नई एवं आधुनिक पीढ़ी जिसमें सब भी आते है, इस बेशकीमती धरोहर को खोते जा रहे हैं। शिष्ट या सभ्य पुरुषों का आचार सदाचार कहलाता है। दूसरों के प्रति अच्छा व्यवहार, घर आए आगन्तुक का आदर करना, बिना द्वेष व नि:स्वार्थ भाव से किया गया सम्मान शिष्टाचार कहलाता है। शिष्टाचार का अंकुर बच्चों के हृदय में बचपन से बोया जाता है अर्थात छात्र जीवन में धीरे-धीरे विकास की ओर अग्रसर होता है। वीर शिरोमणि शिवाजी की पहली गुरु उनकी मां जीजाबाई थी। रामायण में पति-पत्नी, भाई-भाई, गुरु-शिष्य, पिता-पुत्र, माता-पिता एवं पारिवारिक रिश्तों में हम शिष्टता, नैतिकता, सद्विचार, करुणा, प्रेम, त्याग, दया, सहानुभूति, कर्म एवं कर्तव्य की शिक्षा एवं संबंध को अच्छी तरह समझ सकते है। समाज में शिक्षक की भूमिका अधिक महत्वपूर्ण है। बच्चों के भविष्य को सुंदर व सु²ढ़ बनाने की सारी जिम्मेदारी शिक्षकों की होती है। बिना गुरु के ज्ञान की अवधारणा ही व्यर्थ है। छोटे-छोटे बच्चों को चोरी न करने, बड़ों का आदर करना, सभ्यता को अपनाने तथा संस्कृति से प्यार करने की शिक्षा भी तो शिक्षक ही देते है। बच्चों का चरित्र निर्माण शिक्षकों के द्वारा ही होता है। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने अपनी आत्मकथा में शिक्षक की भूमिका का उल्लेख किया है। वह कहते थे कि शिक्षा का सही उद्देश्य चरित्र निर्माण होना चाहिए। शिक्षक आदर के योग्य होते है। उन्हें छात्रों के मानसिक एवं चारित्रिक विकास पर ध्यान देना चाहिए। आज नैतिक मूल्यों के अभाव में परिवार टूट रहे है। अपने स्वयं के बच्चे पत्नी के अलावा अन्य सदस्यों पर ध्यान नही देते है। पहले संयुक्त परिवार में सभी परिवार के सदस्य इकट्ठे रहते थे लेकिन नैतिक मूल्यों के अभाव के कारण ही परिवार में दरार पड़ती है और पूरा परिवार बिखर जाता है।
- सतपाल कौर, प्रधानाचार्या लॉरेंस एकेडमी सीनियर सेकेंड्री स्कूल गुलावठी।
बुल 19:
नैतिक मूल्य है अमूल्य धरोहर
नैतिक मूल्य एक तरह से भारतीय संस्कृति की पहचान पुरखों से विरासत से मिली अनमोल धरोहर है। सत्यवादिता, दयालुता, निष्कपट, सदाचार, संतोष, पारस्परिक सहयोग यह सभी नैतिकता के आधार बिन्दु है। नैतिक मूल्यों के अभाव के कारण व्यक्ति के चरित्र में गिरावट आती जा रही है। आज अपराधों का ग्राफ हर वर्ष बढ़ता जा रहा है। चोरी, डकैती, बलात्कार, हत्याएं इसलिए हो रही है कि व्यक्ति स्वयं के जीवन में कुछ आदर्शों, नैतिक मूल्यों को जीवन में स्थान नही दे पा रहा है। इसलिए बच्चों को अच्छे संस्कारों की नितांत आवश्यकता है। ईमानदारी, सत्यता, विवेक, करुणा, प्रलोभनों से दूर रहना ही नैतिक मूल्यों के आदर्श तत्व है। अध्यापक की अनुपस्थिति पर अनुशासन भंग करना, गृह कार्य करके न लाना, राष्ट्र ध्वज का अपमान करना अपराध ही नही बल्कि अशिष्टाचार है। लाल बहादुर शास्त्री , अटल जी ऐसे नेता थे जो नैतिक मूल्यों को महत्व देते थे। आज अंतरात्मा की आवाज न सुनकर केवल भौतिक सुविधाओं की ओर ध्यान दिया जा रहा है।
- पूजा ¨सह, शिक्षिका, लॉरेंस एकेडमी, गुलावठी।
बुल 20:
युवा पीढ़ी में आई है नैतिक गिरावट
संपूर्ण विश्व में भारतीय संस्कृति की पहचान नैतिकता के कारण ही है। आज युवा पीढ़ी में नैतिक मूल्यों के स्तर में बेहद गिरावट आई है। आज से दशक पूर्व अपने बड़ों का आदर करना उन्हें उचित प्रेम देना कर्तव्य माना जाता था। लोग मिलनसार थे तथा रिश्तों में गर्माहट थी लेकिन आज यह सब कुछ नजर नही आता। आज जिस मां बाप ने हमें जन्म दिया उन्हीं का अपमान करने से हम नही चूकते है। हमारे पास उन्हें महंगा खिलौना जैसे मोबाइल आदि दिलाने के लिए पैसा है किन्तु संस्कार सिखाने के लिए हम उनकी छोटी-छोटी गलतियों को अनदेखा कर देते हैं। जो आगे चलकर अशिष्टता का रुप ले लेती है। शिष्ट व्यवहार हमारे जीवन में बहुत महत्व रखता है जिसके द्वारा हम परायों को भी अपना बना लेते है।
- साधना अग्रवाल, शिक्षिका
बुल 21:
जीवन मूल्यों की रिक्तता ही पतन का कारण
आज हमारे देश के पतन का एक मात्र कारण है कि जीवन मूल्यों की रिक्तता अथवा नैतिक मूल्यों की हीनता। आज हम आपाधापी में लगे हुए है। चारों ओर स्वार्थ, ईष्र्या, अहंकार, लोभ, व्यक्तिगत स्वार्थ की भावना और बेईमानी का बोलबाला है। नैतिक पतन ही देश के पतन का मुख्य कारण है। असफलता तभी आती है जब हम अपने आदर्श, उद्देश्य और सिद्धांत भूल जाते है। और कड़वा सच तो यह है युवाओं को आदर्श, उद्देश्य और सिद्धांत का मतलब नही पता है और उसकी अनैतिकता के चलते हर रोज समाज पतन की नई गहराइयां नाप रहा है। कहा कि अगर मन के किसी कोने में देश के प्रति लगाव और नैतिकता की एक ¨चगारी भी मौजूद होगी तो वह ज्वाला का रुप लेगी।
- पूनम शर्मा, शिक्षिका।
बुल 22: मूल्यों के बिना सुखी रहना असंभव
आधुनिक समय में वैज्ञानिक उपलब्धियों से सभ्यता का विकास अवश्य हुआ है परंतु साथ ही मानवीय मूल्यों का हृास होने से विकट समस्या उत्पन्न हो रही है। आज मनुष्यों भौतिक सुखों की लालसा में भयंकर अपराध करने से भी नही चूकता। ऐसे में नैतिक मूल्यों के अभाव में समाज के सुख की कामना करना केवल एक स्वप्न है।
- दीप्ति शर्मा, छात्रा।
बुल 23: अच्छे चरित्र से होती है चहुंओर शांति
कन्फ्यूशियस के अनुसार, यदि आपका चरित्र अच्छा है तो आपके परिवार में शांति रहेगी। अगर परिवार में शांति रहेगी तभी समाज व राष्ट्र में शांति रहेगी। समाज में बहुत से ऐसे लोग होते है जो अपने ज्ञान, गौरव की भावना से प्रेरित होकर दूसरों को उपदेश देते रहते है जबकि व्यक्तिगत जीवन में उनका कोई नैतिक आधार नही होता।
- सोनम, छात्रा।
बुल 24:
आदर्शो का भूल रहे हैं हम
हम अपने आदर्शो को भूलते जा रहे है। जिसके कारण हम स्वयं ही अपने बल, बुद्धि और वैभव को अपने हाथों खो बैठे है और अनैतिकता के कारण हमारा समाज पतन के गर्त में गिरता जा रहा है। कैसी विडंबना है कि जिस भूमि पर मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम और अर्जुन जैसे योद्धा का जन्म हुआ उसी धरा पर आज हर दूसरे क्षण मर्यादा लांघी जा रही है।
- उर्वशी गोस्वामी, छात्रा।

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