बस्ती-बाजार की शान 'लाल तालाब' है वीरान
शिवानंद राय, बुलंदशहर : बुलंदशहर के तालाबों में एतिहासिक लाल तालाब अब मात्र इतिहास के पन्ने का हिस
शिवानंद राय, बुलंदशहर :
बुलंदशहर के तालाबों में एतिहासिक लाल तालाब अब मात्र इतिहास के पन्ने का हिस्सा बनकर सिमट गया है। अंग्रेजी हुकूमत में अफसरों के स्नान के लिए खोदा गया लाल तालाब (तब लायल टैंक )अब महज नाम रह गया है। लायल टैंक का अपभ्रंश ही लाल तलाब है। बेशक, मौके पर तालाब का नामोनिशां नहीं है। वहां आज बस्ती
और बाजार गुलजार हैं, लेकिन करीब सवा सौ साल बाद भी उस जगह की पहचान लाल तालाब के नाम से मशहूर है।
इतिहासकारों के मुताबिक, ब्रिटिश काल में 1878 से 1883 के मध्य एफएस ग्राउस यहां के कलक्टर थे। इन्हीं के कार्यकाल में लाल तालाब का निर्माण हुआ था। वैसे यह तालाब तत्कालीन गर्वनर लायल के नाम खोदा गया था और उन्हीं के नाम पर इसका नाम लायल टैंक रखा गया था, जो धीरे-धीरे लाल तालाब के नाम से जाना जाने लगा। तब मौके के चारों तरफ दूर-दूर तक बस्ती या आबादी नहीं थी। अब यहां चारों तरफ बस्ती व आबादी है और सब्जी मंडी गुलजार है। यहां अब तालाब का दूर-दूर तक अता-पता नहीं है। बावजूद इसके लाल तालाब दूर-दूर तक मशहूर है। वार्ड 22 में नगर पालिका से लगी पट्टिका में लाल तालाब का नाम अंकित है। आज भी लाल तालाब के नाम से प्रसिद्धी है।
अधिवक्ता अशोक गोयल बताते हैं कि लाल तालाब का जिले के इतिहास में अपना अलग महत्व है। वह स्थान सड़क से आज भी काफी गहरा है। खस्ताहाल बुर्जी और सीढि़यां देखरेख के अभाव में अस्तित्व खो चुकी हैं। उनका कहना है कि नगर पालिका ने आज उस स्थान को एक व्यापारिक कॉम्पलैक्स के रूप में विकसित कर दिया है।
अंग्रेज अफसरों के स्नान के लिए बनाया था लाल तालाब
बताते हैं कि यह तालाब अंग्रेज अफसरों के स्नान के लिए बनाया गया था। 15 से 20 फीट गहरे इस तालाब के चारों तरफ आठ बुर्जी बनी थी। नहर से टैंक में पानी आता था और टैंक का गंदा पानी निकालने के लिए नाले का निर्माण कराया गया था, जिससे गंदा पानी बाहर निकलता था। समय के साथ धीरे-धीरे सबकुछ बदल गया। नहर से पानी आने का नाला आज भी है, जो डिप्टीगंज गंदा नाले के नाम से जाना जाता है।
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