मां के पैरों के नीचे होती है जन्नत
मां..। दो अक्षरों का यह छोटा सा शब्द संसार में सबसे महत्वपूर्ण हैं। इस्लाम धर्म के अनुसार, मां के पै
मां..। दो अक्षरों का यह छोटा सा शब्द संसार में सबसे महत्वपूर्ण हैं। इस्लाम धर्म के अनुसार, मां के पैरों तले जन्नत है। जो लोग मां की सेवा नहीं करते, वे सांसारिक सुखों तथा मृत्यु के पश्चात जन्नत से वंचित रहते हैं। मैं एक रिटायर्ड अध्यापक हूं। मेरा परिवार बेटे-बेटियों, नाती-पोतों से भरा पूरा है। मेरी अम्मा का 12 वर्ष पहले इंतकाल हो गया था लेकिन उसका ममतामयी स्नेहिल चेहरा मेरी आंखों में आज भी समाया हुआ है। उनकी दुआएं आज भी मेरे साथ हैं। मैं तो यही समझता हूं कि मैं आज जो कुछ हूं वह वह मेरी अम्मा की दुआएं तथा अल्लाह के रहमत से हूं। ऊपरवाले की मेहरबानी से मेरा परिवार फल फूल रहा है। अपनी अम्मा की स्मृति में अपने भाव इन पंक्तियां से बयां कर रहा हूं।
उम्र भर बच्चों की खातिर दौड़ती जाती है मां।
मौत के आगोश में सोकर सुकूं पाती है मा।ं
रूह का रिश्ता है गहरा किस कदर ये देखिए।
घाव लगता है जो बच्चों को तो चिल्लाती है मां।
उम्र भर अपने लिये वो मांगती कुछ भी नहीं।
सिर्फ बच्चों के लिये हाथ फैलाती है मां।
-मौ. इदरीस मंसूरी ताबिश
229, मेहरबानपुरा, धौलाना बस स्टैंड गुलावठी, बुलंदशहर।
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