हर्बल होली: देशी रंगों से खुशरंग होली
बुलंदशहर : रासायनिक रंगों से तौबा कर घर में हर्बल रंग तैयार कर होली को खुशरंग बनाने की तैयारी है। टेसू व गुलहड़ के फूल, मेंहदी, पुदीना, हल्दी, लाल चंदन, मुल्तानी मिट्टी आदि से तैयार रंग और गुलाल न केवल होली के उत्साह को कई गुना बढ़ा देते हैं, बल्कि त्वचा को और कांतिवान बनाएगा। कई त्वचा रोगों से निजात मिलेगी। साइड इफेक्ट की लेश तक नहीं होगा।
रासायनिक रंग मजबूरी नहीं हैं। औषधीय पौधे और फूलों से तैयार रंग काफी सस्ते तो है ही, केमिकल रंगों में छिपे जहर से भी छुटकारा दिलाता है। दरअसल पहले लोग घर में ही हर्बल कलर एवं गुलाल बनाते थे। धीरे-धीरे रासायनिक रंगों ने होली को गिरफ्त में ले लिया। रंग के बदले लोग एक-दुसरे पर केमिकल की बौछार होने लगी है। अब कई सजग लोग पारंपरिक तरीके से रंग-गुलाल तैयार करने में जुट गए हैं। आयुर्वेदिक औषधालय की दुकानों पर रंग निर्माण संबंधी आयटम खरीदनों को इन दिनों अच्छी खासी भीड़ देखी जा रही है।
आयुर्वेदाचार्य ने समता आयुर्वेदिक सेंटर पर रविवार को प्राकृतिक एवं हर्बल रंगों की प्रदर्शनी लगाई। निर्माण विधि बताया। उन्होंने बताया कि ये हर्बल कलर और सूखे रंग कई बीमारी के लिए औषधि की तरह काम करते हैं। केमिकल कलर की तरह चेहरे या त्वचा को नुकसान नहीं पहुंचाते हैं, बल्कि और कांतिवान बनाते हैं।
ऐसे तैयार करें देशी रंग
1.हरा रंग
सूखा रंग/गुलाल
-मेहंदी को पीस लें, इसे सुखा कर चावल का आटे, मैदा या आरारोट मिला लें, हरा गुलाल तैयार
गीला रंग
-पुदीने को पानी के साथ पीसें, बाद में छान लें। धनिया एवं पालक के पत्ते को पीस लें, पानी में मिलाएं, फिर छान लें गीला हरा रंग तैयार
2.पीला रंग
गुलाल
-हल्दी को बारीक पीस लें, इसमें बेसन, आटा, मैदा, आरारोट, मुलतानी मिट्टी में से कोई भी एक आयटम मिलाकर पीला गुलाल तैयार कर सकते हैं
-अमलताश या गेंदा के फूल को छाया में सुखाकर, बारीक पीस कर बेसन में मिला लें
गीला रंग
-एक चम्मच हल्दी को दो लीटर पानी में उबालकर
-अमलताश या गेंदा के फूल को पानी में उबालें
3.लाल रंग
गुलाल
-लाल चंदन पाउडर को बेसन, आटा, मैदा, आरारोट, मुलतानी में मिलाकर
-लाल गुलहड़ फूल का पाउडर बना लें, मैदा या आटा में मिला लें
गीला रंग
-दो चम्मच लाल चंदन को एक लीटर पानी में उबालें, ठंडा होने के बाद छान लें
-अनार का छिलका पानी में उबालें, छान लें
-ददासा का 2 चम्मच पाउडर 1 लीटर पानी में उबालें, छान लें
4.केसरिया एवं लाल
सूखा
-गेरू को पीसें, इसमें आटा, मैदा, आरारोट मिला लें
-पीसा गेरू एक चम्मच, हल्दी दो चम्मच मिला कर प्रयोग करें
-एक चम्मच आरारोट को दो चम्मच हल्दी मिला कर प्रयोग करें
गीला रंग
-टेसू, लाल सेमल, हरश्रृंगार, सेमल या ढ़ाक या पलाश को रात भर पानी में भीगोएं, बेहतर रिजल्ट के लिए पानी में उबाल लें। ठंडा होने के बाद पानी में फूलों को मथें। फिर छान लें, रंग तैयार।
5.रानी रंग
-चकुंदर को घिसकर 1 लीटर पानी में उबालकर या रातभर भिगोकर प्रयोग करें
-गुलाबी प्याज की 10-15 छिलकों को आधा लीटर पानी में उबाल कर प्रयोग करें, दुर्गध से बचने के लिए छिलके प्रयोग करने से पहले उतार कर रख लें
-कचनार के फूलों को पानी में उबाल या रात भर भिगो कर प्रयोग करें
6. नारंगी-लाल रंग
-दो चम्मच हल्दी को एक चुटकी पान वाले चूने के साथ मिलाकर उसमें कुछ बूंद पानी मिलाएं। उसे 10 लीटर पानी में घोल कर प्रयोग करें
-लाल गुड़हल फूल पानी में रात भर भिगाएं, सुबह छानकर प्रयोग करें
7.नीला रंग
जकरांडा फूलों को छाया में सुखाकर व पीसकर
हर्बल कलर के फायदे
फायदे-
-कोई साइड इफेक्ट नहीं
-आयुर्वेदिक दवाखाना पर रंग बनाने वाले सामान सुलभ उपलब्ध, बनाना आसान
-त्वचा, सांस, हृदय आदि रोगों के लिए हर्बल कलर फायदेमंद
-रासायनिक रंग की तुलना में बेहद सस्ता
हर्बल कलर बनाने को वर्क्सशॉप आज
बुलंदशहर: आयुर्वेदाचार्य डा. हितेष कौशिक ने पारंपरिक रंग बनाने की विधि बताने के लिए सोमवार को कालाआम-नुमाइश रोड स्थित केंद्रीय विद्यालय के निकट समता आयुर्वेद सेंटर के बाहर वर्क्सशॉप लगाएंगे। इसमें प्राकृतिक रंग एवं गुलाल की प्रदर्शनी लगाई जाएगी। डा. कौशिक ने बताया कि केमिकल कलर स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं, ऐसे में हर्बल होली की तरफ लौटना जरूरी है। वर्क्सशॉप में बताया जाएगा कि हर्बल कलर तैयार करना काफी आसान और सुलभ है।
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