..हैरान हूं उसका ये किरदार देखकर
बज्म ए उर्दू की ओर से आयोजित शेरी नशिस्त में शायरों ने उर्दू अदब को जिदा रखने के उर्दू जबान के व्यापक प्रचार प्रसार का आह्वान किया। इस मौके पर शायरों ...और पढ़ें

नजीबाबाद (बिजनौर): बज्म-ए-उर्दू की ओर से आयोजित शेरी नशिस्त में शायरों ने उर्दू अदब को जिदा रखने के उर्दू के प्रचार-प्रसार का आह्वान किया। इस मौके पर शायरों ने उर्दू अदब को दर्शाती बेहतरीन शायरी से समां बांधा।
सोमवार को अखलास अहमद के आवास पर आयोजित शेरी नशिस्त में संस्था के अध्यक्ष डा. आफताब नोमानी ने कहा कि शायर समाज के दर्द और हालात को शायरी में बयां करता है। उन्होंने शायरों से दिलों को जोड़ने वाली शायरी करने पर जोर दिया। कार्यक्रम में उर्दू अदब की खिदमत करने पर तसनीम अहमद, डा.आफताब नोमानी और डा. इलियास अंसारी को सम्मानित किया गया। शेरी नशिस्त का आगाज इदरीस अहमद ने नात-ए-पाक से किया। डा. इलियास अंसारी ने बेपर्दा उसको यूं सरे बाजार देखकर, हैरान हूं मैं उसका ये किरदार देखकर.., इदरीस अहमद ने तुम्हें सितारों ने भी जगमगा के देखा है, फलक ने चांदनी रातों में आके देखा है.., कारी शाकिर रिजवी ने खुश है जो बूढे़ बाप को बीमार देखकर, हैरान हूं मैं उसका ये किरदार देखकर.. कलाम से भावविभोर किया।
डा. आफताब नोमानी ने हद से गुजर गए हैं यहां जुल्म इस कद्र, आंसू नहीं रुके मेरे अखबार देखकर.., नदीम साहिल ने अब जिदगी के नाम से भी हो गई नफरत, लाशों के हर मोड़ पर अंबार देखकर.., सिराजुद्दीन अहमद ने चेहरा बता रहा है मारा है भूख ने, हुक्मरान कह रहे कुछ खाके मर गया.. कलाम पेश कर झकझोरा। डा.आफताब नोमानी की अध्यक्षता एवं कारी शाकिर रिजवी के संचालन में हुई शेरी नशिस्त में मौलाना मोहम्मद आदिल, मोहम्मद अजमल, मोहम्मद नाजिम, मुमताज अहमद, इमरान अजमल, शरीफ साबरी, इदरीस अहमद, हाजी अखलास सहित कई लोग मौजूद रहे।

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