यूपी में एक ही चिता पर पिता-दो बेटों का हुआ अंतिम संस्कार, गांव में नहीं जले चूल्हे, हर किसी की आंखें हुईं नम
बिजनौर के मुबारकपुर खादर गांव में बाबूराम ने पारिवारिक कलह के चलते अपने दो बच्चों को जहर देकर खुद भी आत्महत्या कर ली। रविवार को तीनों का एक ही चिता पर ...और पढ़ें

जागरण संवाददाता, बिजनौर। गांव मुबारकपुर खादर में अपने दो मासूम बच्चों को जहर देकर खुद आत्महत्या के मामले में रविवार को शवों का अंतिम संस्कार कर दिया गया। बाबूराम व उसके दोनों बच्चों के शव की एक ही चिता में अंतिम संस्कार किया गया। पिता के साथ जब उसके पुत्र व पुत्री की अर्थी घर से उठी तो वहां मौजूद सभी की आंखें नम हो गई।
शनिवार को ग्राम महमूदा खादर निवासी बाबूराम पुत्र राम रतन ने पत्नी रीता से चल रही नाराजगी के बीच अपने पांच वर्षीय पुत्र दीपांशु और तीन वर्षीय पुत्री हर्षिका को बाल कटवाने के बहाने खेत में ले जाकर उन्हें जहर देने के बाद स्वयं भी निगल लिया था। तीनों की मौत से घर में कोहराम मच गया।
रविवार को पोस्टमार्टम के बाद पिता के साथ ही उसके पुत्र व पुत्री की जब अर्थी उठी तो वहां मौजूद ही आंख नम हो गई। ग्रामीणों के सहयोग से स्वजन ने तीनों के शव दारानगर गंज गंगा घाट ले गए। तीनों शवों के लिए एक ही चिता बनाई गई।
बाबूराम के साथ जब उसके बच्चों के शव चिता पर रखकर अंतिम संस्कार कर दिया गया। मृतक बाबूराम के छोटे भाई रिंकू ने उन्हें मुखाग्नि दी।
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नहीं रुक रहे स्वजन की आंख के आंसू
बेटे बाबूराम के साथ ही पोते-पोती को खोने वाली राजो देवी व राम रतन सिंह का घटना के बाद से बुरा हाल है। वहीं पति के साथ ही दोनों मासूम बच्चों को खोने वाली रीता बेसुध है। पति व बेटा-बेटी को याद कर आंसू नहीं थम रहे हैं। घर में मचे कोहराम से पड़ोसियों की आखों के आंसू भी नहीं थम रहे हैं।
मुहल्ले में नहीं जले चूल्हे
बाबूराम व उसके मासूम पुत्र-पुत्री की मौत का मातम उनके घर में ही नहीं है बल्कि पूरे गांव में मातम पसरा है। उस मुहल्ले में आज चूल्हे भी नहीं जले। हर किसी की जुबान पर यही सवाल था कि आखिर बाबूराम ने ऐसा कदम कैसे उठा लिया।

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