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प्रज्ञा पुराण में 18 पुराणों का सार : डा.दीपक

नजीबाबाद स्थित शांतिकुंज संस्थापक पंडित श्रीराम शर्मा आचार्य द्वारा रचित पावन प्रज्ञा पुराण कथा का गायत्री शक्तिपीठ में आयोजन किया गया। श्रद्धालुओं ने भजनों का भी गायन किया।

By JagranEdited By: Published: Tue, 07 Dec 2021 10:46 PM (IST)Updated: Tue, 07 Dec 2021 10:46 PM (IST)
प्रज्ञा पुराण में 18 पुराणों का सार : डा.दीपक
प्रज्ञा पुराण में 18 पुराणों का सार : डा.दीपक

बिजनौर, जागरण टीम। नजीबाबाद स्थित शांतिकुंज संस्थापक पंडित श्रीराम शर्मा आचार्य द्वारा रचित पावन प्रज्ञा पुराण कथा का गायत्री शक्तिपीठ में आयोजन किया गया। श्रद्धालुओं ने भजनों का भी गायन किया।

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मंगलवार सुबह कार्यक्रम का शुभारंभ हरीश शर्मा द्वारा मुख्य पूजन के साथ किया गया। सुनील शर्मा एवं राज भटनागर ने भजन गायन किए। गायत्री शक्तिपीठ के व्यवस्थापक डा. दीपक कुमार ने पावन प्रज्ञा पुराण कथा पर प्रवचन करते हुए कहा कि प्रज्ञा पुराण कथा में 18 पुराणों का सार है। धार्मिक, नैतिक अथवा आध्यात्मिक कथाओं से मनुष्य का नैतिक उत्थान होता है। डा. दीपक कुमार ने बताया कि प्रज्ञा पुराण के चार खंड हैं। प्रथम खंड लोक कल्याण जिज्ञासा प्रकरण से शुरू होता है। यह प्राणी को आत्मबोध कराता है। द्वितीय खंड मानव जीवन को स्वार्थ से उठकर परमार्थ की प्रेरणा देता है। तृतीय खंड में परिवार निर्माण, नारी जागरण, शिशु निर्माण और वसुधैव कुटुंबकम का पाठ पढ़ाया जाता है। वहीं चतुर्थ खंड में भारतीय संस्कृति के जागरण का संदेश है। कथाव्यास ने कहा कि प्रज्ञा पुराणा कथा का शुभारंभ देवर्षि नारद और भगवान विष्णु के संवाद से होता है। प्रज्ञा पुराण में वसुधैव कुटुंबकम को स्पष्ट करते हुए कहा कि विश्व परिवार की परिधि बहुत विशाल है। उसमें समस्त प्राणी आ जाते हैं। भारत में पशु पक्षियों को भी परिवार का सदस्य माना जाता है। यहां गाय के लिए पहली और कुत्ते के लिए आखिरी रोटी निकाली जाती है। चीटियों को आटा और पक्षियों को दाना डालते हैं। वास्तव में सच्चा सुख देने में है, लेने में नहीं। कार्यक्रम में कामेश शर्मा, आशा गुप्ता, सरोज यादव, बलवीर सिंह, संजीव, मनोज, शुभम, अर्जुन, हिमानी आदि उपस्थित रहे।


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