सदियों पुराना तराजू बताता है इंसाफ का पैमाना
साहनपुर रियासत अब टाउन एरिया है राजा भरत सिंह का किला इसके अतीत का प्रमाण है। मुगल शासनकाल में साहनपुर रियासत में लगने वाली कोर्ट और उसमें सुनाए जाने वाले फैसले भी इतिहास बन गए। साहनपुर के राजा भरत सिंह की रियासत का क्षेत्र हरिद्वार से काशीपुर तक था।
बिजनौर जेएनएन। साहनपुर रियासत अब टाउन एरिया है, राजा भरत सिंह का किला इसके अतीत का प्रमाण है। मुगल शासनकाल में साहनपुर रियासत में लगने वाली कोर्ट और उसमें सुनाए जाने वाले फैसले भी इतिहास बन गए। साहनपुर के राजा भरत सिंह की रियासत का क्षेत्र हरिद्वार से काशीपुर तक था। रियासत खत्म होने के बावजूद साहनपुर में बना किला और उस किले में बनी अदालत के गेट पर बना तराजू इतिहास को अपने आंचल में समेटे हुए है। वर्तमान में इस रियासत के राजाओं की चौथी पीढ़ी में पूर्व सांसद कुंवर भारतेंद्र सिंह हैं।
मुगल शासन का पराभाव होने के बाद देश ब्रिटिश हुकूमत के अधीन हुआ तो 1858 में साहनपुर रियासत के राजा भरत सिंह को न्यायिक मुकदमों की सुनवाई के लिए कमिश्नर के अधिकार मिले, कितु उन्हें बाकायदा इसकी परीक्षा उत्तीर्ण करनी पड़ी। इस रियासत के राजाओं की चौथी पीढ़ी में शामिल पूर्व सांसद कुंवर भारतेंद्र सिंह बताते हैं कि कमिश्नर का ओहदा मिलने के बाद राजा भरत सिंह ने साहनपुर किले में बाकायदा एक कक्ष में अदालत स्थापित की। अदालत के गेट पर न्याय का प्रतीक तराजू और शेर का चिन्ह आज भी बना हुआ है। उन्होंने बताया कि राजा भरत सिंह के बाद उनके पुत्र राजा चरत सिंह परीक्षा उत्तीर्ण कर साहनपुर रियासत के कमिश्नर बने। उन्होंने भी अपने कार्यकाल में सैकड़ों मुकदमों में सुनवाई के बाद निर्णय सुनाए। वर्ष 1947 में देश आजाद होने के बाद सरकार ने रियासतें समाप्त कर दीं। उन्होंने बताया कि राज्यों के गठन के बाद उनके पिता कुंवर देवेंद्र सिंह यूपी सरकार में मंत्री रहे। बाद में साहनपुर को टाउन एरिया घोषित कर दिया गया। वर्तमान में पांच साल के लिए साहनपुर में टाउन एरिया का बोर्ड गठित होता है। वहीं राजस्व संबंधी मुकदमों की सुनवाई तहसील स्तर पर तहसीलदार, एसडीएम और जिला स्तर पर एडीएम एवं डीएम करते हैं, कितु रियासत खत्म होने के बावजूद साहनपुर में बना किला और उस किले में बनी अदालत के गेट पर बनी तराजू इतिहास को अपने आंचल में समेटे हुए हैं।