रहस्यमय बीमारी से सूख रहे शीशम के पेड़
पिछले कुछ वर्षो से जनपद में जंगल क्षेत्र एवं खेतों पर खड़े शीशम के पेड़ अचानक सूख जाने से वन विभाग के अधिकारी और किसान परेशान हैं। वन अधिकारी शीशम के पेड़ों में लगी बीमारी का पता नही लगा पाए हैं। यही हालात रहे तो शीशम की प्रजाति क्षेत्र से विलुप्त होने के कगार पर पहुंच जाएगी।

जेएनएन, बिजनौर। पिछले कुछ वर्षो से जनपद में जंगल क्षेत्र एवं खेतों पर खड़े शीशम के पेड़ अचानक सूख जाने से वन विभाग के अधिकारी और किसान परेशान हैं। वन अधिकारी शीशम के पेड़ों में लगी बीमारी का पता नही लगा पाए हैं। यही हालात रहे तो शीशम की प्रजाति क्षेत्र से विलुप्त होने के कगार पर पहुंच जाएगी।
पिछले करीब 20 वर्षो से वन आरक्षित क्षेत्रों एवं निजी कृषि भूमि पर खड़े शीशम के पेड़ किसी अज्ञात बीमारी के कारण सूख रहे हैं। इस अज्ञात बीमारी से ग्रस्त व विलुप्त होती शीशम के बचाव के लिए वन विभाग मशक्कत कर रहा है, लेकिन अभी तक बीमारी का पता नही चल सका है। बढ़ापुर रेंज के वन रेंजर कपिल कुमार बताते हैं कि विभाग 20 वर्षों से सूख रहे शीशम के पेड़ों में लगी बीमारी की तलाश में जुटा है, लेकिन बीमारी को खोज पाने में असफल रहा है। विभाग के बड़े अफसर रिसर्च कर रहे हैं, जबकि सर्वे आफ इंडिया भी हवाई सर्वेक्षण कर चुका है। अब फारेस्ट रिसर्च इंस्टीट्यूट देहरादून ने शीशम का क्लोन तैयार कर नई पौध लगाई है।लेकिन उसका रिजल्ट आने में समय लगेगा।पौध लगाते समय गड्ढे में दवाई भी डाली गई है।
वन विभाग के सूत्रों का कहना है कि इस समय हालात ऐसे हैं कि शीशम ढाई फिट मोटी होने के बाद सूखने लगती है। शीशम के बचाव के लिए दवा मुहैय्या करने में बजट की दिक्कत आ रही है। क्योंकि ढाई फिट मोटी शीशम काफी ऊंची हो जाती है।उस पर दवा छिड़कने के लिए हैलीकाप्टर चाहिए। जिस पर काफी धन खर्च होगा। बताया गया है कि एक दशक पहले विधानसभा में यह मामला उठाया जा चुका है। उसके बाद से सरकार ने इस ओर ध्यान देना शुरू किया था। उसके बाद सर्वे आफ इंडिया के साथ मिलकर शीशम में लगी बीमारी का पता लगाने का काफी प्रयास किया, लेकिन हालात आज भी जस के तस बने हुए है। वनों में जो शीशम मौजूद है, वह सूख रही है।
-इनका कहना है
शीशम की जड़ में बीमारी लगने पर कीड़े जड़ों में अपना आशियाना बना लेते है। इसके अलावा जमीन सख्त होने के कारण पेड़ को भोजन मिलना बंद हो जाता है। इस वजह से शीशम के पेड़ सूख रहे है। इससे अन्य पेड़ क्यों नही सूख रहे, इस पर रिसर्च हो रहा है।
-डा. केके सिंह, वैज्ञानिक, कृषि अनुसंधान केंद्र नगीना
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