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    बच्चों को सेहतमंद बना रहा पोषण पुनर्वास केंद्र

    By JagranEdited By:
    Updated: Tue, 24 May 2022 06:22 PM (IST)

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    बच्चों को सेहतमंद बना रहा पोषण पुनर्वास केंद्र

    बच्चों को सेहतमंद बना रहा पोषण पुनर्वास केंद्र

    बिजनौर, जेएनएन। कुपोषित बच्चों के लिए जिला अस्पताल में बनाया गया पोषण पुनर्वास केंद्र (एनआरसी) वरदान साबित हो रहा है। जनवरी से अब तक करीब सौ कुपोषित बच्चे स्वस्थ हो चुके हैं, जबकि दिसम्बर 2020 से अब तक 1225 बच्चे स्वस्थ होकर घर लौट चुके हैं।

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    जांच में कुपोषित मिलने पर पांच वर्ष तक के बच्चों को पोषण पुनर्वास केंद्र में भर्ती किया जाता है। उम्र के हिसाब से लंबाई और वजन कम होने पर कुपोषित मानकर बच्चे को एनआरसी में भर्ती किया जाता है। बच्चे को केंद्र में 14 दिनों के लिए भर्ती किया जाता है। इस दौरान बच्चे का वजन बढ़ने के लिए पौष्टिक आहार दूध, अंडा, केला, दलिया एवं खीर आदि देकर वजन बढ़ाया जाता है। नियमानुसार वजन बढ़ने पर उसे डिस्चार्ज किया जाता है। इस दौरान बच्चे की माता को कम खर्च में दिए जाने वाले पौष्टिक आहार की जानकारी भी दी जाती है। बच्चे के डिस्चार्ज होने के बाद उसका प्रत्येक 15 दिन बाद तीन बार फालोअप भी किया जाता है। आवश्यकता पड़ने पर बच्चे को एक बार फिर केंद्र में भर्ती किया जाता है।

    दस से 15 कुपोषित

    बच्चे आते हैं प्रतिदिन

    डा. विशाल सिंह बताते हैं कि प्रतिदिन दस से 15 कुपोषित बच्चे उपचार के लिए आते हैं। बच्चों को दवा दी जाती है, जबकि अतिकुपोषित बच्चों को पोषण पुनर्वास केंद्र में भर्ती किया जाता है। वर्तमान में केंद्र में दस बेड हैं, जो हमेशा फुल रहते हैं।

    एक तीमारदार को भी भोजन

    एनआरसी के नोडल अधिकारी डा. प्रमोद कुमार गुप्ता बताते हैं कि बच्चे के एक तीमारदार को नाश्ता और खाने के अलावा 50 रुपये प्रतिदिन की दर से भुगतान भी किया जाता है। सीएमएस डा. अरुण पांडेय बताते हैं कि एनआरसी में बच्चों के लिए सभी चीजों, खेल-खिलौनों की व्यवस्था की गई है। बेबी वाकर व गाड़ी लाई गई, ताकि बच्चे को कोई परेशानी न हो। वह स्वस्थ हो घर लौटे।

    एनआरसी का कायाकल्प

    सीएमएस डा. अरुण पांडेय बताते हैं कि कमिश्नर तक को केंद्र की स्थिति बताई गई। इसके बाद दिसम्बर 2020 में केंद्र का कायाकल्प हुआ। जनवरी माह से अब तक करीब 100 कुपोषित बच्चे स्वस्थ हो चुके हैं, जबकि दिसम्बर 2020 से अब तक 1225 बच्चे स्वस्थ होकर घर लौट चुके हैं।