पुतले नहीं जले तो रावण के पोस्टर बनाकर जलाए
बिजनौर जेएनएन। रावण मरता एक दिन है़ लेकिन 364 दिन विभिन्न बुराईयों के रूपों में हमारे आ
बिजनौर, जेएनएन। रावण मरता एक दिन है़, लेकिन 364 दिन विभिन्न बुराईयों के रूपों में हमारे आसपास ही रहता है। समाज में पसरी इन बुराइयों के बारे में जानकर जागरुक नागरिक बनते हुए उनके नाश का नन्हे मुन्ने बच्चों ने संकल्प लिया। बच्चों ने रावण के विभिन्न रूपों को पोस्टर के जरिए प्रदर्शित करने के साथ साथ उसकी बुराइयां भी दर्शाई। इतना ही नहीं दिन ढलने पर पोस्टरों को जलाकर रावण का पुतला जलाने की परंपरा निबाही।
विजय दशमी पर्व पर दैनिक जागरण की ओर से नन्हे मुन्ने बच्चों के बीच रावण और उसकी बुराइयां.. शीर्षक से पोस्टर प्रतियोगिता आयोजित की गई। जिसमें गुरलीन कौर, सुपर्णा, जशनप्रीत, निकुंज, हरलीन कौर, निष्ठा, तनुष ऐरन, कनिका गुप्ता, सुखलीन कौर आदि बच्चों ने प्रतिभाग किया। पोस्टर पर शामिल किए गए स्लोगन के जरिए बच्चों ने शानदार संदेश दिया और बुराइयों पर कटाक्ष किया। जशनप्रीत ने लिखा- अजीब बात है कि रावण जलाने से पहले हम उसे बनाते हैं। सुखलीन कौर ने लिखा- रावण राज.. वायु प्रदूषण, जल प्रदूषण, ध्वनि प्रदूषण और नारी अत्याचार। गुरलीन कौर ने लिखा- आज भी महिलाओं का अपहरण होता है, इसलिए रावण आज भी जिदा है।
नन्हे बालक तनुष ऐरन ने लिखा- हर तरफ गंदगी का साम्राज्य रावण की बुराइयों को दर्शाता है। हरलीन कौर ने लिखा- अहंकारी रावण की तस्वीर जलाने से कुछ नहीं होगा, हमें पूरी दुनिया से रावण को मिटाना होगा। सुपर्णा ने लिखा- गरीबी, भ्रष्टाचार, सांप्रदायिकता रूपी रावण का अंत करें। निकुंज ने लिखा- बुराई का अंत कर प्रभु राम ने अच्छाई की राह दिखाई। सत्य और प्रेम की जीत की राह दिखाई। इस बार कोविड-19 महामारी को देखते हुए रामलीला मंचन नहीं हुआ और रामलीला मैदान पर रावण, मेघनाद व कुंभकर्ण के पुतलों का दहन नहीं किया गया। दिन ढलने पर बच्चों ने स्वयं द्वारा बनाए गए रावण के पोस्टरों को जलाकर भगवान राम की जय-जयकार की।