Bijnor Guldar: चार दिन पहले थर्मल ड्रोन में दिखा था गुलदार, लेकिन भाग निकला; पकड़ने के लिए अब उतारी जाएगी DFO की टीम
बिजनौर में आदमखोर गुलदार का आतंक जारी है। पिछले 12 दिनों में गुलदार ने तीन बच्चों और एक महिला समेत चार लोगों की जान ले ली है। वन विभाग गुलदार को पकड़ने के लिए ड्रोन और पिंजरों का इस्तेमाल कर रहा है। मुरादाबाद मंडल के सभी डीएफओ और स्टाफ को गुलदार को पकड़ने के अभियान में लगाया गया है। ग्रामीणों को सतर्क रहने की चेतावनी दी गई है।

जागरण संवाददाता, बिजनौर। तीन लोगों की जान लेने वाला गुलदार चार दिन पहले थर्मल ड्रोन में दिखाई दिया था। उसकी हीट थर्मल ड्रोन ने पकड़ी थी, लेकिन वन विभाग के अधिकारियों के कुछ कर पाने से पहले ही गुलदार भाग गया। अब गुलदार को पकड़ने या ट्रैंकुलाइज करने के लिए मंडल के सभी डीएफओ की टीम उतारी जा रही है। गुलदार को ट्रैंकुलाइज करने के लिए एक और विशेषज्ञ को कानपुर से बुलाया जा रहा है।
खेतों में गुलदारों के हमले बढ़ते जा रहे हैं। गुलदार 12 दिन में तीन बच्चों और एक महिला की जान ले चुके हैं। वन विभाग के अधिकारी मान रहे हैं कि गांव कंडरावाली, नयागांव और अब इस्सेपुर में हमला करने वाला गुलदार एक ही है। गुलदार की तलाश में वन विभाग पांच सितंबर से ड्रोन उड़ा रहा है। खेतों में उसकी मौजूदगी के साक्ष्य भी लगातार मिल रहे थे।
चार दिन पहले ही गांव कंडरावाली के जंगल में गन्ने के एक खेत पर थर्मल ड्रोन उड़ा गया तो उसके अंदर वन्यजीव होने का पता चला। माना गया कि वह गुलदार है लेकिन वन विभाग के अधिकारियों के कुछ कर पात से इससे पहले ही गुलदार भाग गया। वन विभाग के अधिकारियों को नहीं लगा था कि गुलदार अपनी टैरेट्री को और बढ़ा सकता है।
अगर कोई चुनौती न हो तो गुलदार एक रात में 30 से 35 किलोमीट तक के क्षेत्र में घूम सकता है। वन विभाग का स्टाफ इतने बड़े क्षेत्र में घूमने के लिए काफी नहीं है। अब गुलदार को पकड़ने या उसे ट्रैंकुलाइज करने के लिए मुरादाबाद मंडल के सभी डीएफओ व स्टाफ को उतारा जा रहा है। कंडरावाली, नयागांव और इस्सेपुर के साथ ही आसपास के गांवों में भी गुलदार को पकड़ने के लिए पिंजरे बढ़ाए जा रहे हैं। वन विभाग की टीम आसपास के गांवों में भी पिंजरे लगाएगी।
गुलदार को पकड़ने या ट्रैंकुलाइज करने का पूरा प्रयास किया जा रहा है। पूरे मंडल के स्टाफ को गुलदार को पकड़ने के आपरेशन में उतरने को कहा गया है। ग्रामीणों को लगातार सचेत किया जा रहा है। -पीपी सिंह, मुख्य वन संरक्षक, बरेली जोन।
इस वर्ष गई आठ जान, कब रुकेगा ये सिलसिला
गुलदार के हमलों में इस वर्ष में भी आठ लोगों की जान जा चुकी है और सिलसिला शायद थमा नहीं है। खेतों में जाना किसानों की मजबूरी है और शिकार करना गुलदार की प्रकृति। दोनों ही अपने काम को नहीं छोड़ सकते हैं। वन विभाग के संसाधन पिछले दो वर्षों में बढ़े हैं लेकिन गुलदारों की आबादी तो जैसे काबू के बाहर ही हो गई है। गुलदारों को पकड़ने के प्रयास होते हैं और अधिकतर सफलता तुक्के में ही मिलती है।
गुलदारों के हमलों को रोकने के लिए लगातार जागरूकता अभियान चलाए जा रहे हैं। कहीं न कहीं किसान जागरूक भी हुए हैं लेकिन हर समय खेतों में एक सी हालत में नहीं रहा जा सकता है। किसानों का रात-दिन खेतों में आना-जाना, रहना और काम करना लगा रहता है।
गुलदार खेतों में शिकार की तलाश में घूमते रहते हैं। बच्चे और महिलाओं के लिए सबसे आसान शिकार हैं और गुलदार इन पर हमला करने में पीछे नहीं हट रहा है। इस वर्ष गुलदार के हमले में केवल महिलाओं और बच्चों की ही जान गई है।
गुलदारों को पकड़ने के लिए जिले में दो वर्ष पहले तक केवल एक दर्जन ही पिंजरे थे जिनकी संख्या अब बढ़कर 150 के पार पहुंच गई है। थर्मल ड्रोन, ट्रैंकुलाइज गन, गुलदार रेस्क्यू वाहन आदि भी वन विभाग को मिले हैं। लेकिन गुलदारों की आबादी के आगे ये संसाधन भी कम ही दिख रहे हैं।
- -27 फरवरी को चांदपुर के गांव चौंधेड़ी में सुमन को मारा।
- -18 मई को चांदपुर के गांव सब्दलपुर तेली में शमीना को मारा।
- -30 जूलन को मंडावर के गांव कोहरपुर में डेढ़ वर्षीय मयंक को मारा।
- -02 अगस्त को अफजलगढ़ के गांव भिक्कावाला में पूनम देवी को मारा।
- -02 सितंबर को नजीबाबाद क्षेत्र के गांव रामदासवाली में कनिष्क को मारा।
- -05 सितंबर को नजीबाबाद क्षेत्र के गांव कंडरावाली में गुड़िया को मारा।
- -08 सितंबर को नजीबाबाद क्षेत्र के नयागांव में हर्ष को मारा।
- -14 सितंबर को नजीबाबाद क्षेत्र के गांव इस्सेपुर में मीरा को मारा।
गुलदारों के हमलों से बचाव के लिए जागरूकता सबसे बड़ा हथियार है। वन विभाग के पास गुलदारों को पकड़ने के साधन बढ़े हैं। और भी संसाधनों की मांग की गई है। -ज्ञान सिंह, सहायक वन संरक्षक
सामान्य नहीं है गुलदार का यह व्यवहार, सामने आते ही मार रहा मनुष्यों को
गुलदार की यह हिंसा सामान्य नहीं है। गुलदार इतनी जल्दी-जल्दी लोगों पर हमला नहीं करता है। वह ऐसा तब करता है जब या तो वह बहुत अधिक हिंसक हो जाए या फिर शिकार करने में प्रयोग होने वाले उसके कैनाइन दांत टूट जाएं। एक सप्ताह में दो बच्चों व एक महिला को मारने वाले गुलदार को एक ही माना जा रहा है। इससे पहले भी जिले में दो वर्षों में दो मामले ऐसे हो चुके हैं जिनमें गुलदार कैनाइन दांत टूटने पर लोगों पर लगातार हमले करके मार रहा था।
गुलदार ने पांच सितंबर को गांव कंडारावली के पास डेरे से बाहर आई आठ वर्षीय गुड़िया को मार डाला था। इसके बाद गुलदार ने 12 सितंबर को नयागांव में हर्ष की जान ली। ये दोनों गांव आपस में दो से तीन किलोमीटर ही दूर हैं। दूसरा हमला होने के बाद ही वन विभाग के अधिकारियों ने मान लिया था कि दोनों घटनाओं को कारित करने वाला एक ही गुलदार हो सकता है।
अधिकारियों ने गुलदार को ट्रैंकुलाइज करने की अनुमति शनिवार को दे दी थी लेकिन उससे पहले ही रविवार को गुलदार ने खेत में काम कर रही मीरा देवी को मार डाला। मीरा देवी अपने स्वजन के साथ खेत में थीं और सभी एक दूसरे से ज्यादा दूर भी नहीं थे। इसके बाद भी गुलदार ने हमला किया।
आमतौर पर गुलदार ऐसा नहीं करते हैं। ऐसा तब ही होता है जब गुलदार स्वभाव से बहुत अधिक हिंसक हो जाए या फिर उसके कैनाइन दांत टूट जाएं। कैनाइन दांत का प्रयोग गुलदार शिकार को दबोचने के लिए करते हैं। अगर कैनाइन दांत न हों तो वन्यजीव आसानी से गुलदार के कब्जे में नहीं आते हैं। ऐसी सूरत में गुलदार इंसानों को ही आसान शिकार मानकर हमले करता है।
वर्ष 2023 के कोतवाली देहात क्षेत्र के गांव जलालपुर और पिछले वर्ष हल्दौर क्षेत्र के गांव पिलाना में गुलदार द्वारा किसानों पर लगातार हमले हो रहे थे। गुलदारों ने एक सप्ताह के अंदर ही तीन तीन लोगों को मारा था और शवों को खाया भी था। जब ये गुलदार पकड़े गए तो इनके कैनाइन दांत टूटे मिले थे। हालांकि नजीबाबाद में दो बच्चों व एक महिला को मारने वाले गुलदार ने शवों को नहीं खाया है।
गुलदार का स्वभाव सामान्य नहीं है। खेतों में उसके पंजों के निशान मिले हैं। गुलदार वयस्क है। उसे ट्रैंकुलाइज करने या पकड़ने का पूरा प्रयास किया जा रहा है। -ज्ञान सिंह, सहायक वन संरक्षक
किए तीन शिकार, लेकिन अभी नहीं होगी विलोपन की कार्रवाई
तीन लोगों की मौत के जिम्मेदार गुलदार के विलोपन (खत्म करना) के लिए अभी वन विभाग कोई तैयारी नहीं कर रहा है। उम्मीद है कि टीम बढ़ाने पर गुलदार को पकड़ लिया जाएगा। आसपास के गांवों में भी पिंजरों की संख्या को बढ़ाया जा रहा है।
पांच सितंबर को गांव कंडरावाली में गुड़िया को मारने के बाद से ही गुलदार को पकड़ने के प्रयास वन विभाग ने शुरू कर दिए थे। गुलदार को पकड़ने के लिए लगभग एक दर्जन स्थानों पर पिंजरे लगाए गए थे। वन विभाग को उम्मीद थी कि गुलदार कंडरावाली या नयागांव के इलाके में ही होगा लेकिन गुलदार ने इनसे और दूर गांव इस्सेपुर में महिला को निशाना बनाया।
गुलदार लगभग एक सप्ताह में ही दो बच्चों व एक महिला को मार चुका है। हालांकि गुलदार को किसी के शव को खाने का मौका नहीं मिला लेकिन फिर भी उसके स्वभाव को सामान्य नहीं माना गया है। मनुष्य के शव को खाने वाले गुलदार को नरभक्षी कहा जाता है।
सूत्रों के अनुसार इस तरह से मनुष्यों पर लगातार हमला कर मारने वाले गुलदार को भी नरभक्षी की श्रेणी में ही रखा जाता है और मनुष्यों के लिए खतरा माना जाता है। तीन मनुष्यों की जान लेने पर गुलदार को नरभक्षी घोषित किया जा सकता है और उसके विलोपन के आदेश जारी कर दिए जाते हैं। हालांकि अभी वन विभाग गुलदार के विलोपन के बजाए पकड़ने पर ज्यादा ध्यान दे रहा है।
डीएफओ आफिस में महिला के अंतिम संस्कार की चेतावनी, जागे अफसर
गुलदार के हमले में हुई महिला की मौत के बाद स्वजन और ग्रामीणों ने डीएफओ कार्यालय पर शव रखकर हंगामा शुरू कर दिया। उधर पहले से भाकियू अराजनैतिक से जुड़े किसान धरने पर बैठे हुए है। जब कोई अधिकारी धरना स्थल पर नहीं पहुंचा, तो ग्रामीणों ने महिला का अंतिम संस्कार डीएफओ कार्यालय में ही करने की चेतावनी दे दी। देर शाम को डीएफओ कार्यालय में पहुंचे एडीएम प्रशासन विनय कुमार सिंह ने ग्रामीणो से वार्ता की। इसके बाद शव पोस्टमार्टम के लिए भेजा गया।
तहसील नजीबाबाद के ग्राम इस्सेपुर निवासी महेंद्र सिंह की 32 साल की पत्नी मीरा देवी महिला पति के साथ घर से दो किलोमीटर दूर स्थित खेत से घास लेने गई थी। पति दूसरी तरफ काम कर रहा था।
अचानक पीछे से आए गुलदार ने मीरा पर हमला कर दिया और उसका गला जबड़े में दबोच कर भागने लगा। पति ने देखते ही शोर मचाया और डंडा लेकर गुलदार के दौड़ा। गुलदार महिला को छोड़कर भाग गया। घायल महिला को सीएचसी समीपुर में भर्ती कराया। इसके बाद स्वजन उसे पूजा अस्पताल में ले गए, तो चिकित्सकों ने मीरा को मृत घोषित कर दिया।
गुस्साएं स्वजन और ग्रामीण शव लेकर डीएफओ कार्यालय नजीबाबाद पहुंचे और शव रखकर हंगामा शुरू कर दिया। उधर डीएफओ कार्यालय परिसर में चल रहे धरने पर भाकियू अराजनैतिक के युवा इकाई के प्रदेशाध्यक्ष दिगंबर सिंह पहुंच गए। उन्होंने चेतावनी दी कि यदि डीएम और एसपी मौके पर नहीं आए तो महिला के शव का अंतिम संस्कार डीएफओ कार्यालय में कर दिया जाएगा।
एसडीएम शैलेंद्र कुमार सिंह, सीओ नितेश प्रताप सिंह, तहसीलदार संतोष कुमार और कोतवाल राहल सिंह और डीएफओ अभिनव राज ने आक्रोशित स्वजन और भाकियू नेताओं को समझाने का प्रयास किया, लेकिन वह डीएम और एसपी को बुलाने की जिद पर अड़े हुए थे।
बाद में एडीएम प्रशासन विनय कुमार सिंह मौके पर पहुंचे और स्वजन एवं भाकियू नेताओं को समझा-बुझाकर शांत किया। ग्रामीणों ने आरोप लगाया कि वन विभाग की लापरवाही से ऐसे हादसे हो रहे हैं, किंतु शिकायत के बावजूद उनकी सुनवाई नहीं हो रही है। इसके बाद पुलिस ने शव को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया।
नौ साल पहले ही हुई थी शादी
ग्राम इस्सेपुर निवासी महेंद्र सिंह की शादी लगभग नौ साल पहले मीरा देवी से शादी हुई थी। एक साल बाद बेटी हुई। घर में दंपती और बेटी रह रहे थे। रविवार सुबह महेंद्र अपनी बेटी को घर में छोड़कर पत्नी के साथ पशुओं के लिए चारा लेने घर से करीब दो किमी. दूर खेत में गया था।
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