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    जैसा तटबंध सरयू पर बना, वैसा ही बनेगा गंगा पर भी... शासन से मिल चुकी हरी झंडी

    By Ajeet Chaudhary Edited By: Praveen Vashishtha
    Updated: Thu, 04 Dec 2025 12:33 PM (IST)

    उत्तर प्रदेश में अब गंगा नदी पर सरयू नदी की तरह ही तटबंध बनेगा। शासन ने इस परियोजना को मंजूरी दे दी है, जिससे गंगा किनारे के गांवों को बाढ़ और कटाव से ...और पढ़ें

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    नांगल सोती क्षेत्र में बहती गंगा। जागरण

    जागरण संवाददाता, बिजनौर। सरयू नदी की तर्ज पर बिजनौर में भी गंगा के रावली बैराज तटबंध पर एसीबीएम (आर्टिकुलेटिंग कांक्रीट ब्लाक मैट्रेस) से तटबंध बनाया जाएगा। सिंचाई विभाग ने गंगा की तेज लहरों से क्षतिग्रस्त हुए तटबंध को एसीबीएम तकनीक से बनाने का प्रस्ताव भेजा है। इससे तटबंध बनाने में लगभग 40 करोड़ का बजट होगा। प्रस्ताव मंजूर होने पर अगली बरसात से पहले तटबंध के इस कार्य को पूरा कर लिया जाएगा।

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    गंगा का पानी जिले में 115 किलोमीटर की धारा में आशीर्वाद के रूप में बहता है। पहाड़ों पर होने वाली बरसात का पानी गंगा व अन्य नदियों के माध्यम से जिले में ही आता है। गंगा में मालन नदी मिलती है। पहाड़ों का पानी आने से गंगा उफन जाती है और कई जगह गंगा का पानी खेतों में भर जाता है। रावली के खादर में गंगा की धारा की चौड़ाई पांच किलोमीटर से अधिक है। गंगा हर बार थोड़ा गांवों की ओर खिसक आती है। इस बार गंगा उफनती धारा ने रावली बैराज तटबंध को बहुत बुरी तरह क्षतिग्रस्त किया। तटबंध गंगा की धारा की मार को झेल नहीं सका और मिट्टी बुरी तरह कटकर बह गई। गंगा के तटबंध के टूटने में कोई कसर नहीं बची थी, बस मां गंगा ने ही लोगों पर दया दिखाई।


    तटबंध टूटने से बाढ़ की आशंका को देखते हुए आसपास के कई गांवों को खाली करा दिया गया था। तटबंध बचाने के लिए सिंचाई विभाग के आला अधिकारी तक आ गए और अपनी आंखों के सामने काम कराने लगे। एनएचएआइ ने भी सहयोग किया गया। तटबंध पर दिन रात कई दिन तक मिट़्टी डाली गई और उसे टूटने से बचा लिया गया। अब तटबंध को फिर से पहले की तरह मजबूत करने के लिए उसे एसीबीएम तकनीक से बनाया जाएगा। इससे पहले इस तकनीक से सरयू नदी पर बस्ती, संत कबीरनगर और देवरिया जिले में ही काम हुआ है। इसका प्रोजेक्ट एक हजार 60 मीटर का बनाया गया है। इसकी लागत लगभग 40 करोड़ रुपये होगी।

    ऐसे होगा काम
    तटबंध के क्षतिग्रस्त एरिया के स्लोप को ठीक करके एसीबीएम तकनीक से काम किया जाएगा। इसमें जीओ शीट के बैग के अंदर मिक्स कंक्रीट प्रेशर मशीन से डाला जाएगा। इस तरह अलग अलग क्रंक्रीट के स्लोप बन जाएंगे। इस ब्लाक व कांक्रीट को लोहे की केबल से रिइंफोर्स किया जाएगा यानि एक दूसरे से जोड़ा जाएगा। यह इस तरह होगा जैसे मकान की छत में सरिया डाला जाता है उसकी जगह लोहे की केबल डाली जाएगी। यह लचीला बनेगा। ब्लाक की ज्वाइंट में लचक होने से इसे नुकसान नहीं होगा। तटबंध के पूरे स्लोप व तली पर कंक्रीट की चादर बिछ जाएगी।

    अनुमति मिल गई 
    गंगा के तटबंध पर एसीबीएम विधि से तटबंध बनाने की सैद्धांतिक अनुमति मिल गई है। इस पर काम किया जा रहा है। एसीबीएम विधि से बना तटबंध मजबूत होगा और इसका कटान नहीं होगा।
    ब्रजेश मौर्य, अधिशासी अभियंता- सिंचाई विभाग