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    गंगा सफारी में हुआ खास बदलाव तो डाल्फिन ने भी बदला मिजाज... अब घाट तक कुलांचे भर रहीं डाल्फिन

    By Ajeet Chaudhary Edited By: Praveen Vashishtha
    Updated: Thu, 20 Nov 2025 05:56 PM (IST)

    बिजनौर में गंगा नदी पर डीजल बोट की जगह इलेक्ट्रिक बोट चलाने से डॉल्फिन फिर से तट पर दिखने लगी हैं। पहले, डीजल बोट के शोर और प्रदूषण से डॉल्फिन दूर चली गई थीं। पर्यावरणविदों की सलाह पर इंजन बदला गया, जिससे डॉल्फिन वापस आ गईं। गंगा सफारी में अब पर्यटक डॉल्फिन और घड़ियाल देख सकते हैं, जिससे पर्यटन को बढ़ावा मिल रहा है।

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    गंगा में कुलांचे भरतीं डाल्फिन। जागरण आर्काइव

    जागरण संवाददाता, बिजनौर। अगर हम प्रकृति का ध्यान रखते हैं तो प्रकृति भी अपने होने की अनुभूति देती है। कुछ वर्ष पहले गंगा बैराज पर लोगों को गंगा की सैर कराने के लिए गंगा सफारी शुरू की गई। इसके लिए डीजल इंजन वाली चार मोटर बोट लाई गईं। मोटर बोट चलीं तो डाल्फिन ने गंगा बैराज घाट से दूरी बना ली।

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    मोटर बोट की आवाज, उसकी कंपन और डीजल की गंध के कारण डाल्फिन ने खुद को गंगा घाट से दूर कर लिया। बर्ड वाचर के सचेत करने पर डीजल इंजन हटाकर मोटर बोट में इलेक्ट्रिक इंजन लगाया गया। खर्च भी बर्ड वाचर ने ही उठाया। परिणाम यह हुआ कि डाल्फिन ने फिर से गंगा बैराज घाट की ओर रुख करना शुरू कर दिया है।

    जिले में गंगा की धारा लगभग 115 किलोमीटर का सफर तय करती है। गंगा में डाल्फिन, घड़ियाल और मगरमच्छ समेत तमाम जीवों की दुनिया बसी है। डाल्फिन की अटखेलियों के साथ धारा में बने टापुओं पर घड़ियालों का दिखना आम बात थी। गंगा को पर्यटन से जोड़ने के लिए वर्ष 2020 में गंगेज सफारी नाम से गंगा सफारी शुरू की गई थी। प्रशासन की पहल पर चार मोटर बोट चलाई गईं। पिछले वर्ष हैदरपुर वेटलैंड में देश भर से बर्ड वाचर आए।

    उन्होंने गंगा में मोटर बोट चलती देखीं। उन्होंने अनुभव किया कि इसकी वजह से डाल्फिन तट से दूर हो गई हैं। पता किया गया तो घाट के पास दुकान करने वालों ने बताया कि डाल्फिन अब घाट के पास नहीं आती हैं। इसके बाद डीजल इंजन को निकालकर मोटर बोट में इलेक्ट्रिक इंजन लगाया गया। इसके सकारात्मक परिणाम आए। सात-आठ महीने में फिर से डाल्फिन गंगा के घाटों पर लौट आई हैं।

    इलेक्ट्रिक बोट चलाने के सकारात्मक परिणाम मिले हैं
    गंगा में डीजल इंजन को हटाकर इलेक्ट्रिक बोट चलाने के सकारात्मक परिणाम मिले हैं। अब डाल्फिन फिर से गंगा के तट बैराज घाट तक आ रही हैं। प्रकृति प्रेमियों के सुझाव पर यह परिवर्तन किया गया जो सफल रहा है। राजकुमार, नोडल, जिला क्रीड़ा अधिकारी