ठगी का शिकार होने से बचे डा. नरेंद्र दास
नगीना नगर में बंगाली क्लीनिक चलाने वाले डा. नरेंद्र दास ठगी का शिकार होते-होते बच गए। ठग ने उनकी बेटी को एमबीबीएस में एडमिशन दिलाने के नाम पर फर्जी लेटर थमा दिया। गनीमत यह रही कि ठग को दिया 50 हजार का बैंक ड्राफ्ट कैश नहीं हुआ है।

बिजनौर, जागरण टीम। नगीना नगर में बंगाली क्लीनिक चलाने वाले डा. नरेंद्र दास ठगी का शिकार होते-होते बच गए। ठग ने उनकी बेटी को एमबीबीएस में एडमिशन दिलाने के नाम पर फर्जी लेटर थमा दिया। गनीमत यह रही कि ठग को दिया 50 हजार का बैंक ड्राफ्ट कैश नहीं हुआ है।
मूल रूप से कोलकाता निवासी डा. नरेंद्र दास नगीना में वाटर वर्क्स के पास बंगाली क्लीनिक चलाते हैं। उन्होंने बताया कि उनकी पुत्री शिवानी दास ने एमबीबीएस में एडमिशन के लिए नीट की परीक्षा दी थी, उसकी रैंक 363 आई थी। उन्होंने बताया कि कुछ दिनों पूर्व गाजियाबाद से आकाश सिंह नाम के व्यक्ति का उनके पास फोन आया और उसने खुद को कानपुर के एक मेडिकल कालेज के संपर्क में बताते हुए उनकी बेटी शिवानी दास का एडमिशन कराने की बात कही। इस पर वह सरकारी कालेज में दाखिला दिलाने के लालच में फंस गए। उन्होंने इसके लिए पूरी प्रक्रिया पूछी तो आकाश ने एडमिशन लेटर व अन्य प्रक्रिया काउंसिलिग आदि का खर्च एक लाख बताया। उसने 50 हजार का डिमांड ड्राफ्ट पहले मांगा, जो उनके द्वारा आकाश को दे दिया गया। 11 अप्रैल को एडमिशन से पूर्व आकाश ने उन्हें कानपुर बुलाया और जीएसवीएम मेडिकल कालेज का लेटर देकर कहा कि आप कालेज चले जाओ वहां पर एडमिशन हो जाएगा। लेटर लेकर वह कालेज प्राचार्य के पास पहुंचे तो प्राचार्य ने लेटर को फर्जी करार दिया। प्राचार्य ने वरिष्ठ अधिकारियों व पुलिस को सूचना दी। कार्यालय में उनके कागजात की जांच-पड़ताल की गई तो पाया गया कि कागजात प्राचार्य और एडमिशन कमेटी के प्रभारी के हस्ताक्षर से जारी था, जो फर्जी थे। उन्होंने बताया कि जांच-पड़ताल के बाद उन्हें छोड़ दिया गया और ठग आकाश का नंबर लिया, जो अभी तक बंद आ रहा है। उन्होंने बताया कि वह इस मामले में अपने स्तर से कोई कार्यवाही नहीं करेंगे। उनके अकाउंट से अभी 50 हजार रुपये भी नहीं कटे हैं।
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