अंधविश्वास के कारण दीपावली पर होता है उल्लू का शिकार, इसे रोकने को बिजनौर में अलर्ट जारी, वनकर्मियों की छुट्टी कैंसिल
Bijnor News: दीपावली पर उल्लुओं के शिकार की घटनाओं को रोकने के लिए बिजनौर में वन विभाग सतर्क हो गया है। वनकर्मियों की छुट्टियां रद्द कर दी गई हैं और उन्हें वन क्षेत्रों में सक्रिय कर दिया गया है। पुलिस को भी निर्देश जारी किए गए हैं। उल्लू वन्यजीव संरक्षण अधिनियम के तहत संरक्षित हैं। लोगों से इसके शिकार को लेकर अंधविश्वास छोड़ने की अपील की गई है।

उल्लू का शिकार रोकने को बिजनौर में अलर्ट (फाइल फोटो)
जागरण संवाददाता, बिजनौर। दीपावली पर अंधविश्वास के चलते तंत्र क्रिया के लिए उल्लू के शिकार के मामले सामने आते हैं। इस पर लगाम के लिए वन विभाग ने तैयारी कर ली है। जिले में अलर्ट जारी किया गया है। वनकर्मियों की छुट्टी भी निरस्त कर दी गई है। वन क्षेत्रों के पास वन कर्मियों को सक्रिय कर दिया गया है। सभी थानों की पुलिस को भी इस संबंध में निर्देश जारी किया गया है। यह अलर्ट पूरे महीने जारी रहेगा। इस दौरान पक्षियों के बाजार पर भी नजर रखी जाएगी। भारत में उल्लू की 32 प्रजाति पाई जाती हैं। इनमें से जिले में छह प्रजाति अब तक देखी गई हैं। उल्लू को विलुप्त प्राय: प्रजाति माना गया है।
जिला वन्य संपदा से घिरा हुआ है। जिले में लगभग 45 हजार हेक्टेयर में वनक्षेत्र है। इसके अलावा लगभग सवा तीन लाख हेक्टेयर भूमि में खेती होती है। अन्य वन्यजीवों के साथ जिले में पक्षियों की भी भरमार है।
देश में हैं उल्लू की 32 प्रजाति
देश में उल्लू की 32 प्रजाति मिलती हैं। इनमें से छह प्रजाति बिजनौर में भी देखी जा चुकी हैं। जिले में मुख्य रूप से स्पाटेड आउल, बार्न आउल, ब्राउन हाक आउल, बैरेड आउल प्रजाति आबादी के पास भी दिखने को मिल जाती हैं। दीपावली के पास अंधविश्वासी लोग तंत्र क्रिया करते हैं और उल्लू की बलि देते हैं।
अंधविश्वासी लोग मानते हैं कि दीपावली पर उल्लू का पूजन या बलि देने से उनके घर में धन आएगा। ऐसे में दीपावली पर उल्लू के शिकार को रोकने के लिए वन विभाग की ओर से अलर्ट जारी किया गया है। जिले में वन रेंज, इको सेंसेटिव जोन के अलावा खेतों के आसपास भी वन विभाग के साथ ही पुलिस टीम भी अलर्ट रहेगी। पैठ बाजार आदि में भी औचक निरीक्षण किया जाएगा। जो लोग पूर्व में वन्यजीवों की तस्करी में शामिल रही हैं उन पर भी नजर रखी जाएगी।
पेड़ों के खोखले तनों में रहता है उल्लू
उल्लू संकटग्रस्त प्रजाति है। उल्लू वन्यजीव संरक्षण अधिनियम 1972 में निहित प्राविधानों के अनुसार अनुसूची-1 में संरक्षित वन्यजीव है। ये चूहों आदि का शिकार करते हैं और रात में सक्रिय होते हैं। ये पेड़ों के खोखले तनों में रहते और अंडे देते हैं। उल्लू अगर घर के बाहर या आसपास बैठा है तो इसका मतलब है कि वह शिकार की तलाश में है।
अंधविश्वास से बाहर आएं लोग: सहायक वन संरक्षक
सहायक वन संरक्षक ज्ञान सिंह कहते हैं कि उल्लू का शिकार किसी तरह का धन और वैभव नहीं दिलाता है। लोगों को अब इस अंधविश्वास से बाहर आ जाना चाहिए। कोई भी वन्यजीवों का शिकार करने की भी न सोचे। उल्लू व अन्य वन्यजीवों की सुरक्षा के लिए दीपावली पर अलर्ट जारी किया गया है।
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