अंधकार पर प्रकाश की विजय का पर्व है दीपावली
दीपावली पर्व कार्तिक मास की अमावस्या को मनाया जाता है। यह दीपों का त्योहार आध्यात्मिक रूप से अंधकार पर प्रकाश की विजय दर्शाता है। दीपावली शब्द की उत्पत्ति संस्कृत के दो शब्दों दीप और आंवली अर्थात पंक्ति के मिश्रण से हुई है। मान्यता है कि दीपावली के दिन भगवान राम चौदह वर्ष के बनवास के बाद अयोध्या लौटे थे।

जागरण टीम, बिजनौर। दीपावली पर्व कार्तिक मास की अमावस्या को मनाया जाता है। यह दीपों का त्योहार आध्यात्मिक रूप से अंधकार पर प्रकाश की विजय दर्शाता है।
दीपावली शब्द की उत्पत्ति संस्कृत के दो शब्दों दीप और आंवली अर्थात पंक्ति के मिश्रण से हुई है। मान्यता है कि दीपावली के दिन भगवान राम चौदह वर्ष के बनवास के बाद अयोध्या लौटे थे। उनके आगमन पर अयोध्यावासियों ने घी के दीपक जलाए थे। कार्तिक मास की सघन काल अमवस्या की वह रात्रि दीपों की रोशनी से जगमगा उठी। तभी से प्रतिवर्ष यह प्रकाश पर्व हर्षाेल्लास के साि मनाया जाता है। सिविल लाइन स्थित विष्णु लोक के पंडित ललित शर्मा बताते है कि पंचमोत्सव में दीपावली पर्व गुरुवार (अज) मनाया जाएगा सनातन धर्म में महालक्ष्मी का यह पर्व धन-धान्य ऐश्वर्य, आयु, आरोग्य, संपदा, एवं वैभव प्रदान करने वाला होता है। ब्रह्मपुराण के अनुसार दीपावली पर अर्धरात्रि के समय मां लक्ष्मी धरती पर विचरण करती है। सभी को सुख एवं समृद्धि क वरदान देती है।
दीपावली के दिन करें सूक्त पाठ
पंडित ललित शर्मा बताते है कि ऊं श्रीं हीं श्रीं कमले कमलाये प्रसीद-प्रसीद श्री हीं श्रीं महालक्ष्मी नम: का पाठ करना चाहिए। महालक्ष्मी को को प्रिय कमल का पुष्प अर्पित करना चाहिए। साथ ही गणपति भगवान, कुबेर, मां सरस्वती का पूजन भी विधि-विधान से करना चाहिए। मां काली का पूजन अर्धरात्रि में करने का विधान है।
दीपावली का शुभ मुंहूर्त
व्यापारिक प्रतिष्ठान: प्रात: नौ बजकर 55 मिनट से 11 बजकर 59 मिनट तक
गृहस्थों के लिए : शाम छह बजकर नौ मिनट से आठ बजकर चार मिनट तक। बाबा फुलसंदे वालों ने किया दीपोत्सव का शुभारंभ
एक तू सच्चा तेरा नाम सच्चा मंत्र के प्रतिपादक सतपुरुष बाबा फुलसंदे वालों ने गांव फुलसंदा स्थित आश्रम में दीपोत्सव का शुभारंभ किया। इस दौरान अखंड ज्योत के पास 13 दीपक जलाए गए। वहीं कार्यक्रम में मौजूद सभी भक्तों को सुख-समृद्धि का आशीर्वाद भी दिया।
मंगलवार शाम गांव फुलसंदा में स्थित आश्रम में दीपोत्सव कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस अवसर पर बाबा फुलसंदे वालों ने धनतेरस के महत्व के बारे में बताया। साथ ही भक्तों को दीपावली त्योहार की महत्ता भी बताई। कहा कि दीपावली दीपों का त्योहार है, इसे प्रेमभाव से मनाना चाहिए। इस अवसर पर श्रद्धालुओं ने अखंड ज्योत के पास 13 दीपक जलाए। इसके बाद आश्रम में भी दीपक प्रज्वलित किए गए। इस मौके पर बाबा फुलसंदे वालों ने कार्यक्रम में मौजूद सभी भक्तों को सुख-समृद्धि का आशीर्वाद दिया। इस अवसर पर धनपति देवता, वरुण देवता, राहुल कुमार, कुलवीर, अग्नि देवता, वरुण देवता, चितामणि, आकाश आदि उपस्थित रहे।
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