किसानों के लिए खबर! चीन ने रोकी डीएपी की आपूर्ति, अपनाने होंगे तरल उर्वरक, नैनो डीएपी की बढ़ रही है मांग
चीन द्वारा डीएपी आपूर्ति रोकने से किसानों के लिए चुनौती बढ़ गई है। बिजनौर जिले में डीएपी की भारी खपत होती है पर अब तरल डीएपी और नैनो डीएपी का उत्पादन ...और पढ़ें

जागरण संवाददाता, बिजनौर। चीन ने डीएपी के भारत को निर्यात करने पर रोक लगा दी है। जिले में भी डीएपी की भारी खपत है। किसान खेतों में इसका काफी मात्रा में प्रयोग करते हैं।
हालांकि, अब देश में भी तरल डीएपी का उत्पादन किया जा रहा है। किसान इसके उपभोग के प्रति जागरूक भी होने लगे हैं। सरकार द्वारा नैनो डीएपी के लिए किसानों को पिछले दो तीन वर्षाें से जागरूक भी किया जा रहा है। किसान अगर नैनो डीएपी को पूरी तरह अपना लेंगे तो कोई समस्या नहीं आएगी।
जिले में 3.35 लाख हेक्टेयर से अधिक भूमि में खेती की जाती है। किसान खेतों में रासायनिक उर्वरक भी प्रयोग करते हैं। इनमें यूरिया और डीएपी की खपत जिले में सबसे अधिक है। इन दोनों उर्वरकों का 90 प्रतिशत हिस्सा चीन, रूस आदि देशों से आयात होता है, क्योंकि ये रेअर अर्थ मेग्नेट से बनते हैं जो इन देशों में सबसे अधिक मिलते हैं।
विदेशों से जो दानेदार डीएपी आता है और इसकी मांग बुआई के समय रहती है। जिले में डीएपी की सालाना खपत लगभग 35 हजार मीट्रिक टन है। विदेशों से आयात प्रभावित होने पर जिले में भी डीएपी की किल्लत हो जाती थी। अब एक बड़े निर्यातक चीन ने भारत को डीएपी देने पर रोक लगा दी है। हालांकि दूसरे देशों से डीएपी आता रहेगा।
भारत सरकार ने उर्वरक क्षेत्र में विदेशों पर निर्भरता कम करने के लिए यूरिया और डीएपी तरह अवस्था में बनाने शुरू कर दिए थे। इन्हें नैनो यूरिया व नैनो डीएपी कहते हैं।
किसानों के लिए बाजार में ये दोनों उपलब्ध हैं। किसान केवल दो माह में ही नैनो डीएपी की साढ़े चार हजार और यूरिया की 22 हजार बोतल खेतों में स्प्रे कर चुके हैं।
देश के पैसे की भी होगी बचत
नैनो डीएपी की 50 किलो की बोरी किसानों को एक हजार 350 रुपये में खरीदी जाती है जबकि विदेशों से एक बोरी दो हजार 750 रुपये की पड़ती है। यानि प्रति बोरी सरकार को एक हजार 400 रुपये सब्सिडी देनी पड़ती है। नैनो यूरिया की बोतल 600 रुपये की है। एक बोरी या एक बोतल एक एकड़ भूमि की फसल के लिए पर्याप्त होती है। नैनो यूरिया देश में ही बनता है और हमारा कोई पैसा विदेश नहीं जाता।
नैनो यूरिया को फसल पर स्प्रे करना दानेदार यूरिया डालने से अधिक लाभकारी है। किसानों को नैनो उर्वरकों का प्रयोग करना चाहिए। यह कम खर्चीला भी है।
-डाॅ. राजेंद्र मलिक, प्रभारी, कृषि अनुसंधान केंद्र नगीना
दुकानों पर नैनो उर्वरकों की कोई कमी नहीं हैं। किसानों को नैनो उर्वरकों के प्रयोग के लिए जागरूक किया जा रहा है। इनका खेतों में आसानी से स्प्रे किया जा सकता है।
-जसवीर सिंह तेवतिया, जिला कृषि अधिकारी

कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।