रसायनिक खाद और कीटनाशक बिगाड़ रहे आपकी सेहत
फसलों के उत्पादन बढ़ाने की खातिर रासायनिक खाद का अत्यधिक प्रयोग लोगों के स्वास्थ्य के लिए खतरा बना हुआ है। रसायनिक खादों के प्रयोग से जमीन की उर्वरा श ...और पढ़ें

जेएनएन, बिजनौर। फसलों के उत्पादन बढ़ाने की खातिर रासायनिक खाद का अत्यधिक प्रयोग लोगों के स्वास्थ्य के लिए खतरा बना हुआ है। रसायनिक खादों के प्रयोग से जमीन की उर्वरा शक्ति भी कम होती जा रही है, वहीं मानव शरीर क्षारीय होने की वजह से लोग एसिडिटी से पीड़ित होते हैं। इसके बाद उनमें हाई ब्लड प्रेशर, शुगर और कैंसर की बीमारियां भी बढ़ रही हैं। जिला प्रशासन इस ओर ध्यान दे तो जैविक खेती के प्रति किसानों को जागरूक कर भयावह स्थिति से बचा जा सकता है।
किसान साल-दर-साल अधिक उत्पादन पाने के लालच में अपनी फसलों में अंधाधुंध रसायनिक खाद, दवाइयों का इस्तेमाल कर रहे हैं। इससे जमीन की उर्वरा शक्ति कम होने के साथ-साथ रासायनिक, जैविक दशा में परिवर्तन कम हो रहा है। कृषि वैज्ञानिक डा. केके सिंह की मानें तो फसलों में अंधाधुंध रसायनिक खाद एवं कैमिकल दवाइयों के प्रयोग से भूमि में पोटेशियम, फास्फोरस और नाइट्रोजन के अलावा जीवांश में कमी आ रही है। जीवांश कम होने का असर फसलों के उत्पादन पर पड़ता है। स्थिति में सुधार के लिए हरी खाद, जैविक खाद और वर्मी कम्पोस्ट खाद प्रयोग कर भूमि की हालात में सुधार किया जा सकता है, लेकिन अधिक उत्पादन के चक्कर में किसान यूरिया समेत कई अन्य रसायनिक खाद एवं केमिकल युक्त कीटनाशक दवाइयों का इस्तेमाल कर रहे हैं। इसका असर सब्जी, फल और अन्य खाद्यान्नों के जरिए मानव शरीर तक पहुंच रहा है। शहर के वरिष्ठ फिजीशियन डा. राहुल बिश्नोई बताते हैं कि हाइब्रिड सब्जी, फल और अन्य खाद्य सामग्री का सेवन करने से पहले एसिडिटी और बाद में ब्लड प्रेशर, शुगर और कैंसर जैसी खतरनाक बीमारियां आदमी को घेर लेती हैं। यदि आदमी जैविक, हरी और वर्मी कंपोस्ट के प्रयोग से उगाई गई सब्जी, फल और अन्य खाद्य सामग्रियों का इस्तेमाल करें, तो सेहत में सुधार लाया जा सकता है। बोले अधिकारी:
यह बहुत गंभीर विषय है। जागरुकता से ही इस समस्या का समाधान निकाला जा सकता है। किसान भाइयों को जागरुक करने के लिए जिले में अभियान चलाया जाएगा। साथ ही जैविक खेती के लिए प्रेरित भी किया जाएगा।
-उमेश मिश्रा, डीएम बिजनौर

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