बिजनौर में साल भर से 'गुलदारों' ने गन्ने के खेत को बनाया अपना आशियाना, 8 लोगों ने गंवाई जान
बिजनौर में गुलदारों का आतंक जारी है, 2024 में आठ लोगों की जान गई। गुलदार अब गांवों और कस्बों में घूम रहे हैं, जिससे ग्रामीण भयभीत हैं। वन विभाग गुलदार ...और पढ़ें

जागरण संवाददाता, बिजनौर। वन की शान बढ़ाने वाले गुलदारों का आतंक खेतों में इस बार भी कम नहीं हुआ। गांवों की सड़कों से लेकर कस्बों में गुलदारों का रात में आकर घूमना कोई नई बात नहीं रइह गई।
गुलदार के दात इंसानों की जान लेते रहे। वर्ष 2025 में गुलदारों के हमलों में आठ लोगों की जान गई। वन विभाग के अधिकारी और कर्मचारी गुलदारों को रोकने में बेबस ही नजर आए। गुलदारों की संख्या, उनके स्वभाव आदि को देखने के लिए अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय की टीम द्वारा सर्वे किया जा रहा है।
गुलदार पहले अमानगढ़ टाइगर रिजर्व में ही रहते थे। कुछ साल पहले तक अमानगढ़ के बाहर किसी गुलदार का दिखना बड़ी घटना माना जाता था। अमानगढ़ में बाघों का कुनबा बढ़ा तो गुलदारों ने वन को छोड़कर गन्ने के खेतों को अपना स्थायी ठिकाना बना लिया।
गन्ने के खेतों में गुलदारों की संख्या बहुत तेजी से बढ़ी। आज शायद ही कोई ऐसा गांव बचा हाे जहां पर गुलदार दिखाई न दे रहा हो। शासन द्वारा अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय की टीम द्वारा कराए जा रहे सर्वे में भी 450 से अधिक गांवों के खेतों में गुलदार के होने की पुष्टि होती है।
गुलदार ने इस वर्ष आठ लोगों की जान ली। खेत तो छोड़ो गुलदार ने गांव में घरों में घुसकर बच्चों का शिकार किया। पिछले वर्ष भी गुलदार के हमलों में आठ लोग मारे गए थे।
गुलदार के हमले बढ़े तो शासन ने भी इसकी सुध ली। शासन ने गुलदार को पकड़ने के लिए पिंजरे दिलाए तो गुलदार रेस्क्यू वैन भी दी। हालांकि जिले में गुलदारों के बढ़ते हमलों को देखते हुए ये संसाधन ऊंट के मुंह में जीरे के ही समान हैं।
फसलों को नुकसान पहुंचाते रहे हाथी
हाथियों का वनों के बाहर आकर खेतों में फसलों को नुकसान पहुंचाना इस बार भी जारी रहा। हालांकि हाथी व अन्य वन्यजीवों को अमानगढ़ के अंदर ही रोकने के लिए वन विभाग ने अमानगढ़ में सोलर फेंसिंग कराई है लेकिन चालाक हाथी सोलर फेंसिंग पर पेड़ डालकर उसे तोड़ देते हैं और बाहर आ जाते हैं। हालांकि अमानगढ़ के अंदर हाथी पर्यटकों को रोमांचित करते रहे।
गुलदार के हमले रोकने को बांटे गए मास्क
गुलदारों के हमलों को रोकने के लिए वन विभाग गांवों में गुलदार एक्सप्रेस चलाता रहा। गुलदार के हमलों को रोकने के लिए किसानों को मास्क भी बांटे गए। हालांकि यह अभियान प्रभावी ढ़ंग से नहीं चलाया गया। कुछ गांवों में ही यह अभियान सिमटकर रह गया। किसान भी खेतों में बिना मास्क लगाए ही काम करते हैं।
बाघन को किया ट्रेंकुलाइज
अमानगढ़ के अंदर रहने वाले बाघ इस बार बाहर भी दिखाई देने लगे। एक बाघिन ने अमानगढ़ के बाहर के गांवों के खेतों को ही अपनी टेरेटरी बना लिया। खेतों में बाघ के आने से वन विभाग के अधिकारियों के भी कान खड़े हो गए। विशेषज्ञों के साथ अभियान चलाकर किसी तरह बाघिन को ट्रेंकुलाइज कर बाहर भिजवाया गया।
- 08 लोगों की जरान ली इस वर्ष गुलदार ने
- 100 से ज्यादा लोग गुलदार के हमलों में हुए घायल
- 30 गुलदारों की हादसों में गई जान
- 41 गुलदारों को पकड़ा गया पिंजरे में
- 1000 से ज्यादा गुलदार खेतों में होने का अनुमान
- गुलदारों को पकड़ने के लिए रेस्क्यू वैन दी गई।
- अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय की टीम से सर्वे शुरू कराया गया।
- वन के बाहर आई बाघिन को एक सप्ताह के अंदर ही ट्रेंकुलाइज किया गया।
- अमानगढ़ में दस किलोमीटर तक सोलर फेंसिंग की गई।

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