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    Bijnor News: गांव की सैर पर निकला 8 फीट लंबा मगरमच्छ, ग्रामीणों में हड़कंप; कड़ी मशक्कत के बाद किया गया रेस्क्यू

    Updated: Wed, 07 Aug 2024 05:54 PM (IST)

    नांगलसोती क्षेत्र में गंगा नदी होने के कारण आसपास के तालाबों में नहर का पानी आने से तालाबों में मगरमच्छ पल रहे हैं जिससे मगरमच्छ अक्सर आबादी वाले इलाक में चले आते हैं। मगमच्छ के घुसने से ग्रामीणों में हड़कंप मच गया। मगरमच्छ इतना विशाल था कि बड़ी संख्या में लोग उसे देखने को उमड़ पड़े। वन विभाग की टीम के साथ घंटों मशक्कत के बाद ग्रामीणों ने उसे पकड़ा।

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    बिजनौर के गांव में निकला विशाल मगरमच्छ

    संवाद सूत्र, नांगलसोती। ग्राम नांगलसोती स्थित छतरी वाला कुआं आबादी क्षेत्र में मगरमच्छ के घुसने से हड़कंप मच गया। सूचना पर बड़ी संख्या में ग्रामीण एकत्रित हो गए।

    सूचना मिलने पर पहुंची वन विभाग की टीम ने कड़ी मशक्कत के बाद मगरमच्छ को नियंत्रित करते मगरमच्छ को पकड़कर गंगा में छोड़ दिया। आबादी क्षेत्र में मगरमच्छ आने से अफरातफरी मची रही।

    घंटों मशक्कत में बाद ग्रामीणों ने वन विभाग को दी सूचना

    स्थानीय मोहल्ला छतरी वाला कुआं गंगा मार्ग पर लगभग आठ फुट लंबा मगरमच्छ आबादी परिसर में घुस आया। सूचना मिलते ही बड़ी संख्या में ग्रामीण मौके पर पहुंच गए और मगरमच्छ को पकड़ने का प्रयास करने लगे, लेकिन काफी विशालकाय होने के कारण मगरमच्छ ग्रामीणों के काबू में नहीं आया। घंटो मशक्कत के बाद घटना की सूचना ग्रामीणों ने वन विभाग को दी।

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    ग्रामीणों की मदद से पकड़ा गया  मगरमच्छ

    सूचना पर बीट अधिकारी गौरव गिरी टीम के साथ मौके पर पहुंचे और ग्रामीणों की मदद से इस मगरमच्छ को पकड़ लिया। इसके बाद मगरमच्छ को गंगा खादर में ले जाकर गंगा नदी में छोड़ दिया गया। तब जाकर आबादी परिसर के ग्रामीणों ने राहत की सांस ली।

    मगरमच्छ को ग्रामीणों ने बंद कर लिए थे दरवाजे

    ग्राम नांगलसोती में छतरी वाला कुआं के पास कई घर बने हैं। मगरमच्छ विशालकाय था और ग्रामीणों की पकड़ में नहीं आ रहा था। कहीं मगरमच्छ घर में न घुस जाए, इसी डर के कारण ग्रामीणों ने दरवाजे बंद कर लिए थे।

    बड़ी संख्या में निकलते हैं मगरमच्छ

    नांगलसोती क्षेत्र में गंगा नदी होने के कारण आसपास के तालाबों में नहर का पानी आने से तालाबों में मगरमच्छ पल रहे हैं, जिससे मगरमच्छ अकसर आबादी क्षेत्र में घुस आते हैं। लोगों का कहना है कि मगरमच्छ, कुत्ते और सड़क पर पड़े गोबर आदि को खाने के लिए भी आबादी क्षेत्र में आ जाते हैं।

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