स्योहारा को किसकी नजर लग गई
धामपुर (बिजनौर)। 'जिस बस्ती का मशहूर रहा हो आपस का भाईचारा, सदियों से जो कहलाता हो अम्नोअदब का गहवारा। किस दुश्मन की नजर लगी क्यूं मौत ने है घर देख लिया, शंभू सिंह दानिश की बस्ती हिलाल का है ये स्योहारा'। प्रख्यात शायर एजाज धामपुरी की इन पंक्तियों ने स्योहारा का दर्द मानो उकेर कर रख दिया हो। पिछले कुछ दिनों से स्योहारा में जो कुछ घटित हुआ उसके बाद हर स्योहारवी की जुबां पर यही अल्फाज हैं 'मानो स्योहारा के अमन चैन को किसी की नजर लग गई है'।
स्योहारा का अपना शानदार अतीत है। कभी इसकी पहचान बिजनौर जिले की रियासत के रूप में हुई तो अब गंगा जमुनी तहजीब के गढ़ के रूप में इसने नई पहचान बनाई। हिलाल स्योहारवी ने कभी इनका मान बढ़ाया तो कभी शंभू सिंह दानिश यहां की नाक बने, लेकिन पिछले कुछ दिनों से जो कुछ हो रहा है उससे यहां का अमन-ओ-चैन दांव पर लगा हुआ है। पिछले दिनों स्योहारा की अपर गैंगेज चीनी मिल में गैस रिसाव में तीन लोगों की जान चली गई। इस हादसे ने मानो स्योहारा की सांसें धीमी कर दी हों। तीन मौतों के बाद हमेशा शांत रहने वाला स्योहारवी भी गर्मा गया। सड़क पर उतर कर विरोध किया तो मुआवजे की मांग कर डाली। मिल प्रशासन ने वादा किया तो यहां फिर शांति बहाल होने ही वाली थी कि जमीन के विवाद में रविवार को गोलीबारी हो गई और एक किशोरी बेमौत मारी गई। इसके बाद तो ऐसा लगा जैसे विपत्ति ने स्योहारा की ओर रुख कर लिया हो।
गमजदां इस माहौल में कुछ फिरकापरस्तों ने अपनी रोटी सेंकी और मामले को सांप्रदायिक रंग दे दिया और एक बार फिर यहां की शांति व्यवस्था को खतरा उत्पन्न हो गया। पुलिस ने किसी तरह हालात को काबू में किया लेकिन इसके अगले ही दिन फिर सियासतजदां ने मामले को गर्म कर दिया। हिंदू तथा मुसलमानों की एकता के मिसाल कहे जाने वाले स्योहारा का अमन दांव पर लगा है। आम आदमी परेशान है। इन हालातों का खामियाजा किसी और को नहीं बल्कि आम आदमी को ही भुगतना पड़ रहा है। सोमवार को लगने वाला बाजार आज बंद सा रहा। बाजार में दुकानों पर ताले पड़े रहे तो व्यापारियों को नुकसान उठाना पड़ा। लेकिन सांप्रदायिक ताकतों को इससे कोई सरोकार नहीं। उन्हें तो आग लगानी है..कोई जले तो जलता रहे।
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