वांछित सूचना न देने पर हुआ कई महकमों पर जुर्माना
बिजनौर : जन सूचना अधिकार अधिनियम 2005 के तहत वांछित सूचनाएं उपलब्ध न कराए जाने के मामले में जिला कार्यक्रम अधिकारी और एक डिग्री कालेज 25 हजार रुपए का अर्थदंड जमा कर चुके हैं। आयोग के निर्देश पर वांछित सूचना आवेदक को उपलब्ध कराने पर एक महकमे पर अर्थदंड वापस ले लिया गया।
जन सूचना अधिकार अधिनियम 2005 के तहत कोई भी व्यक्ति दस रुपए का पोस्टल आर्डर अथवा दस रुपए का नोट आवेदनपत्र के साथ नत्थी कर राजस्व, विकास, सिंचाई, वन, शिक्षा, पुलिस समेत विभिन्न विभागों के जन सूचना अधिकारी से वांछित सूचना मांग सकता है। निर्धारित समयावधि 30 दिन के भीतर वांछित सूचना उपलब्ध न कराए जाने की स्थिति में आवेदक प्रथम अपील जिला नोडल अधिकारी/एडीएम (प्रशासन) से की जाती है, किंतु अपील के बाद कई-कई रिमांडर दिए जाने के बाद ही सम्बन्धित महकमे आवेदक को वांछित सूचनाएं उपलब्ध कराते हैं।
राज्य सूचना आयुक्त सुनवाई की तिथि निर्धारित कर संबंधित जन सूचना अधिकारी को तलब कर सुनवाई करते हैं, यदि निर्धारित तिथि पर संबंधित जन सूचना अधिकारी आवेदक को वांछित सूचना उपलब्ध नहीं कराता, तो उस पर 25 हजार रुपए अर्थदंड आरोपित किया जाता है। बताते हैं कि निर्धारित समयावधि में आवेदक को वांछित सूचना उपलब्ध न कराने पर राज्य सूचना आयुक्त ने जिला कार्यक्रम अधिकारी और एक डिग्री कालेज पर 25 हजार रुपए का अर्थदंड निर्धारित किया था, जो आयोग में जमा करा दिया गया। सूत्रों का कहना है कि आयोग के निर्देश पर वांछित सूचना उपलब्ध कराने पर साल 2011-12 में पुलिस विभाग पर हुआ जुर्माना माफ कर दिया गया। उधर इस सम्बन्ध में जन सूचना अधिकारी/एडीएम (प्रशासन) विनोद सिंह का कहना है कि जिला प्रशासन आयोग से मिले नोटिस सम्बन्धित विभाग के जन सूचना अधिकारी को अवगत करा देते हैं। जुर्माना वसूली की कार्रवाई भी प्रशासन ही करता है।
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