मेरी आंखों का तारा ही मुझे आंखें दिखाता है..
बिजनौर : जिला कृषि, औद्योगिक एवं सांस्कृतिक प्रदर्शनी में आयोजित अखिल भारतीय कवि सम्मेलन में कवियों ने सामाजिक विषमताओं पर प्रहार किये। देश के चुनिंदा कवियों को सुनने को श्रोता भरपूर दाद देते हुए तड़के तीन बजे तक जमे रहे।
गुरुवार को रात्रि दस बजे इंदिरा बाल भवन में अतुल गुप्ता के संयोजन में आयोजित कवि सम्मेलन का उद्घाटन पालिका चेयरमैन फरीद अहमद ने फीता काटकर और राज्यमंत्री मनोज पारस ने मां सरस्वती के चित्र के समक्ष दीप प्रज्ज्वलित कर किया। तुषा शर्मा ने सरस्वती वंदना प्रस्तुति की। हास्य व्यंग्य के कवि संजय झाला ने लोकपाल को लेकर हो रहे विवाद पर कुछ यूं कहा 'लोकपाल वोकपाल से यहां कुछ नहीं होगा, यहां जरूरत है एक ठोकपाल की'। दिनेश रघुवंशी की मां की पीड़ा को बयां करती रचना प्रस्तुत की तो पंडाल में वातावरण भावुक हो गया। उन्होंने कहा कि 'सीखाया बोलना जिसको वो चुप रहना सीखाता है, मेरी आंखों का तारा ही मुझे आंखें दिखाता है'।
हास्य व्यंग्य के कवि अरुण जैमिनी ने बाबा रामदेव के रामलीला मैदान से भागने के प्रकरण पर व्यंग्य किया 'उस दिन अच्छे भागे सलवार में, आज खुद खड़े हैं सुन्दरता के बाजार में'। तुषा शर्मा ने कहा कि 'अब उजाले भी अंधेरों में हैं ढलने वाले, जाने कब आयेंगे दुनिया को बदलने वाले'। जगदीश सोलंकी ने कहा 'सन् 47 में आजाद हो गये थे जब, एके 47 से अब बरबाद हो रहे'। संचालन कर रहे हास्य-व्यंग्य के कवि प्रवीण शुक्ल पहले अपने पुराने अंदाज में दिखे, लेकिन उन्होंने 'दोजख में भी नहीं मिलेगी, दो गज जमीन, जिन्हें लगने लगे मां-बाप भार की तरह' सुनाना तो भरपूर दाद मिली। सबसे अंत में वरिष्ठ कवि हरिओम पंवार ने तालियों के बीच काव्य पाठ शुरू किया। उन्होंने अपनी कई नई-पुरानी कविताओं से देर तक श्रोताओं को बांधे रखा। उन्होंने काले धन के मुद्दे को उठाया तो श्रोताओं की भरपूर दाद मिली।
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