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    आत्म अवलोकन कर करें खुद की पहचान

    By Edited By:
    Updated: Sun, 11 Oct 2015 10:34 PM (IST)

    धामपुर (बिजनौर): आत्म अवलोकन अर्थात् स्वयं का निरीक्षण व स्वयं को जानना। यह मानव का स्वभाव है कि वह

    धामपुर (बिजनौर): आत्म अवलोकन अर्थात् स्वयं का निरीक्षण व स्वयं को जानना। यह मानव का स्वभाव है कि वह सदैव दूसरों के गुण और दोष का अवलोकन करता है, परन्तु विद्वानों का कहना है कि मनुष्य को खुद के गुण और दोष के बारे में विचार करना चाहिए। ऐसा करके ही मानव देश और समाज का सही विकास कर सकता है। अपनी बुराइयों से मुक्ति ही एक स्वच्छ समाज के निर्माण की शर्त है।

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    आत्म अवलोकन से तात्पर्य है मन के अच्छे-बुरे विचारों का मनन करना या निरीक्षण करना। मानव शरीर परमात्मा की सर्वोत्तम कृति है। मनुष्य के पास ही वह शक्ति है, जिससे वह आत्म अवलोकन कर सकता है। इसके लिए हृदय की शुद्धता सर्वोपरि है। चित शुद्ध होने पर मनुष्य में आत्म ज्ञान आता है। प्राय: महापुरुषों की प्रसिद्धि व सफलता के पीछे उनकी आत्म अवलोकन की भावना रही है। इस आत्म अवलोकन का कोई समय, सीमा व स्थान निश्चित नहीं है हर व्याक्ति अपने अनुसार आत्म अवलोकन कर सकता है और करना भी चाहिए। हमने दिन भर क्या अच्छे व बुरे कार्य किए, उनमें क्या संशोधन होना चाहिए, इस संबंध में एकांत में अपने मन में झांककर विचार-विमर्श करना चाहिए। समय-समय पर आत्म अवलोकन एक सुदृढ़ व्यक्तित्व को पोषित करना है। जिसने स्वयं को जीत लिया, ढूंढ़ लिया मानो उसने जग जीत लिया। अपने अंदर झांककर अपने जगत और जीवन के सत्य को समझना हमारे दर्शन की देन है। स्वयं को जानकर ही जग को जाना जा सकता है। जिस दिन मनुष्य आत्म अवलोकन में सफल हो जाता है, उसी दिन उसकी समस्त व्याकुलता समाप्त हो जाती है। हमें विद्यार्थियों में भी आत्म अवलोकन की भावना का उदय करना चाहिए। इससे उनमे विवेक व स्मरण शक्ति का विकास होगा। उनका भविष्य स्वर्णिम होगा। दैनिक जीवन में भी आत्म अवलोकन से हम पूजनीय एव वंदनीय बन जाते हैं। आज देश में ज्ञानियों और बुद्धिजीवियों की कमी नहीं है। लोग विचारों के धनी है पर स्वयं आचरण में अधिकांश निर्धन हैं। इसीलिए कहा गया है ढाई मन ज्ञान तप साधन कर ले पर जब तक मन से मलीनता नहीं धुल जाती है, हमारे जीवन का कोई अर्थ नहीं है।

    सुषमा ¨सह, प्रधानाचार्या प्रियंका माडर्न सीनियर सेकेंड्री स्कूल धामपुर।

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    हमारे भीतर छुपी बुराइयों और अच्छाइयों को हमसे बेहतर दूसरा कोई व्यक्ति नहीं जान सकता। हमारी स्वभाविक बुराइयां ही हमारी पतन का कारण बनती है,ं जबकि हमारी भीतर पनपने वाली अच्छी आदतें हमें विकास की ओर ले जाती है। रोजाना की दिनचर्या में हमें कुछ समय इस कार्य में जरूर लगाना चाहिए जबकि हम स्वयं का इस प्रकार अवलोकन कर सके। अपने भीतर छुपी खूबियों को उभारकर बुराइयों को दूर करने में ही हमारे जीवन की असल सफलता है।

    स्पर्श चौहान, प्रियंका माडर्न सीनियर सेकेंड्री स्कूल।

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    आत्म अवलोकन के जरिए हम अपने विकास का मार्ग स्वयं बना सकते हैं। अपनी बुराइयों को दूर अच्छाई के मार्ग पर चलते हुए हम अपने जीवन को पूरी तरह सफल बना सकते हैं। खुद के भीतर छुपी बुराईयों को त्याग कर अच्छाई के मार्ग पर अग्रसर होना ही आत्म अवलोकन है। अपने जीवन में हमें रोजाना कुछ समय इस प्रकिया के भीतर जरूर देना चाहिए। आत्म अवलोकन के बल पर हम अपने जीवन को सफल और कामयाब बना सकते हैं।

    कनक देवरा, प्रियंका माडर्न सीनियर सेकेंड्री स्कूल।