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    बीस रुपये की खतौनी के लिए खर्च करते डेढ़ सौ

    By JagranEdited By:
    Updated: Sat, 30 Mar 2019 05:13 PM (IST)

    लोकसभा चुनाव नजदीक आते ही राजनीतिक दलों के नेता तमाम वादे करने लगते हैं। उनके वादे चुनाव के बाद कितने सफल होते है इसका सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है कि जनपद सृजन के दो दशक बाद भी कोनिया क्षेत्र के किसानों को बीस रुपये की खतौनी के लिए डेढ़ सौ रुपये किराया खर्च करना पड़ता है।

    बीस रुपये की खतौनी के लिए खर्च करते डेढ़ सौ

    जागरण संवाददाता, सीतामढ़ी (भदोही) : लोकसभा चुनाव नजदीक आते ही राजनीतिक दलों के नेता तमाम वादे करने लगते हैं। उनके वादे चुनाव के बाद कितने सफल होते हैं इसका सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है कि जनपद सृजन के दो दशक बाद भी कोनिया क्षेत्र के किसानों को बीस रुपये की खतौनी के लिए डेढ़ सौ रुपये किराया खर्च करना पड़ता है। डीघ में तहसील बनवाने के लिए दशकों से उठ रही लोगों की मांग महज कागजों पर ही सिमट कर रह गई।

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    वाराणसी से 30 जून 1994 को जब भदोही जनपद अलग हुआ तो जनपदवासियों के जेहन में गजब का उत्साह देखा जा रहा था। हर किसी के जेहन में यही उत्साह था कि नया जनपद होने से विकास की गंगा बहेगी। शुरुआती दौर में भदोही और ज्ञानपुर तहसील का ही वजूद था। इसके पश्चात औराई तहसील का सृजन किया गया है। पूर्वांचल में भदोही ही एक ऐसा जनपद है जहां पर महज तीन ही तहसील हैं। कोनिया क्षेत्र विकास से कोसों दूर हैं। किसी किसान को यदि खतौनी भी निकालनी हो तो उसे चालीस किमी दूरी तय करनी होती है। इसके लिए डेढ़ सौ रुपये किराया खर्च करना पड़ता है। इस बीच तमाम राजनीतिक दलों की सरकार बनी लेकिन किसी ने भी कोनिया क्षेत्र के लोगों की दर्द को नहीं समझा। विकास खंड डीघ में तहसील बनाने को लेकर हर समय आवाज उठते रहे है लेकिन उनकी एक भी नहीं सुनी गई। खतौनी तो एक बानगी है। इसके अलावा अन्य समस्याओं को लेकर कोनिया क्षेत्र के लोगों को परेशानी उठानी पड़ रही है।

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    पूर्व माध्यमिक शिक्षा मंत्री ने रखी थी औराई तहसील की बुनियाद

    बसपा के पूर्व माध्यमिक शिक्षा मंत्री रंगनाथ मिश्र ने जनपद के तीसरे तहसील औराई की बुनियाद रखी थी। तहसील की अधिसूचना जारी होते ही कार्यालय और न्यायालय संचालित होने लगा था। इसके साथ ही भवन निर्माण के लिए शासन से बजट स्वीकृत करा दिया गया था। यही नहीं भविष्य में तहसील का वजूद खत्म हो जाए इसलिए पूर्व माध्यमिक शिक्षा मंत्री ने यहां पद 45 कर्मियों के पद का भी सृजन करा दिया था। अभी तक इन पदों पर नियुक्ति तक नहीं हो सकी है। उधार से काम चलाया जा रहा है।

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    डीघ में तहसील बनाने के लिए समय-समय पर आवाज उठती रही है लेकिन किसी भी राजनीतिक दल के प्रतिनिधियों ने इसे गंभीरता से नहीं लिया है। जिले में चौथी तहसील डीघ में बनाया जाने से पूरे कोनिया क्षेत्र का विकास हो जाएगा।

    राजेंद्र मिश्र शंकराचार्य, ग्राम प्रधान डीघ।

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