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    वेदों के अप्रतिम विद्वान थे पद्मश्री डा कपिलदेव

    By JagranEdited By:
    Updated: Sat, 28 Aug 2021 09:46 PM (IST)

    जासं ज्ञानपुर (भदोही) अंतरराष्ट्रीय लब्ध प्रतिष्ठित संस्कृत विद्वान पद्मश्री डा. कपिलदेव द्विवेदी की ...और पढ़ें

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    वेदों के अप्रतिम विद्वान थे पद्मश्री डा कपिलदेव

    जासं, ज्ञानपुर (भदोही) : अंतरराष्ट्रीय लब्ध प्रतिष्ठित संस्कृत विद्वान पद्मश्री डा. कपिलदेव द्विवेदी की दशवीं पुण्यतिथि शनिवार को मनाई गई। उपस्थित लोगों ने प्रोफेसर कालोनी स्थित उनके आवास पर यज्ञ में आहुति एवं पुष्पांजलि अर्पित कर श्रद्धाजंलि दी।

    यज्ञोपरांत प्रो. विद्या शंकर त्रिपाठी ने कहा कि संस्कृत, संस्कृति व वेद को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहुंचाने में डा. कपिलदेव द्विवेदी अहम योगदान रहा है। डा. अशोक कुमार मिश्र ने कहा कि वह भारतीय संस्कृति के पोषक थे। अपनी विदेश यात्राओं में भारतीय संस्कृत और संस्कृति के महत्व को प्रतिष्ठापित किया। इसी तरह डा. केपी मिश्रा ने कहा कि वह आधुनिक ऋषि परंपरा के संत थे। वह वैदिक विद्वत परंपरा के बहुमूल्य रत्न, आर्य धर्म के साधक व प्रचारक, व्याकरण शास्त्र के अप्रतिम विद्वान, संस्कृत साहित्य के संपोषक, मृदुभाषी, राष्ट्रप्रेमी थे। इस मौके पर डा. विश्वेंदु द्विवेदी, ज्ञानेंदु द्विवेदी, अपर्णा, सुनीता, अजिता प्रसाद पांडेय, शीतला प्रसाद गुप्ता, रमाशंकर पाठक, वाहिद अंसारी आदि थे। अंत में उनके पुत्र डा. भारतेंदु द्विवेदी ने अतिथियों के प्रति आभार जताया।

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