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    केएनपीजी बनेगा स्टार, भेजा 2.78 करोड़ का प्रस्ताव

    By JagranEdited By:
    Updated: Tue, 17 Dec 2019 06:22 PM (IST)

    काशी नरेश राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय ज्ञानपुर में शैक्षणिक गुणवत्ता सुधारने के लिए डिपार्टमेंट आफ साइंस एंड टेक्नालाजी के तहत दो करोड़ और डिपार्टमेंट आफ बायोटेक्नालाजी के अंतर्गत 7

    केएनपीजी बनेगा स्टार, भेजा 2.78 करोड़ का प्रस्ताव

    जागरण संवाददाता, ज्ञानपुर (भदोही) : काशी नरेश राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय ज्ञानपुर में शैक्षणिक गुणवत्ता सुधारने के लिए डिपार्टमेंट आफ साइंस एंड टेक्नालाजी के तहत दो करोड़ और डिपार्टमेंट आफ बायोटेक्नालाजी के अंतर्गत 78 लाख का प्रस्ताव केंद्रीय मानव संसाधन मंत्रालय भेजा गया है। प्रस्ताव की स्वीकृति मिलने पर कालेज स्टार हो जाएगा। स्नातक और परस्नातक के साथ ही साथ शोध क्षेत्र में बुनियादी सुविधा का रोना खत्म हो जाएगा।

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    प्राचार्य डा. पीएन डोंगरे ने बताया कि कालेज में स्नातक और परास्नातक के साथ ही शोध के क्षेत्र में छात्रों को सुविधा नहीं मिल पा रहा है। प्रायोगिक विषयों में तो छात्रों को बहुत दिक्कत उठानी पड़ रही थी। छात्रों को हित में देखते हुए स्टार कालेज स्कीम के तहत स्नातक के छात्रों के लिए 78 लाख का प्रस्ताव बनाकर भेजा गया है। ग्रांट मिल जाने से स्नातक शैक्षणिक गुणवत्ता ठीक हो जाएगी। जब यह ग्रांट स्वीकृत हो जाएगा तो केएनपीजी स्टार कालेज बन जाएगा। इसी क्रम में परास्नातक और शोध के छात्रों के लिए डिपार्टमेंट आफ साइंस एंड टेक्नालाजी के अंतर्गत दो करोड़ का प्रोजेक्ट भेजा गया। ग्रांट मिल जाने से कालेज का कायाकल्प हो जाएगा। बताया कि अभी तक मानव संसाधन मंत्रालय से कोई जवाब नहीं आया है। कोई सूचना आते ही संबंधित शिक्षक को भेजकर उसकी प्रस्तुतिकरण किया जाएगा।

    65 साल बाद भी बहा रहा बदहाली पर आंसू

    आजादी के बाद वर्ष 1951 में काशीनरेश राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय ज्ञानपुर के अलावा नैनीताल में ठाकुर देव सिंह विस्ट महाविद्यालय की स्थापना की गई थी। वर्तमान समय में नैनीताल के इस महाविद्यालय को विश्वविद्यालय बना दिया गया लेकिन केएनपीजी की जर्जर व्यवस्था पर किसी की नजर नहीं पड़ी। कानरा महाविद्यालय में कभी 20 हजार से अधिक छात्र प्रवेश कराते थे। स्थानीय के अलावा अन्य प्रदेश के छात्र इस महाविद्यालय में प्रवेश कराने के लिए लालायित रहते थे। हालत यह है कि दीवारें जर्जर हो गई हैं तो छात्रों को बैठने के लिए कोई व्यवस्था नहीं है। विज्ञान वर्ग में प्रैक्टिकल कराने के लिए न तो उपकरण हैं और न केमिकल। पुस्तकालय भवन में लाखों की किताबें दीमक चट कर गए।

    विश्वविद्यालय से कम नहीं है हास्टल

    काशी नरेश राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय की हस्ती किसी विश्वविद्यालय से कम नहीं है। इसके पास कीमती 62 एकड़ भूमि के अलावा अलग-अलग हास्टल अभी भी वजूद में हैं। यहां पर जितने विषयों की पढ़ाई होती है उतने विषय शायद जिस विश्वविद्यालय से यह संबद्ध है उसमें भी नहीं होंगे। बहरहाल नेतृत्व के अभाव में अभी तक इसे विश्वविद्यालय का दर्जा नहीं मिल सका है।

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