बिन मांगे मोती मिले, मांगे मिले ना भीख
मर्यादपट्टी स्थित मैदान में चल रहे रामलीला की छठवीं निशा रविवार को अयोध्या के कलाकारों द्वारा राजा दशरथ कैकेयी संवाद श्रीराम वनवास निषाद राज मिलन श्री ...और पढ़ें

जासं, भदोही : मर्यादपट्टी स्थित मैदान में चल रहे रामलीला की छठी निशा रविवार को अयोध्या के कलाकारों द्वारा राजा श्रीराम-केवट, दशरथ-कैकेयी संवाद, श्रीराम वनवास व निषाद राज मिलन को सुंदर ढंग से प्रस्तुत किया गया। बड़ी तादाद में महिला व पुरुष श्रद्धालु देर रात तक डटे रहे। कैकेयी व दासी मंथरा के बीच संवाद के बाद कैकेयी द्वारा कोप भवन में बैठना और राजा दशरथ का कोप भवन में कैकेयी के साथ संवाद श्रद्धालु शांत हो कर देख रहे थे।
मंथरा ने कैकेयी को बहकाने के लिए लाख जतन किया हालांकि की कैकेई ने कहा की भरत को मैने जन्म भले दिया है लेकिन राम मुझे अधिक प्रिय हैं। तब दासी मंथरा ने कहा की राम के राजा बनते ही तुम्हें कौशल्या के हिसाब से रहना होगा। अन्यथा तुम्हें दूध में पड़ी मक्खी की तरह फेंक दिया जाएगा। इतना सुनते ही कैकेयी दासी की बातों में आ गई और उपाय पूछा। दासी ने कहा की दो वचन राजा दशरथ ने तुम्हें दिया था आज समय आ गया है कि तुम मांग लो। एक वचन में भरत को राज गद्दी तो दूसरे वचन में राम को 14 वर्ष का बनवास। कैकेयी दासी के बहकावे में आकर कोप भवन में बैठ गई। राजा दशरथ को पता चला तो वे चितित हो उठे। कल राम का राज तिलक होगा और आज कैकेयी कोप भवन में यह अशुभ संकेत है। राजा दशरथ कोप भवन में जाते हैं तो कैकेयी ने कहा की बिन मांगे मोती मिले मांगे मिले ना भीख। राजा दशरथ ने भरोसा दिलाया तो कैकेई ने वचन याद दिलाते हुए भरत को राजा व राम को 14 वर्ष का वनवास मांगा। यह सुन राजा दशरथ व्यथित हो गए और कैकेयी से कहा की तुम चाहो तो हमारी जान मांग लो हम सहर्ष दे देंगे लेकिन राम के बनवास की बात मत करो। इधर कैकेयी कोप भवन में अपनी मांगों को लेकर अड़ी रही। इस के बाद जब प्रभु राम को यह सूचना हुई तो प्रभु ने स्वयं राजा दशरथ को वनवास की आज्ञा देने का आग्रह किया। राजा दशरथ बड़े ही दुखी मन से राजी हुए। कलाकारों द्वारा निषाद राज मिलन व श्रीराम केवट संवाद देख श्रद्धालु भाव विभोर हो उठे।

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