सब्जियों की खेती से संवारी गृहस्थी, दे रहे हैं रोजगार
जागरण संवाददाता ऊंज (भदोही) देश की अर्थव्यवस्था का आधार कहे जाने वाले परंपरागत खेती-कि

जागरण संवाददाता, ऊंज (भदोही) : देश की अर्थव्यवस्था का आधार कहे जाने वाले परंपरागत खेती-किसानी को आज के दौर में घाटे का सौदा माना जा रहा है। तमाम लोग इससे मुंह मोड़ने लगे हैं। लोग व्यवसाय अथवा नौकरी आदि करके गुजारा करने को प्रमुखता देने लगे हैं। यहां तक कि घर परिवार छोड़कर महानगरों में जाकर काम करने से भी पीछे नहीं हट रहे हैं। कारण बताते हैं कि कभी प्राकृतिक आपदा, संसाधनों का अभाव के चलते चाहे व धान व गेहूं हो या फिर अन्य फसल। समुचित पैदावार नहीं मिल पा रही है। ऐसे समय में भी तमाम ऐसे किसान है। जिनका खेती - किसानी पर आज भी विश्वास कायम है। इसी में शामिल हैं डीघ ब्लाक क्षेत्र के जगापुर मिश्रान गांव निवासी किसान दीपक कुमार मिश्र। सीजनल सब्जियों सहित बैगन की खेती के जरिए न सिर्फ अपनी गृहस्थी संवार रहे हैं बल्कि गई ग्रामीण महिलाओं को रोजगार भी दे रहे हैं।
खेती को जीविकोपार्जन का आधार बनाते हुए बुद्धि, विवेक तथा परिश्रम के बल पर न सिर्फ खेती किसानी के जरिए आजीविका के संसाधन उपलब्ध कर रहे हैं बल्कि उत्पादों को बेंचकर धन भी कमा रहे हैं। वह बैगन के साथ टमाटर, शिमला मिर्च, सफेद कोहड़ा की खेती को प्रमुखता देते है। बैगन की अच्छी पैदावार होने के कारण अच्छे भाव मिल रहे हैं। बताया कि रोजगार की तलाश कर रहे थे। कहीं अच्छा काम नहीं मिला। अंतत: खेती करने की ठानी। बताया कि करीब 15 बीघे में सब्जियों की खेती करते हैं। चार बीघा इंडो अमेरिकन सुप्रिया प्रजाति के बैगन की खेती कर रहे हैं। प्रति बीघा 15 से 20 हजार रुपये की लागत आ रही है। जबकि दो लाख रुपये तक का उत्पादन हासिल हो रहा है। कहा कि मेहनत व आधुनिक तकनीक का प्रयोग कर रोजगारपरक खेती की जाय तो खेती घाटे का सौदा नहीं साबित होगी।
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