श्रीराम के चरण स्पर्श होते ही हुआ अहिल्या का उद्धार
रामलीला-- -भदोही की ऐतिहासिक रामलीला के तीसरे दिन कलाकारों ने किया मंचन -भगवान श्रीर

रामलीला--
-भदोही की ऐतिहासिक रामलीला के तीसरे दिन कलाकारों ने किया मंचन
-भगवान श्रीराम के जनकपुरी में पहुंचते ही श्रद्धालुओं ने लगाए जयकारे जासं, भदोही: मर्यादपट्टी स्थित मैदान में चल रही श्रीरामलीला में बुधवार को अयोध्या के कलाकारों ने अहिल्या उद्धार, गंगा दर्शन, जनकपुरी आगमन, नगर दर्शन व गौरी पूजन का मंचन किया। इस दौरान भगवान श्रीराम के जनकपुरी में पहुंचते ही श्रद्धालुओं ने खूब जयकारे लगाए।
जनकपुर में सीता स्वयंवर का निमंत्रण विश्वामित्र से पाकर भगवान राम लक्ष्मण को लेकर जनकपुर की ओर चल पड़े। चलते-चलते रास्ते में एक पत्थर श्रीराम के चरणों से टकरा गया जो देखते ही देखते एक सुंदर स्त्री के रूप में परिवर्तित हो गया। तब विश्वामित्र इस पत्थर रूपी स्त्री की कथा राम को बताते हैं। कहते हैं कि यह गौतम ऋषि की पत्नी अहिल्या हैं। जो अपनी पति के श्राप के कारण पत्थर बन गई थीं। एक दिन देवराज इंद्र की निगाह अहिल्या पर पड़ी, वह उसके साथ भोग करना चाहते थे। इंद्र ने चन्द्रमा के साथ मिलकर गौतम ऋषि के साथ छल किया। इंद्र गौतम ऋषि का रूप धारण कर अहिल्या के साथ भोग करने पहुंच जाते हैं। उधर, जब गौतम श्रृषि गंगा स्नान के बाद बाहर निकलते हैं, तभी गंगा मां उनके साथ हो रहे छल को बताती हैं। यह सुनकर गौतम ऋषि वापस घर आते हैं। जहां इंद्र को अपनी पत्नी के साथ देखकर क्रोधित होकर कोढ़ी होने तथा अहिल्या को पत्थर के बनने का श्राप दे देते हैं। यही कारण है कि चन्द्रमा को अपनी मृग छाया से मार कर उसमें दाग धब्बे पैदा कर देते हैं। अहिल्या के क्षमा मांगने पर गौतम ऋषि ने कहा कि भगवान के चरण स्पर्श से ही उद्धार होगा। अहिल्या उद्धार के बाद विश्वामित्र राम व लक्ष्मण को लेकर काशी पहुंच जाते हैं। गंगा स्नान कर व दान दक्षिणा देकर गुरु विश्वामित्र के साथ पुन: जनकपुर की ओर रवाना हो जाते हैं। जनकपुर पहुंचते ही राजा जनक उनका आवभगत करते हैं। उधर, राम व लक्ष्मण पूजन हेतु पुष्प लेने के लिए जनकपुर के बगीचे में पहुंचते हैं। तभी वहां सखियों के साथ आई जानकी सीता घेर लेती हैं। एक सखी सीता को राम व लक्ष्मण का पूरा परिचय बताती हैं। उसके बाद सीता मां गौरी की पूजा कर लौट जाती हैं। इस मौके पर पालिकाध्यक्ष अशोक जायसवाल, विनीत बरनवाल, गिरधारी लाल, फुलचंद मौर्य, सुभाषचंद मौर्य, सत्यप्रकाश बिन्द, सत्यशील जायसवाल, राजीव चौरसिया, कमलेश जायसवाल आदि थे।
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।