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    पार्वती ने किया था गज गौरी का पूजन

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    Updated: Thu, 17 Nov 2011 02:14 PM (IST)

    ऊंज (भदोही) : विकास खंड डीघ में एक क्षेत्र ऐसा भी है जहां जमीदार राजस्थान के राजघराने की तर्ज पर एक अनूठे धार्मिक पर्व की परंपरा को मनाते चले आ रहे हैं। इसकी शुरुआत होती है होली पर्व से। जो नवरात्र के तीसरे दिन ही संपन्न हो जाती है। कहा जाता है कि अच्छे वर के लिए पार्वती ने गज गौरी की उपासना की थी। उसी तर्ज पर यहां भी पूजा अर्चना की परंपरा को बखूबी निभाया जाती है।

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    यह स्थान है ऊंज क्षेत्र का नवधन गांव। इस गांव में बुधवार को नवरात्र के तीसरे दिन गज गौरी महोत्सव संपन्न हुआ। सुबह बूढ़ेनाथ मंदिर पर पहुंचकर कुंवारी कन्याएं व महिलाएं डलिया को फूलों से भरकर उसे भगवान को अर्पित की। इस दौरान कन्याएं व अन्य श्रद्धालु गांव से डीजे के साथ मंदिर पर पहुंची। ऐसी मान्यता है कि पार्वती ने शंकर को पाने के लिए गज गौरी का पूजन किया था। इसी के तहत इसका प्रचलन बढ़ा है। हालांकि राजस्थान में इस तरह के पूजन की अधिकता है। कहा जाता है कि इस व्रत को कुंती ने भी रखा था। सुहागिन महिलाएं भी अपने सुहाग की रक्षा के लिए गज गौरी का पूजन महोत्सव बड़े ही धूमधाम से मनाती हैं। हालांकि राजस्थानी राजघराने में इस तरह की मान्यता का सदियों से काफी महत्व रहा है। नवधन गांव जमींदारों का गांव रहा है। इसलिए इस क्षेत्र में यह परंपरा आज भी कायम है। पूरे दिन पूजन-अर्चन का दौर चला। शाम को गांव में भ्रमण करते हुए चौरा देवी मंदिर पर दर्शन के उपरांत फूलों व पूजन सामग्री के अवशेष को पांडेयपुर तालाब में विसर्जित कर पूजन-अर्चन का समापन हुआ। इस दौरान अंकिता उपाध्याय, रागिनी उपाध्याय,नेहा, निवेहिता, रूबी, एकता, गार्गो, खुशबू, छोटी, स्नेहा, अनुपमा, आंचल उपाध्याय सहित बड़ी संख्या में कन्याएं व महिलाएं मौजूद थीं।

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