डिजिटल एवं ऑनलाइन संचार, वर्तमान परिपेक्ष्य में
मानव सभ्यता के विकास में संचार का महत्वपूर्ण योगदान रहा है। शिक्षा, व्यापार, चिकित्सा, विज्ञान, रक्
मानव सभ्यता के विकास में संचार का महत्वपूर्ण योगदान रहा है। शिक्षा, व्यापार, चिकित्सा, विज्ञान, रक्षा एवं संस्कृति समेत समग्र क्षेत्रों में संचार की उपयोगिता सर्वमान्य है। वर्ष 1950 के बाद कम्प्यूटर के विकास एवं उपयोगिता ने सम्पूर्ण विश्व में संचार क्रांति ला दी। कालांतर में इस तकनीक में आ रहे लगातार बदलाव के फलस्वरूप अस्तित्व में आए डिजिटल माध्यम के प्रचलन से पूर्व के माध्यमों के बारे में सदैव एक आशंका रही कि क्या इसके प्रचलन और प्रयोग के पश्चात पूर्व के संचार माध्यमों की उपयोगिता कम हो जाएगी? पिछले माध्यमों के अनुभवों से यह प्रतीत होता है कि हमारी विविधतापूर्ण सामाजिक, आर्थिक संस्कृति में हमें अधिक प्रभावशाली और अधिक व्यापक रूप से संचार के लिए सभी माध्यमों की साथ-साथ आवश्यकता होती है।
डिजिटल तकनीकि ने विश्वभर में संचार क्रांति में अभूतपूर्व परिवर्तन ला दिया और वर्तमान हालात यह है कि यह तेजी से मानव गतिविधियों के प्राय: सभी क्षेत्र में व्याप्त होती जा रही है, चाहे वह अनुसंधान या विकास का क्षेत्र हो या कृषि, उद्योग, व्यापार, शिक्षा, स्वास्थ्य और चिकित्सा का या फिर मनोरंजन ही क्यों न हो।आनलाइन और डिजिटल संचार के नए उभरकर सामने आ रहे माध्यम में निहित अपार संभावनाओं को देखते हुए यह आशा व्यक्त की जा रही है कि अन्य माध्यमों को अधिक सूचनाप्रद, आधुनिकतम, सशक्त बनाने तथा लक्षित वर्गों के श्रोताओं/पाठकों/दर्शकों को बेहतर सेवा प्रदान करने के लिए निश्चित ही
यह माध्यम दूसरे अन्य माध्यमों के लिए सम्पूरक साबित हो रहा है।
20वीं सदी ने पारंपरिक संचार माध्यमों को आधुनिक संचार माध्यमों में बदलते हुए देखा है। लोक माध्यमों, मुद्रण और लेखन माध्यम से कुछ कदम आगे रेडियो, टेलीविजन और उपग्रह संचार तथा दूरसंचार ने संचार के क्षेत्र में मूलत: क्रांति ला दी।अब इक्कीसवीं शताब्दी का उषाकाल तीव्रगामी, बहुआयामी और बहुउद्देशीय
सांख्य (डिजिटल) प्रौद्योगिकी के आगमन का साक्षी है। डिजिटल और आनलाइन संचार विद्युतीय स्पंदन की उपस्थिति अथवा अनुपस्थिति के रूप में सूचना को निरूपित करती है। डिजिटल संकेत अधिक खरे एवं विश्वसनीय होते हैं और तकनीक ठोस अवस्था, इलेक्ट्रानिक और कम्प्यूटरजनित सूचना के लिए
बहुत उपयुक्त होती है। अधिकांशत: डिजिटल नेटवर्क को सीधे घरों और व्यवसायिक केंद्रों तक तेज गति से पहुंचाने के लिए एक माध्यम की आवश्यकता होती है। संचार की इस प्रणाली में संकेत शून्य अथवा एक संख्या के माध्यम के रूप में आते हैं। इसलिए इन्हें सांख्य या डिजिटल कहते हैं।
इंटरनेट विश्वभर में फैले हुए असंख्य कम्प्यूटरों के जाल का नेटवर्क है। 30 वर्ष पूर्व अमेरिकी रक्षा विभाग ने सैन्य अनुसंधानकर्ताओं को एक-दूसरे के संपर्क में रखने के उद्देश्य से एक प्रयोग के तौर ऐसे प्रथम कम्प्यूटर नेटवर्क का आविष्कार किया था। आज विश्वभर में इंटरनेट करोड़ों उपयोगकर्ताओं को आपस में जोड़ रहा है। चुटकियों में वांछित सूचनाओं तक पहुंच की इस Þआनलाइन'सुविधा ने संचार का नए परिदृश्य खोल दिया है। इंटरनेट को संक्षेप में नेट अथवा वेब भी कहा जाता है तथा नेटवर्कों के विशाल ताने-बाने की प्रकृति के कारण इसे विश्वव्यापी जाल के नाम से भी जाना जाता है।
डिजिटल और आनलाइन संचार ने नि:संदेह मानव विकास को नई गति दी, लेकिन फिर भी हम इस परिवर्तनकारी माध्यम की समीक्षा करने पर इस नतीजे पर पहुंचते हैं कि इस माध्यम ने विकास के साथ हमें क्या हानि पहुंचाई, परिणाम यह आता है कि सुविधा, सरलता, ज्ञान, विकास, तीव्रता, त्वरित सम्प्रेषण के
सापेक्ष हानि नगण्य है। कुछ विकृतियां जो इस माध्यम से समाज स्वीकार भी करता है, तो वह खुद व्यक्ति विशेष की इच्छा और इसके दुरुपयोग पर ही आधारित है,जबकि लाभ और उपयोगिता इसकी तुलना में कई गुना अधिक है। कह सकते हैं कि इन संचार माध्यमों ने विश्व की व्यापकता और जटिलता को संक्षिप्त और सरल बना दिया है।
चित्र.1.-संतोष कुमार ¨सह
सह समन्वयक बीआरपी ज्ञानपुर
जनपद-भदोही
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अद्यतन सूचनाओं से अपडेट रहने में मददगार
संचार माध्यम की इस नवीनतम तकनीक का हमें बहुत ही लाभ है। आज विश्व के किसी भी कोने में घटित होने वाली छोटी से छोटी घटना की जानकारी हमें पलभर में मिल जाती है। घटना के सजीव वर्णन से हम उन घटनाओं के प्रभावितों से जुड़ाव महसूस करते हैं।
चित्र.2.- राजीव श्रीवास्तव, प्रधानाध्यापक प्रावि चकवा
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आपस में हरपल जुड़ाव
डिजिटल संचार माध्यम के प्रमुख साधन इंटरनेट की देन सोशल मीडिया के प्रमुख साधन फेसबुक, ट्विटर, वाट्सएप आदि के माध्यम से हम हर पल एक-दूसरे से जुड़े रहते हैं। खास बात यह है कि हम जीवनभर जिनसे रूबरू न हो पाएं, उनसे इन माध्यमों के मिनटों में जुड़ जाते हैं।
चित्र.3.- कु रचना शर्मा
सहायक अध्यापिका
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इस तकनीक की मुख्य देन सोशल मीडिया के उपयोग में हम प्राय: निजता की लक्ष्मण रेखा को लांघ जाते हैं, इस कमी को दूर करना अत्यंत आवश्यक है।
चित्र.4.अजीत,छात्र
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सोशल मीडिया ने हमें दूर-देश में बैठे अनजान व्यक्ति से पहचान तो करा दी है, लेकिन शायद हम अपने पास के लोगों से ही दूर होते जा रहे हैं।
चित्र.5.प्रगति, छात्रा
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डिजिटल संचार माध्यम से जुड़े रहना समय की जरूरत है, और हम इससे दूर रहकर खुद को कूपमंडूक बना देते हैं।
चित्र.6.ममता,छात्रा
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हम बच्चों को डिजिटल संचार माध्यम के उपयोग की वास्तविक जरूरत को समझना होगा, क्योंकि स्थिति यह है कि इसके अधिक उपयोग से हम एकाकी बनते जा रहे हैं।
चित्र.7.राम, छात्र
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