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    बालू खनन से तटबंधों की सुरक्षा को खतरा

    By JagranEdited By:
    Updated: Fri, 01 Jun 2018 10:18 PM (IST)

    माफिया पर अंकुश लगा पाने में प्रशासन नाकाम ...और पढ़ें

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    बालू खनन से तटबंधों की सुरक्षा को खतरा

    बस्ती: घाघरा नदी के किनारे माझा में बालू खनन बड़े पैमाने पर हो रहा है। कुछ जगह वैध खनन हो रहा है तो कई जगह अवैध। बालू के अनियोजित खनन से कलवारी से लेकर दुबौलिया तक तकरीबन 30 किलोमीटर की लंबाई में जगह-जगह तटबंधों की सुरक्षा को खतरा उत्पन्न हो गया है। इस संबंध में बाढ़ खंड द्वारा जिला प्रशासन को सूचित भी किया जा चुका है उसके बाद भी खनन पर अंकुश नहीं लग रहा है। बाढ़ के दिनों में नदी का बहाव सीधा तटबंध की तरफ हो जाने से बंधे संवेदनशील हो जाते हैं जिससे उनकी सुरक्षा को खतरा पैदा हो जाता है। पिछले वर्ष कुदरहा ब्लाक के पिपरपाती तथा दुबौलिया ब्लाक के कटरिया-चांदपुर में स्थिति काफी बिगड़ गई थी। किसी तरह बाढ़ खंड ने स्थिति पर नियंत्रण किया। यह हाल तो तब था जब बालू का खनन नहीं हो रहा था। इस बार जिस तरह से बालू खनन हो रहा है उससे बंधे कितना सुरक्षित रह पाएंगे यह अपने आप में बड़ा सवाल है। दुबौलिया थाना क्षेत्र का रमना तौफीर एक बार फिर अवैध खनन के मामले में चर्चा में है। खनन वैध हो या अवैध खास बात यह है कि यह तटबंध से दो किलोमीटर के भीतर की ही परिधि में हो रहा है। जबकि नियम यह है कि बालू खनन दो किलोमीटर से दूर होना चाहिए। अनियोजित खनन का सीधा असर वीडी तटबंध पर पड़ेगा। जानकारों का कहना है कि जब घाघरा नदी का पानी पूरे वेग से चलता है तो बालू की खदानों में पहुंचते ही पानी की दिशा और गति दोनो परिवर्तित हो जाती है। यह पानी जब बंधे के निकट पहुंचता है तो गति इतनी अधिक होती है कि उसके सामने जो कुछ भी आएगा नदी काट कर बहा ले जाएगी। यही वजह है कि गत वर्ष या उससे पहले के वर्षों में बाढ़ के दिनों में तटबंध पर सर्वाधिक दबाव रहा। अवैध खनन में वह किसान भी शामिल हैं जो चंद पैसे के लिए अपने खेत का बालू बेच देते हैं। बालू निकल जाने के बाद खेत की दशा ऐसी हो जाती है अगले कई वर्ष तक उसमें कुछ पैदा भी नहीं हो सकता है। बाढ़ खंड के अवर अभियंता आरके नायक व पीके पांडेय का कहना है कि बालू खनन की स्थिति देख जिला प्रशासन से तटबंध से दो किलोमीटर दायरे के बाहर ही खनन कराने के लिए निर्देश देने के संबंध में पत्र लिखा गया था। इसके बाद भी इस दिशा में कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया। ऐसे में बाढ़ आने पर स्थिति गंभीर हो सकती है। उपजिलाधिकारी सदर श्रीप्रकाश शुक्ल का कहना है कि बाढ़ खंड को पट्टा स्वीकृति के समय ही आपत्ति करनी चाहिए थी। अब जब बाढ़ का समय नजदीक आ गया तो आपत्ति का कोई मतलब नहीं है। बंधे की सुरक्षा बाढ खंड की जिम्मेदारी जो उसे समय से पूरी करनी चाहिए। स्थिति पर प्रशासन की पूरी नजर है आम जनता को किसी भी तरह की परेशानी न हो इसका पूरा ध्यान रखा जा रहा है।

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