बदहाली का शिकार आयुर्वेदिक अस्पताल,कहां जाएं मरीज
सरकार आयुर्वेदिक चिकित्सा पद्धति को बढ़ावा देने में लगी हुई है। आयुर्वेदिक अस्पताल महसो बदहाली का शिकार है। चिकित्सक विहीन यह अस्पताल फार्मासिस्ट के सहारे चल रहा है।
बस्ती : सरकार आयुर्वेदिक चिकित्सा पद्धति को बढ़ावा देने में लगी हुई है। आयुर्वेदिक अस्पताल महसो बदहाली का शिकार है। चिकित्सक विहीन यह अस्पताल फार्मासिस्ट के सहारे चल रहा है।
ग्रामीण क्षेत्रों के लोगों को आयुर्वेद का लाभ मिले इसके लिए अस्पतालों की स्थापना की गई है। सदर विकास खंड के महसो में दो दशक पहले यहां राजकीय आयुर्वेदिक चिकित्सालय खोला गया। लोगों को लगा कि अब मुख्यालय न जाकर यहीं से आयुर्वेद की दवाएं मिल जाएंगी। शुरूआत के कुछ साल तक ठीक रहा लेकिन पिछले तीन साल से यहां कोई चिकित्सक ही नहीं है। आंकड़ों की बात करें तो यहां प्रतिदिन 40 से 50 मरीज इलाज के लिए अस्पताल में आते हैं लेकिन, चिकित्सक की तैनाती न होने से उन्हें मायूस होकर वापस लौट जाना पड़ता है। कुछ मरीज मजबूरी में फार्मासिस्ट से परामर्श और दवा लेकर वापस लौट जाते हैं। चिकित्सक विहीन अस्पताल से दिन-ब-दिन मरीजों का मोह भंग हो रहा है। लोग निजी अस्पतालों की ओर जाने को विवश हैं। आयुर्वेदिक अस्पताल चार बेड का है लेकिन एक बेड ही अस्पताल में दिखा,शेष तीन बेड कहां हैं,इसकी जानकारी नहीं हो पाई। अस्पताल के चारों तरफ झाड़-झंखाड़ उगे हैं। जहरीले जंतुओं का प्रकोप है। लोग इससे डरकर यहां आने जाने से भी डरते हैं। जिला आयुर्वेदिक अधिकारी डा. रवींद्र नाथ यादव ने कहा कि अस्पताल में चिकित्सकों की कमी है। शासन से इसकी डिमांड की गई है। चिकित्सक मिलने पर तैनाती की जाएगी। फिलहाल फार्मासिस्ट की तैनाती की गई है।
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